उत्तर प्रदेश में BJP का बुरा हाल

मोदी की काशी में 5 महीने में सपा ने भाजपा को 5 झटके दिए, MLC और छात्रसंघ चुनावों के बाद पंचायत चुनाव में भी पछाड़ा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में बीते पांच महीने में भारतीय जनता पार्टी को समाजवादी पार्टी ने लगातार 5 तगड़े झटके दिए हैं। MLC चुनाव से शुरू हुआ BJP की शिकस्त का सिलसिला फिलहाल थम नहीं रहा है। इससे संगठन से जुड़े लोग परेशान हैं। माना जा रहा है कि अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए शीर्ष नेतृत्व जल्द ही कुछ कड़े फैसले ले सकता है।

छात्रसंघ चुनावों में ABVP का खाता तक नहीं खुला
पिछले साल दिसंबर में समाजवादी पार्टी ने BJP को उसके गढ़ कहे वाले बनारस में शिक्षक और स्नातक MLC चुनाव में करारी शिकस्त दी। इसके बाद फरवरी में महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के छात्रसंघ चुनाव में BJP के छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) का खाता भी नहीं खुला। अध्यक्ष पद समाजवादी छात्रसभा के हिस्से में आया।

इसी तरह अप्रैल में संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में हुए छात्रसंघ चुनाव में भी ABVP अपना खाता तक नहीं खोल सकी और NSUI ने सभी पदों पर जीत दर्ज की। भाजपा इन चारों हार से उबरी भी नहीं थी कि पंचायत चुनाव शुरू हो गए। पंचायत चुनाव में भी भाजपा कुछ बेहतर नहीं कर पाई और 40 जिला पंचायत सदस्य प्रत्याशियों में उसके महज 8 प्रत्याशी ही जीत सके। अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए BJP के लिए यह स्थिति ठीक नहीं मानी जा रही है।

कार्यकर्ताओं से नेताओं का संवाद नहीं, गुटबाजी बढ़ी
बनारस में भाजपा की एक के बाद एक हार ने संगठन के लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया है। हालांकि संगठन से जुड़े लोग खुलकर कुछ कह नहीं रहे हैं, लेकिन अंदरखाने कानाफूसी शुरू हो गई है। दबी जुबान में नेताओं का कहना है कि पार्टी के विधायक-मंत्री और कार्यकर्ताओं के बीच संवाद कम हो गया है। इस वजह से गुटबाजी भी बढ़ गई है।

इसी का नतीजा है कि MLC चुनाव, फिर दो विश्वविद्यालयों के छात्रसंघ चुनाव और अब पंचायत चुनाव में पार्टी को बुरी हार झेलनी पड़ी। मंत्रियों और विधायकों के यहां सुनवाई न होने से कार्यकर्ता खुद को उपेक्षित महसूस करने लगे हैं और उनमें अपने ही नेताओं को लेकर 2017 जैसा जोश नहीं रह गया है।

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