यूपी की 2 जेलों में 3 कत्ल और 4 लाशों के बीच भटकते एक संदिग्ध का रहस्य!

चार साल पहले जेल में हुए मुन्ना बजरंगी हत्याकांड और अब चित्रकूट जेल में हुए दोहरे हत्याकांड में अगर और भी कोई बात मिलती-जुलती है तो वे है कि, मुन्ना बजरंगी और चित्रकूट दोनो जेल हत्याकांड में स्वचालित छोटे हथियार का ही इस्तेमाल किया गया.

महज तीन साल पहले शुरू हुई सूबे की चित्रकूट जेल में दो खूंखार कैदियों का कत्ल और फिर कातिल का ठौर एनकाउंटर में मारा जाना. मतलब चंद मिनट में जेल की ऊंची चार दीवारी के भीतर 3-3 तीन लाशों के बिछ जाने की घटना ने राज्य जेल महानिदेशालय तक को कटघरे में ला खड़ा किया है. सूबे की हुकूमत और राज्य जेल महानिदेशालय अपना मुंह साफ करने के लिए एक नहीं चार-चार टीमों से उस खूनी मंजर की असलियत से परदा उठवाने की कोशिशों में लगी है. पूरे मामले का असली दोषी या फिर षडयंत्रकारी कौन है? अभी तक किसी भी जांच टीम को नहीं पता चला है. हां, इतना जरूर है कि इन चारों जांच टीमों की आंख में एक शख्स बुरी तरह से ‘करक-खटक’ रहा है.

ये शख्स राज्य जेल सेवा का ही जेलवार्डन (बंदी रक्षक) है. फिलहाल इसकी तैनाती उसी चित्रकूट जेल में बताई जाती है जहां, ईद वाले दिन यानी बीते शुक्रवार (14 मई 2021) को सुबह करीब 10 बजे खूनी होली खेली गई थी. जिसमें कुख्यात बदमाश मुकीम काला और मेराद्दुीन उर्फ मेराज का कत्ल, एक अन्य कैदी अंशुल दीक्षित द्वारा कर दिया गया था. बाद में अंशुल द्वारा बंधक बनाए गए अन्य 5 कैदियों की जान बचाने को हुई मुठभेड़ में सशस्त्र बलों ने अंशुल उर्फ अंशु को भी मौके पर ही ढेर कर दिया था.

जेल वार्डन की भूमिका संदिग्ध

एक जेल में चंद मिनट में तीन-तीन लाश बिछा दिए जाने की घटना की जांच कर रही टीम के ही एक अधिकारी ने खुद की पहचान उजागर न करने की शर्त पर कई महत्वपूर्ण जानकारियां बुधवार को दीं. इन्हीं जानकारियों के मुताबिक, घटना से ठीक पहले वाली रात यानी 13 मई (गुरुवार) 2021 को रात करीब 9 से साढ़े नौ बजे के बीच एक बंदी रक्षक (जेल वार्डन) की भूमिका फिलहाल साफ-साफ संदिग्ध दिखाई पड़ने लगी है.

ये जेल वार्डन 6 मई 2021 को कोरोना पॉजिटिव हुआ था. उसके बाद उसे नियमानुसार होम क्वारंटाइन में भेज दिया गया. मतलब किसी भी कीमत पर या किसी भी विषम परिस्थिति में इस जेल वार्डन को क्वारंटाइन क्षेत्र छोड़कर जेल परिसर में नहीं जाना था. जबकि 13 मई को रात (14 मई सुबह करीब 10 बजे जेल में हुए खून खराबे से चंद घंटे पहले) करीब 9.15 बजे यह जेल वार्डन जेल में घूमता देखा गया. इसकी गवाही सीसीटीवी कैमरे के फुटेज देते हैं.

सीसीटीवी फुटेज में नजर आया वार्डन

सीसीटीवी फुटेज और जेल विभाग सूत्रों के मुताबिक, यह संदिग्ध पाया जा रहा जेल वार्डन उस रात 15 से 20-25 मिनट तक जेल परिसर में मौजूद रहा है. जेल का जब रिकार्ड जांचा गया तो जेल रजिस्टर में इस जेल वार्डन की कोई आमद-रवानगी (आने-जाने की इंट्री) की रिपोर्ट दर्ज नहीं मिली है. मतलब यह जेल वार्डन गैर-कानूनी तरीके से जेल के भीतर पहुंचा था. जबकि कोरोना संक्रमित होने के चलते इसे ऐसा कदापि नहीं करना चाहिए था. सवाल यह पैदा होता है कि रात के वक्त आखिर यह जेल वार्डन किस काम से और बिना विजिटर रजिस्टर में इंट्री किए हुए ही जेल परिसर में गया?

इस जेल वार्डन को लेकर यूपी जेल महानिदेशालय से लेकर चित्रकूट जिला जेल प्रशासन तक के हाथ पांव फूले हुए हैं. इसकी दूसरी वजह है कि, यह वही जेल वार्डन है जो अगले दिन यानी 14 मई 2021 को जेल में दो बदमाशों के कत्ल के बाद बार-बार चीख-चीख कर दोहरे हत्याकांड के आरोपी बदमाश अंशुल दीक्षित को मुठभेड़ कर रही पुलिस टीमों के सामने “सरेंडर” करने के लिए उकसा रहा था. हांलांकि अंशुल दीक्षित ने इसकी बात पर कोई अमल नहीं किया. लिहाजा वो सशत्र पुलिस और जेल सुरक्षाकर्मियों द्वारा गोली मारकर ढेर कर डाला गया.

जांच में गलत पाया गया वार्डन का दावा

सवाल यह पैदा होता है कि आखिर, दो बदमाशों के कातिल को चीख-चीख कर “सरेंडर” करने के लिए यही इकलौता जेल-वार्डन आखिर क्यों प्रोत्साहित कर रहा था? अगर इस जेल वार्डन का दो हत्याओं के आरोपी बदमाश अंशुल दीक्षित से कोई विशेष लगाव या स्वार्थ नहीं था! इन्हीं तमाम उलझे हुए सवालों के जबाब पाने के लिए जांच टीमों ने अपने अपने तरीके से इस संदिग्ध जेल वार्डन (चित्रकूट जेल) से पूछताछ की. पूछताछ के दौरान जेल-वार्डन कई सवालों का जबाब नहीं दे सका. जो जबाब दिए जांच में वे गलत पाए गए.

मसलन इस जेल वार्डन से जांच अधिकारियों ने जब होम क्वारंटाइन के बाद भी घटना से एक रात पहले उसके बिना जेल रजिस्टर में इंट्री के जाने की वजह पूछी. तो संदिग्ध ने जबाब दिया कि वो जेल अस्पताल में दवाई लेने गया था. जब जांच टीमों ने इस जबाब की जेल अस्पताल कर्मचारियों-डॉक्टर्स से क्रॉस-चेक किया तो, संदिग्ध जेल वार्डन का जबाब झूठा साबित हो गया.

अंशुल सरेंडर कर दो…

यूपी जेल महानिदेशालय सूत्रों की माने तो चित्रकूट जेल परिसर में दो बदमाशों का कत्ल करने के बाद जब पुलिस दोहरे हत्याकांड को अंजाम देने वाले बदमाश अंशुल को काबू करने पहुंची तो, उस वक्त पुलिस पार्टी के साथ ही आखिर यह जेल वार्डन भी मुठभेड़ स्थल पर किस नीयत से घुसकर पहुंच गया. जहां पहुंचते ही इस जेल वार्डन ने चीखना शुरु कर दिया कि, “अंशुल सरेंडर कर दो.” जबकि हत्यारोपी बदमाश अंशुल दीक्षित दो कत्ल करने के बाद 5 अन्य कैदियों को भी बंधक बनाए उनकी जान ले लेने की धमकियां दे रहा था. इस सबसे ज्यादा जो सनसनीखेज जानकारी अब तक जांच टीमों को मिली है वो और भी कहीं ज्यादा चौंकाने वाली है.

इस जानकारी के मुताबिक उक्त संदिग्ध जेल वार्डन चार साल पहले साल 2018 के अंत में जब, पश्चिमी उत्तर प्रदेश की बागपत जेल में पूर्वांचल के कुख्यात माफिया डॉन मुन्ना बजरंगी की गोली मारकर हत्या की गई. उस वक्त बागपत जेल में ही तैनात था. ऐसे में जांच टीमें इस नजरिए से भी पड़ताल में जुटी हैं कि, कहीं ऐसा तो नहीं इसी एक अदद संदिग्ध लग रहे जेल-वार्डन की भी दोहरे हत्याकांड में जाने-अनजाने कोई मिली-भगत न रही हो! चार साल पहले जेल में हुए मुन्ना बजरंगी हत्याकांड और अब चित्रकूट जेल में हुए दोहरे हत्याकांड में अगर और भी कोई बात मिलती-जुलती है तो वे है कि, मुन्ना बजरंगी और चित्रकूट दोनो जेल हत्याकांड में स्वचालित छोटे हथियार का ही इस्तेमाल किया गया

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