पीएम मोदी की अपील, कोरोना संकट के कारण कुंभ मेले को अब प्रतीकात्मक ही रखा जाए
हरिद्वार के मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि 5-14 अप्रैल तक कुंभ मेला क्षेत्र में 68 साधु संतों की कोविड-19 जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आ चुकी है.
देश में कोरोना वायरस संक्रमण के बढ़ते मामलों को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि से अपील की है कि कुंभ को कोरोना संकट के कारण अब प्रतीकात्मक ही रखा जाए. हरिद्वार में आयोजित कुंभ मेले के दौरान कई अखाड़ों के साधु-संतों के संक्रमित होने की पुष्टि हो चुकी है. पीएम मोदी ने ट्वीट किया, “आचार्य महामंडलेश्वर पूज्य स्वामी अवधेशानंद गिरि जी से आज फोन पर बात की. सभी संतों के स्वास्थ्य का हाल जाना. सभी संतगण प्रशासन को हर प्रकार का सहयोग कर रहे हैं. मैंने इसके लिए संत जगत का आभार व्यक्त किया.”
प्रधानमंत्री मोदी ने एक और ट्वीट में कहा, “मैंने प्रार्थना की है कि दो शाही स्नान हो चुके हैं और अब कुंभ को कोरोना के संकट के चलते प्रतीकात्मक ही रखा जाए. इससे इस संकट से लड़ाई को एक ताकत मिलेगी.” इससे पहले गुरुवार को दूसरे सबसे बडे अखाड़े निरंजनी ने कहा था कि साधु-संत और श्रद्धालु बड़ी संख्या में कोरोना वायरस से संक्रमित हो रहे हैं जिसे देखते हुए उनकी तरफ से कुंभ मेला समाप्त किया जा रहा है.
पीएम मोदी की अपील के बाद स्वामी अवधेशानंद गिरि ने ट्वीट किया, “माननीय प्रधानमंत्री जी के आह्वान का हम सम्मान करते हैं! जीवन की रक्षा महत पुण्य है.मेरा धर्म परायण जनता से आग्रह है कि कोविड की परिस्थितियों को देखते हुए भारी संख्या में स्नान के लिए न आएं एवं नियमों का निर्वहन करें!”
हरिद्वार के मुख्य चिकित्सा अधिकारी शंभुकुमार झा ने बताया कि 5 अप्रैल से लेकर 14 अप्रैल तक कुंभ मेला क्षेत्र में 68 साधु संतों की जांच रिपोर्ट में उनके कोविड-19 से पीड़ित होने की पुष्टि हो चुकी है. कोविड-19 के कारण एक माह की अवधि के लिए सीमित कर दिए गए महाकुंभ के तीन शाही स्नान- महाशिवरात्रि, सोमवती अमावस्या और बैसाखी हो चुके हैं जबकि 27 तारीख को रामनवमी के अवसर पर आखिरी शाही स्नान होना है.
निरंजनी के कुंभ समापन की घोषणा के विरोध में अन्य अखाड़े
निरंजनी अखाड़े द्वारा हरिद्वार महाकुंभ के 17 अप्रैल से समापन की घोषणा किए जाने के बाद अन्य अखाड़े इसके विरोध में उतर आए हैं और इस पर माफी मांगने को कहा है. निर्वाणी अणि अखाडा के अध्यक्ष महंत धर्मदास ने कहा कि कुंभ मेले की समाप्ति की घोषणा का अधिकार केवल मेला अधिकारी या राज्य के मुख्यमंत्री को है. उन्होंने कहा कि निरंजनी अखाड़े ने बिना किसी सहमति के ऐसा कहकर समाज में अफरातफरी मचाने का अक्षम्य अपराध किया है और ऐसे में उसके साथ रहना मुश्किल है.
महंत धर्मदास ने कहा कि निरंजनी अखाड़े को अपने ऐसे बयान के लिए पूरे अखाड़ा परिषद के सामने माफी मांगनी चाहिए और तभी उसके साथ आगे बने रहने पर विचार किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि उसका यह फैसला ठीक नहीं है क्योंकि कुंभ के बारे में कोई भी फैसला सभी 13 अखाड़े मिलकर लेते हैं.
बड़ा उदासीन अखाड़े ने भी साफ किया कि वह जल्द महाकुंभ मेला समाप्त करने के पक्ष में नहीं है. अखाड़े के अध्यक्ष महंत महेश्वर दास ने कहा कि बिना अखाड़ा परिषद की बैठक के महाकुंभ मेला समाप्त करने के बारे में कोई फैसला नहीं किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि कुंभ मेले की व्यवस्था विचार-विमर्श से चलती है लेकिन निरंजनी अखाड़े ने इस पर अखाड़ों से कोई बात नहीं की. उन्होंने कहा कि कुंभ मेला मुहूर्त से शुरू होता है और मुहूर्त से ही समाप्त होता है. उन्होंने कहा कि परंपरा और मर्यादा के साथ कुंभ मेले को पूरी अवधि तक चलाया जाएगा.