मंत्री इमरती देवी की मांग पर बिफरे जैन संत, सीएम को लेटर लिख कहा- अपना रुख स्पष्ट करें

भोपाल: महिला एवं बाल विकास मंत्री इमरती देवी के बच्चों को अंडा खिलाए जाने की मांग को लेकर सियासी गलियारों में हलचल मची है. जैन-ब्राह्मण समाज के लोग शुरू से ही इसका जमकर विरोध कर रहे हैं. अब जैन संत पुष्पेंद्र मुनि ने सीएम शिवराज सिंह को पत्र लिखा है और सरकार से इस मामले पर जल्द ही स्थिति स्पष्ट करने की मांग की है. उन्होंने बीजेपी अंडा वितरण न करने की सलाह भी दी है.

जैन संत ने लिखा कि अंडा वितरण की बजाय वैकल्पिक आहार वितरण की सलाह उत्तम हो सकता है. बीजेपी को इस पर ध्यान देना चाहिए. उन्होंने इमरती देवी के आंगनवाड़ी में बच्चों को अंडा वितरण के बयान पर बीजेपी को चेतावनी तक दे डाली है. पढ़िए उन्होंने लेटर में क्या-क्या लिखा है?

क्या है मामला
दरअसल, रविवार को महिला एवं बाल विकास मंत्री इमरती देवी ने कहा था कि वह चाहती हैं कि प्रदेश के जो बच्चे कुपोषित हैं उनके लिए अंडा वितरण की व्यवस्था की जाए. वह अपने प्रदेश को स्वस्थ देखना चाहती हैं और अगर बच्चे स्वस्थ होंगे तो गर्भवती महिलाएं स्वस्थ होंगी. इससे प्रदेश में सभी जगह बीमारी दूर होगी. हालांकि उन्होंने यह भी कहा था कि जिन बच्चों के परिवार में अंडे खाए जाते हैं उन्हीं को अंडे दिए जाएंगे, बाकी लोगों को फल दिए जाएंगे. जिसे अंडा खाना हो खाएं और जिसे नहीं खाना हो, न खाएं. हम जबरदस्ती किसी अंडा देने नहीं जा रहे हैं.

 

कमलनाथ सरकार में बीजेपी ने किया था विरोध
मंत्री इमरती देवी का ये बयान बीजेपी में बवाल की वजह बन गया है, दरअसल जब कमलनाथ सरकार में वह मंत्री थीं तो उन्होंने आंगनबाड़ियों में कुपोषित बच्चों को अंडा देने की बात कही थी, तो बीजेपी ने जमकर सवाल खड़े किए थे. बीजेपी के कई बड़े नेताओं ने बच्चों को अंडे देने को लेकर विरोध किया था. उन्होंने कहा था कि कमलनाथ सरकार की मंत्री हिंदू संस्कृति को नष्ट कर रही हैं.

संडे हो या मंडे रोज खाओ अंडे
योजना पर सवाल उठाये जाने पर इमरती देवी का कहना था कि यह तो सभी कहते हैं कि संडे हो या मंडे, रोज खाओ अंडे. डॉक्टर भी कहते हैं कि अच्छी सेहत के लिए अंडा खाना अच्छा है. जो अंडा नहीं खाना चाहता है, उसे केला या कोई अन्य पौष्टिक आहार दिया जाएगा. उनका कहना था कि 2014 के महाराष्ट्र दौरे पर उन्होंने देखा कि माल न्यूट्रिशन खत्म करने के लिए वहां अंडा दिया जाता है.

 

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