किसान आंदोलन के बीच पीएम मोदी रविवार को करेंगे ‘मन की बात

किसान आंदोलन के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार (27 दिसंबर) को सुबह 11 बजे रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ के जरिए देश को संबोधित करेंगे। उधर किसानों ने ‘मन की बात’ कार्यक्रम का ताली-थाली बजाकर विरोध करने का निर्णय लिया है

नई दिल्ली। किसान आंदोलन के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार (27 दिसंबर) को सुबह 11 बजे रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ के जरिए देश को संबोधित करेंगे। उधर किसानों ने ‘मन की बात’ कार्यक्रम का ताली-थाली बजाकर विरोध करने का निर्णय लिया है। साल 2020 में ‘मन की बात’ का यह आखिरी कार्यक्रम होगा। पीएम मोदी रविवार को ऐसे समय में ‘मन की बात’ कार्यक्रम करने जा रहे हैं जब दिल्ली-यूपी-हरियाणा की सीमाओं पर नए कृषि कानूनों को लेकर किसानों का विरोध-प्रदर्शन जारी है। माना जा रहा है कि पीएम मोदी मन की बात कार्यक्रम में किसानों को लेकर भी बात कर सकते हैं।

किसानों ने पीएम मोदी के ‘मन की बात‘ कार्यक्रम को ताली और थाली बजाकर विरोध प्रदर्शन करने का निर्णय लिया है। किसान तीनों नए कृषि कानूनों को रद्द कराने पर अड़े हुए हैं। इस बीच किसान नेताओं की तरफ से कहा गया है कि, “हम सरकार के साथ बातचीत करने के तैयार हैं। वहीं किसानों के प्रतिनिधियों और भारत सरकार के बीच अगली बैठक 29 दिसंबर 2020 को सुबह 11 बजे होगी।” हालांकि इस बैठक के लिए किसानों द्वारा कुछ मुद्दे भी तय किये गए हैं।

जानिए किसान नेताओं ने क्या कहा…

किसान नेताओं ने संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए यह स्पष्ट किया कि तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने के तौर-तरीके के साथ ही न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए गारंटी का मुद्दा सरकार के साथ बातचीत के एजेंडे में शामिल होना चाहिए। किसान नेता दर्शन पाल ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि यह भी तय किया गया है कि नए कृषि कानूनों के खिलाफ 30 दिसंबर को किसान कुंडली-मानेसर-पलवल (केएमपी) राजमार्ग पर ट्रैक्टर मार्च का आयोजन करेंगे। पाल ने कहा, “हम दिल्ली और देश के अन्य हिस्सों के लोगों से आने और नए साल का जश्न प्रदर्शन कर रहे किसानों के साथ मनाने का अनुरोध करते हैं।’’

एक अन्य किसान नेता राजिंदर सिंह ने कहा, “हम सिंघू से टीकरी से केएमपी तक मार्च करेंगे। हम आसपास के राज्यों के किसानों से अपनी ट्रॉलियों और ट्रैक्टरों में भारी संख्या में आने की अपील करते हैं। अगर सरकार चाहती है कि हम केएमपी राजमार्ग को जाम नहीं करें तो उन्हें तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने की घोषणा करनी चाहिए।’’ कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय में संयुक्त सचिव विवेक अग्रवाल को लिखे पत्र में मोर्चा ने कहा, “हम प्रस्ताव करते हैं कि किसानों के प्रतिनिधियों और भारत सरकार के बीच अगली बैठक 29 दिसंबर को सुबह 11 बजे हो।’’

भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा, ‘‘जैसा कि सरकार हमारे साथ बातचीत के लिए तैयार है और हमसे तारीख और हमारे मुद्दों के बारे में पूछ रही है, हमने 29 दिसंबर को बातचीत का प्रस्ताव दिया है। अब, गेंद सरकार के पाले में है कि वह हमें कब बातचीत के लिए बुलाती है।” पत्र के अनुसार, प्रदर्शनकारी यूनियनों द्वारा प्रस्तावित एजेंडे में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आस-पास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए आयोग संबंधी अध्यादेश में संशोधन शामिल हैं ताकि किसानों को इसके दंडात्मक प्रावधानों से बाहर रखा जा सके। किसान यूनियनों ने यह भी मांग की है कि किसानों के हितों की रक्षा के लिए बिजली संशोधन विधेयक 2020 के मसौदे में बदलाव भी अगले दौर की बातचीत के एजेंडे में शामिल होने चाहिए। अग्रवाल ने पिछले दिनों प्रदर्शन कर रहे 40 यूनियनों को पत्र लिख कर उन्हें नए सिरे से बातचीत के लिए आमंत्रित किया था। दिल्ली की तीन सीमाओं – सिंघू, टीकरी और गाजीपुर में हजारों किसान लगभग एक महीने से डेरा डाले हुए हैं।

किसानों की ये है मांग

प्रदर्शनकारी किसान सितंबर 2020 में लागू किए गए तीन कृषि कानूनों को पूरी तरह से रद्द करने और एमएसपी पर कानूनी गारंटी देने की मांग कर रहे हैं। सरकार ने इन नए कृषि कानूनों को बड़े सुधार के रूप में पेश किया है, जिसका मकसद किसानों की मदद करना है। वहीं, प्रदर्शनकारी किसानों की आशंका है कि इससे मंडी और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की व्यवस्था खत्म हो जाएगी, जिससे उन्हें बड़े कॉरपोरेटों की दया पर निर्भर रहना पड़ेगा।

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