उज्जैन: केमिकल की मात्रा कम ज्यादा होने से जहर बनी शराब, दो आबकारी अधिकारियों पर गिरी गाज
मध्यप्रदेश के उज्जैन (Ujjain) में जहरीली शराब के मामले में TV9 भारतवर्ष की पड़ताल में अहम खुलासा हुआ है. पता लगा है कि इस पूरे गैंग में नगर निगम के 2 अस्थाई कर्मचारियों गब्बर और सिकंदर का सबसे बड़ा रोल था. दोनों आरोपी फिलहाल फरार चल रहे हैं. निगम आयुक्त ने इन दोनों को बर्खास्त कर दिया है. बता दें कि जहीरीली शराब पीने से 14 लोगों की मौत हो गई है.
जानकारी के मुताबिक, पूर्व में कहार वाडी से यह नकली शराब बनाकर बेची जाती है, जिसके बारे में सबको जानकारी है. प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, पिछले 10 दिनों में सिकंदर और गब्बर ने इसका धंधा नगर निगम की रीगल टॉकीज के पार्किंग में शुरू किया कर दिया था. गब्बर और सिकंदर दोनों नगर निगम की ओर से अस्थाई ठेलों और दुकानों से वसूली का काम करते थे.
ये दोनों जिंजर और स्प्रिट मिलाकर यहां से पोटली बेचने लगे. जानकारी के अभाव में केमिकल गलत डल गए और लोगों की मौत होने लगी. प्रत्यक्षदर्शियों ने TV9 भारतवर्ष से खास बातचीत में यह बताया की कहारवाड़ी में ये शराब लंबे वक्त से बनती आ रही है. सूत्र बताते हैं कि 500 रुपए में इन लोगों ने कहारवाड़ी से शराब बनानी सीखी थी.
केमिकल की मात्रा कम ज्यादा होने से बन गया जहर
सूत्रों के मुताबिक, वहां से शराब ₹15 में पोटली मिलाकर ₹20 में बेची जाती थी. ज्यादा प्रॉफिट के लालच में सिकंदर और गब्बर ने खाराकुआ इलाके में शराब बनाना शुरू कर दिया. ठीक से जानकारी नहीं होने के चलते केमिकल की मात्रा कम ज्यादा हो गई, जिससे केमिकल जहर बन गया और इन लोगों की मौत हो गई. लोगों ने यह भी बताया कि मेडिकल शॉप पर स्पिरिट आसानी से उपलब्ध हो जाती है.
प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि किस तरह से एक-एक करके उनके सामने लोगों की मौत हुई. मृतक विजय बहन ने बताया कि पुलिस ने उन्हें विजय की मौत की जानकारी दी वह शराब का आदी था, लेकिन इससे ज्यादा उन्हें कुछ नहीं पता.
दो आबकारी अधिकारियों पर गिरी गाज
वहीं जहरीली शराब के मामले में अब दो आबकारी अधिकारियों पर भी गाज गिर गई है. इस मामले में सुनीता मालवीय आबकारी उप निरीक्षक और रोहित लोहारिया आबकारी आरक्षक को निलंबित किया गया