वेंकैया नायडू ने दिल्ली में रहने के बावजूद सांसदों के सदन में नहीं आने पर जतायी हैरत
सभापति ने बताया कि पिछले साल उच्च सदन के सदस्यों की इन बैठकों में उपस्थिति 52 प्रतिशत से अधिक थी जो इस साल 58 प्रतिशत से कुछ अधिक रही। हालांकि इन बैठकों में लोकसभा के सदस्यों की उपस्थिति कम हुई। निम्न सदन के सदस्यों की इस साल इनमें उपस्थिति 31 प्रतिशत से कुछ अधिक थी जबकि पिछले वर्ष यह 46 प्रतिशत से कुछ अधिक थी।
नई दिल्ली. राज्यसभा में सोमवार को सभापति एम वेंकैया नायडू ने कुछ सदस्यों के दिल्ली में रहते हुए भी सदन में नहीं आने और विभिन्न संसदीय समिति की बैठकों में भाग नहीं लेने पर हैरत जतायी। इसके साथ ही उन्होंने सदस्यों को सदन में अपनी पार्टी के चिन्ह का प्रयोग नहीं करने की नसीहत दी। बजट सत्र के दूसरे चरण के पहले दिन नायडू ने कहा कि उच्च सदन में सदस्य विभिन्न तरह की पगड़ी और अंगवस्त्रम पहन कर आते हैं। उन्होंने कहा कि किंतु सदस्यों को अपनी पार्टी के चिन्ह का सदन में प्रयोग नहीं करना चाहिए। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उन्होंने किसी सदस्य विशेष को इंगित करते हुए यह बात नहीं कही है।
उन्होंने कहा, ‘‘कभी कभी मुझे यह जानकर आश्चर्य होता है कि कोई सदस्य दिल्ली में है किंतु वह सदन में नहीं आया।’’
उन्होंने कहा कि वह यह बात किसी सदस्य या पार्टी विशेष के लिए नहीं कह रहे हैं। उन्होंने सभी सदस्यों से यह सुनिश्चित करने की अपील की कि वे सदन में उपस्थित हों। सदन की चर्चा को देखे और अपने ज्ञान में वृद्धि करें। सभापति ने कहा कि चुनौतीपूर्ण समय के बावजूद उच्च सदन में पिछले पांच सत्रों से काफी अधिक मात्रा में कामकाज हुआ है। उन्होंने कहा कि मौजूदा बजट सत्र के पहले चरण में उच्च सदन में 100 प्रतिशत कामकाज हुआ और उम्मीद जतायी कि दूसरे चरण में भी काम की यही गति रहेगी।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2021-22 के लिए विभिन्न मंत्रालयों एवं विभागों की अनुदान मांगों पर विचार करने के लिए संसद के दोनों सदनों की बैठकों का तीन सप्ताह तक अवकाश रहा। सभापति ने इस दौरान विभिन्न मंत्रालयों से संबंधित समितियों के कामकाज का ब्यौरा दिया। उन्होंने कहा कि राज्यसभा की आठ समितियों ने वर्ष 2021-22 के लिए विभिन्न मंत्रालयों एवं विभागों की अनुदान मांगों पर विचार करने के लिए निर्धारित समय से 12 प्रतिशत अधिक समय लगाया। इन समितियों की इस साल कुल 12 बैठकें हुईं जिनमें 70 से अधिक घंटे तक कामकाज हुआ।
सभापति ने बताया कि पिछले साल उच्च सदन के सदस्यों की इन बैठकों में उपस्थिति 52 प्रतिशत से अधिक थी जो इस साल 58 प्रतिशत से कुछ अधिक रही। हालांकि इन बैठकों में लोकसभा के सदस्यों की उपस्थिति कम हुई। निम्न सदन के सदस्यों की इस साल इनमें उपस्थिति 31 प्रतिशत से कुछ अधिक थी जबकि पिछले वर्ष यह 46 प्रतिशत से कुछ अधिक थी। सभापति ने कहा कि इस साल राज्यसभा के 39 ऐसे सदस्य थे जिन्होंने इन समितियों की सभी बैठकों में हिस्सा लिया।
उन्होंने कहा कि पिछले साल की तुलना में इस साल इन समितियों की बैठक में लोकसभा के सदस्यों की उपस्थिति में कमी आयी है। उन्होंने कहा कि इस साल इन समितियों की हुई 21 बैठकों में से सभी बैठकों में कोरम था जबकि पिछले साल हुई बैठकों में से तीन बैठक में कोरम नहीं था। उन्होंने कहा कि इस साल इन समितियों की 21 बैठकों में से केवल तीन बैठक ऐसी थीं जो दो घंटे से कम चली। अन्य सभी बैठकों का समय दो घंटे से अधिक रहा। उन्होंने कहा कि महिला एवं बाल विकास, युवा मामलों सहित कई समितियों की बैठक छह घंटे से अधिक समय तक चली।
वेंकैया नायडू ने कहा कि इस साल इन समितियों की बैठक में सदस्यों की उपस्थिति घटकर 42 प्रतिशत रह गयी जो पिछले साल 48 प्रतिशत थी। उन्होंने कहा कि कुछ सदस्य ऐसे भी हैं जिन्होंने किसी समिति की बैठक में भाग नहीं लिया। नायडू ने इन समितियों की बैठक में भाजपा एवं कांग्रेस के अलावा अन्य पार्टियों के सदस्यों की कम उपस्थिति पर चिंता जतायी। नायडू ने कहा कि इस तरह की पार्टियों और समूह के सदस्यों की उपस्थिति इस साल घटकर 27.06 प्रतिशत रह गयी जो पिछले साल 40.05 प्रतिशत थी। सभापति ने कहा कि इस बारे में संबंधित पार्टियों को ध्यान दिये जाने की जरूरत है।
उन्होंने सदस्यों से चर्चाओं में भाग लेने के लिए अच्छी तरह से तैयारी करके आने को कहा। इसके लिए उन्होंने संसद पुस्तकालय में रखी विभिन्न पुस्तकों एवं पत्रिकाओं की सहायता लेने की भी सलाह दी। सभापति ने सदस्यों को सूचित किया कि संसद ग्रंथालय के इस वर्ष सौ साल पूरे होने जा रहे हैं और इसमें 14 लाख से अधिक पुस्तकें हैं। उन्होंने कहा कि पुस्तकालय जाने के साथ साथ सदन में आने से भी सदस्यों के ज्ञान में वृद्धि होती है। सभापति ने बजट सत्र के दूसरे चरण में सभी सदस्यों का स्वागत करते हुए इसमें पूरा योगदान देने का आह्वान किया ताकि यह ‘‘यादगार सत्र’’ बन सके।