फरार चल रहे तीनों आरोपियों ने न्यायालय में किया सरेंडर
वकील के घर में घुसकर मारपीट, लूट के मामले में आरोपी टीआई व दो आरक्षकों को कोर्ट ने जेल भेजा
टीआई व दोनों आरक्षकों की जमानत को लेकर हाईकोर्ट में होगी सुनवाई
वर्ष २०१२ में एडवोकेट मोहर सिंह कौरव के साथ घर में घुसकर मारपीट और लूट के मामले में फरार चल रहे आरोपी टी आई व दो आरक्षकों ने दतिया न्यायालय गुरुवार को सरेंडर कर दिया। इस मामले में न्यायालय ने तीनों को आरोपी मानते हुए जेल भेज दिया। अब तीनों आरोपियों ने हाईकोर्ट में जमानत के लिए आवेदन दिया है। इस जमानत आवेदन पर शुक्रवार को हाईकोर्ट में जस्टिस आनंद पाठक के न्यायालय में सुनवाई होगी।
एडवोकेट कौरव के साथ मारपीट व लूट के मामले में आरोपी टीआई धनेंद्र सिंह भदौरिया व आरक्षक विजय कौशल व साहब सिंह लंबे समय से फरार चल रहे थे। तीनों आरोपियों ने न्यायिक मजिस्ट्रेट ऋचा गोयल की न्यायालय में सरेंडर किया जहां से उन्हें जेल भेजने के आदेश दिए गए। गौरतलब कि 07 अगस्त २०१२ को एडवोकेट मोहर सिंह कौरव तत्कालीन कलेक्टर जी पी कबीरपंथी के पास पुरानी कलेक्टे्रट में जहां वकील बैठते थे वहां पानी टपकने की शिकायत लेकर गए थे। इसी दौरान कलेक्टर से कहासुनी होने के बाद मध्यरात्रि तत्कालीन एसडीओपी एम एल ढोंड़ी, टीआई रविंद्र गर्ग, सब इंस्पेक्टर सुधांशु तिवारी, राजेंद्र धुर्वे, घनेंद्र भदौरिया, कांस्टेबल ज्ञानेंद्र शर्मा, कौशल व साहब सिंह ने घर में घुसकर मारपीट की थी। एडवोकेट कौरव ने पुलिस अधिकारी – कर्मचारियों पर आरोप लगाया था कि इस घटना के दौरान घर में रखे ३० हजार रुपए उठा लिए थे और सोने की अंगूठी भी ले गए थे।
एडवोकेट ने परिवाद पेश किया था
इस घटना को लेकर वर्ष २०१२ में वकीलों ने २९ दिन की हड़ताल भी की थी। एडवोकेट कौरव द्वारा इस मामले में परिवाद पेश किए जाने पर न्यायालय ने वर्ष २०१६ में मामला रजिस्टर्ड किया था। तीनों आरोपियों के खिलाफ मामला रजिस्टर्ड होने के बाद २०१७ में सभी के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी हुए। इस मामले को लेकर सुधांशु तिवारी और राजेंद्र धुर्वे सुप्रीम कोर्ट भी गए, लेकिन उन्हें राहत नहीं मिली। वहीं टीआई भदौरिया और दोनों आरक्षक हाईकोर्ट से जमानत के लिए प्रयास कर रहे थे लेकिन उनके हाजिर न होने पर सभी पुलिस अधिकारी – कर्मचारियों को निलंबित किया गया था। निलंबित होने के बाद सभी पुलिस अधिकारी – कर्मचारी फरार चल रहे थे। गुरुवार को टी आई भदौरिया व दोनों आरक्षकों ने न्यायालय के समक्ष सरेंडर किया जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया।