इन अधिकारियों ने Vikas Dubey की इस हद तक की थी मदद, अब SIT के शिकंजे में

SIT की जांच में ये खुलासा हुआ है कि विकास दुबे और गुर्गों पर आपराधिक मुकदमें दर्ज होने के बावजूद पुलिस और प्रशासन ने उन्हें क्लीन चिट दे दी थी

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लखनऊ: कानपुर के बहुचर्चित बिकरू कांड के कुख्यात गैंगस्टर विकास दुबे (Vikas Dubey Encounter) के एनकाउंटर मामले में SIT जांच की गहराई में जा रही है. अब स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (Special Investigation Team) ने विकास दुबे और उसके साथियों का साथ दे कर पुलिस टीम से धोखा करने वाले 10 अधिकारी-अफसरों को घेरे में लिया है. इन सभी पर आरोप है कि इन्होंने विकास दुबे और उसे गुर्गों का शस्त्र लाइसेंस (Arms License) रिन्यू (License Renewal) करवाया था. जानकारी के मुताबिक, इन सभी अफसरों ने सरकार के आदेशों को नकारते हुए विकास और साथियों के हथियारों का सत्यापन करने में लापरवाही बरती थी. SIT अब इस मामले में गहराई से जांच कर रही है.

SIT की नजरों में 10 अफसर हैं, जिनके खिलाफ प्रारंभिक जांच शुरू हो चुकी है. इनमें पूर्व DIG अनंत देव, पूर्व ADM सिटी विवेक श्रीवास्तव, पूर्व ACM 6 हरिश्चन्द्र सिंह, रवि प्रकाश श्रीवास्तव, अभिषेक कुमार, पूर्व SP ग्रामीण प्रधुम्न सिंह, पूर्व SP राजेश सिंह समेत 10 लोग शामिल हैं. बताया जा रहा है कि लोकसभा चुनाव के पहले पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों ने विकास दुबे और उसके गुर्गों के शस्त्र लाइसेंस का सत्यापन किया था. SIT की जांच में ये खुलासा हुआ है कि विकास दुबे और गुर्गों पर आपराधिक मुकदमें दर्ज होने के बावजूद पुलिस और प्रशासन ने उन्हें क्लीन चिट दे दी थी.

2 जुलाई 2020 को बिकरू में क्या हुआ था?
आपको बता दें, 2020 के 2 जुलाई को बिकरू में गैंगस्टर विकास दुबे और उसके गुर्गों ने 8 पुलिसकर्मियों की हत्या की थी. वारदात के बाद विकास दुबे और अमर दुबे समेत उसके गुर्गे फरार हो गए थे. कांड के एक हफ्ते बाद ही पुलिस ने विकास को मध्यप्रदेश के उज्जैन जिले से धर दबोचा था. विकास जब वहां से कानपुर लाया जा रहा था, तो रास्ते में भागने की कोशिश के दौरान एनकाउंटर में मारा गया. गौरतलब है कि विकास दुबे पर 60 से ज्यादा केस दर्ज थे.

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