STF की छापेमारी में भ्रूण लिंग परीक्षण का बड़ा अड्डा तबाह, महिला सहित 8 गिरफ्तार

यूपी एसटीएफ (UP STF) टीमों को पता चला था कि यह गैंग प्राइवेट वाहनों में आगरा शहर व उसके ग्रामीण इलाकों में घूम घूमकर ऐसी महिलाओं के बारे में सूचनाएं जुटाता था जो गर्भवती हों.

उत्तर प्रदेश के आगरा जिले में लंबे समय से चल रहे भ्रूण लिंग परीक्षण (गर्भ में लड़का-लड़की की पहचान) के बड़े अड्डे को नेस्तनाबूद कर दिया गया. अड्डे को यूपी पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (STF) ने तबाह किया है. इस सिलसिले में एक महिला सहित 8 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. गिरफ्तार लोगों में एक ग्राहक महिला का पति है. बताया जाता है कि आगरा में लंबे समय बाद किसी इतने बड़े अड्डे पर पुलिसिया कार्रवाई हुई है.

इन छापों की पुष्टि आईजी और यूपी एसटीएफ प्रभारी अमिताभ यश ने भी सोमवार को टीवी9 भारतवर्ष से की है. गिरफ्तार लोगों का नाम योगेंद्र उर्फ बनिया, जोगेंद्र, बंटी उर्फ मोहन, धीरज, रंजीत, भरत सिंह पुत्र बच्चू सिंह, सरिता और भरत सिंह पुत्र रमेश चंद्र है. इनके कब्जे से करीब 84 हजार रुपए नकद, 4 अल्ट्रासाउंड पोर्टेवल मशीन, 13 मोबाइल व चार पहिया और दोपहिया वाहन भी जब्त किए गए हैं. इस गैंग का पर्दाफाश आगरा के दो थाना क्षेत्रों (अछनेरा व एत्माद्वौला) में किया गया है. इन बड़े अड्डों के बारे में पता लगने पर एसटीएफ की आगरा यूनिट ने यह कार्रवाई की.

एक भ्रूण परीक्षण के लिए लेते 15 से 20 हजार

एसटीएफ टीमों को पता चला था कि यह गैंग प्राइवेट वाहनों में आगरा शहर व उसके ग्रामीण इलाकों में घूम घूमकर ऐसी महिलाओं के बारे में सूचनाएं जुटाता था जो गर्भवती हों. उसके बाद दलालों के जरिए उन महिलाओं के परिवार वालों के भ्रूण लिंग परीक्षण कराने के लिए उकसाया/फांसा जाता था. एक महिला का भ्रूण लिंग परीक्षण 15 से 20 हजार रुपए तक में किया जा रहा था. गैंग के सरगना ने रोजाना औसतना 10 से 15 महिलाओं का परीक्षण करने की बात कबूली है. एसटीएफ की टीमों ने जब अछनेरा थाना क्षेत्र स्थित गांव रैपुरा अहीर में छापा मारा, तो वहां योगेंद्र सिंह उर्फ बनिया के घर में एक गर्भवती महिला का परीक्षण होता हुआ मिला.

पुलिस ने यमुना कालोनी फेज-2 में मारा छापा

इसके बाद पुलिस ने थाना एत्माद्वौला इलाके की ट्रांस यमुना कालोनी फेज-2 में छापा मारा. यहां डॉ. राजीव कुमार के मकान से सरिता पत्नी उमेश सिंह को गिरफ्तार किया गया. यहां एक पोर्टेवल अल्ट्रासाउंड मशीन मिली. यहां पुलिस छापे की भनक लगते ही डॉ. राजीव कुमार और पंकज तिवारी नाम के दो संदिग्ध भागने में कामयाब रहे. गैंग के दलालों से हुई पूछताछ में पता चला है कि यह लोग आगरा जिले के सरकारी अस्पतालों के आसपास भी मंडराते रहते थे. वहां जांच के लिए पहुंची गर्भवती महिलाओं और उनके परिवार वालों को झांसे में लेकर फंसा लेते थे. पुलिस से बचने के लिए यह गैंग कभी भी एक स्थान पर भ्रूण लिंग परीक्षण नहीं करता था. गैंग ने पोर्टेबल अल्ट्रासाउंड मशीनें इसीलिए रखी थीं. ताकि मर्जी के मुताबिक हर रोज वाहनों में लादकर इन मशीनों को कहीं भी कभी भी लाया ले जाया सके.

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