सर्वदलीय बैठक में किसी विपक्षी दल ने नहीं उठाया चीन का मुद्दा, कल राज्यसभा में बोलेंगे राजनाथ सिंह
संसद का मानसून सत्र शुरू होने से पहले भले ही कोई सर्वदलीय बैठक न हुई हो, लेकिन बुधवार को मोदी सरकार ने एक सर्वदलीय बैठक बुलाई गई. बैठक से पहले चर्चा थी कि यह बैठक लद्दाख में चीन सीमा विवाद को लेकर बुलाई जा रही है, लेकिन बैठक दौरान किसी भी विपक्षी दल ने चीन का मुद्दा नहीं उठाया.
संसद लाइब्रेरी बिल्डिंग में हुई इस बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी, पीयूष गोयल, थावरचंद गहलोत, गुलाम नबी आजाद, डेरेक ओ ब्रायन मौजूद रहे. राज्यसभा में 5 से ज्यादा सांसदों वाले सभी दलों के सदन में नेताओं के साथ सरकार ने यह कंसल्टेशन मीटिंग बुलाई थी.
किसी विपक्षी दल ने नहीं उठाया चीन का मुद्दा
जानकारी के मुताबिक, किसी भी विपक्षी दल ने चीन से संबंधित कोई प्रश्न नहीं किया. सदन के महत्वपूर्ण चार बिलों पर चर्चा हुई. साथ ही बिना किसी रुकावट के सदन की कार्यवाही चलाने पर भी चर्चा हुई. वहीं राजनाथ सिंह कल राज्यसभा में जो बयान देंगे, उसमें थोड़ा बहुत बदलाव रहेगा.
इन चार मुद्दों पर चर्चा के लिए बनी सहमति
सर्वदलीय बैठक में राज्यसभा में चार विषयों पर चर्चा करवाने पर सहमति बनी है.
- अर्थव्यवस्था की स्थिति
- जीएसटी
- नई शिक्षा नीति
- ड्राफ्ट एनवायरमेंट असेसमेंट नोटिफिकेशन
लोकसभा में क्या बोले राजनाथ?
वहीं इससे पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को लोकसभा में चीन (China) मुद्दे पर बयान देकर ’लद्दाख में सीमा पर हालात’ के बारे में देश को अवगत कराया. उन्होंने खुले तौर पर माना कि चीन ने लद्दाख में भारत की लगभग 38 हजार वर्ग किमी भूमि पर अनधिकृत कब्जा किया है.
इसके अलावा 1963 में एक तथाकथित सीमा-समझौते के तहत पाकिस्तानने पीओके की 5180 वर्ग किमी भारतीय भूमि को अवैध रूप से चीन को सौंप दी है. अपनी जमीन और सीमा की रक्षा करते हुए कर्नल संतोष बाबू और उनके 19 वीर साथियों ने अपना सर्वोच्च बलिदान दिया है.
चीन ने LAC पर बड़ी संख्या में सैनिक और गोला-बारूद जुटाया
उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में चीनी पक्ष ने एलएसी पर बड़ी संख्या में सैनिक टुकड़ियां और गोला-बारूद जुटा रखा है. पूर्वी लद्दाख में गोगरा और पैंगोंग झील का उत्तरी और दक्षिणी तट मुख्य रूप से विवादित क्षेत्र हैं. चीन की कार्रवाई के जवाब में हमारे सशस्त्र बलों ने भी इन क्षेत्रों में उपयुक्त जवाबी तैनाती की है ताकि भारत के सुरक्षा हितों को पूरी तरह से सुरक्षित रखा जा सके. भारत सीमावर्ती क्षेत्रों में मौजूदा मुद्दों का हल, बातचीत और परामर्श के जरिए किए जाने के प्रति प्रतिबद्ध है.