चित्रकूट जेल गोलीकांड : क्यों फफक-फफक कर रो पड़े खूंखार कैदी ? Inside Story में पढ़िए हैरान करने वाली वजह
बुधवार को जब इन्हीं पांच चश्मदीद कैदियों के बयान लेने शुरु किए तो इनमें से कुछ कैदी बयान देने से पहले ही फफक-फफक कर जांच टीमों के सामने (वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान) रो पड़े.
उत्तर प्रदेश की चित्रकूट जिला जेल में बीते शुक्रवार (14 मई 2021) को हुए खूनी तांडव के बाद हर दिन कुछ न कुछ नई और बड़ी खबर निकल कर बाहर आ रही है. दो कैदियों के जेल में हुए कत्ल और उसके बाद तीसरे कैदी के मुठभेड़ में मारे जाने के बाद, तमाम स्तर पर घटना की उच्च स्तरीय जांच शुरु कर दी गई हैं. उत्तर प्रदेश राज्य जेल महानिदेशालय सूत्रों के मुताबिक, जांच चार स्तर पर कराई जा रही है.
पहली मजिस्ट्रियल, दूसरे चित्रकूट जिला जेल स्तर पर, तीसरी राज्य जेल महानिदेशालय की टीम द्वारा और चौथी व संयुक्त जांच चित्रकूट जिला प्रशासन व पुलिस (थाना) द्वारा की जा रही है. इन्हीं तमाम जांच के दौरान बुधवार को कुछ टीमों ने बीते शुक्रवार को जेल में घटित खूनी वारदात के बाबत कुछ गवाहों के बयान दर्ज करने शुरु किए.
बयानों की वीडियो रिकॉर्डिंग भी की जा रही है
यह बयान कोरोना संक्रमण के चलते वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए दर्ज हो रहे थे. बयान दर्ज होने के दौरान जेल परिसर में चश्मदीदों के बतौर जेल स्टाफ, अफसर और यहां बंद कैदी मौजूद थे. गवाहों ने अपने-अपने स्तर पर उन्हें जो कुछ मालूम था बयान के बतौर रिकॉर्ड करवा दिया गया. चित्रकूट जिला जेल सूत्रों के मुताबिक, इन तमाम बयानों की वीडियो रिकॉर्डिंग भी की गई है.
ताकि आने वाले कल में जब जांच में सामने आए बिंदुओं पर अंतिम सजा का निर्णय हो, तो किसी को कहीं कोई आपत्ति न हो. चश्मदीदों के बयानों की वीडियो रिकॉर्डिंग की दूसरी वजह यह भी है कि, चूंकि जेल में तीन-तीन विचाराधीन कैदियों की मौत हुई है. मारे जा चुके इन तीनों कैदियों को अभी कोर्ट द्वारा सजा सुनाया जाना बाकी था.
इसलिए की जा रही है चार स्तर पर जांच
लिहाजा आने वाले कल में कोर्ट में जांच रिपोर्ट जाने पर अदालत ही कहीं जांच पर कोई सवालिया निशान न लगा दे. इसलिए भी इस एक घटना की चार-चार स्तर पर जांच की जा रही है. ताकि राज्य जेल महानिदेशालय या फिर जो भी अन्य जांच टीमें कोर्ट में अपनी-अपनी रिपोर्ट दाखिल करें, उसमें कहीं कोई झोल बाकी न रह जाए.
दूसरी ओर चित्रकूट जिला पुलिस मुख्यालय के एक उच्च पदस्थ अधिकारी के मुताबिक, “इस घटना की सभी अपने अपने स्तर पर जांच कर रहे हैं. वे सब जांच दोषियों के खिलाफ जेल महानिदेशालय द्वारा विभागीय कार्रवाई में काम आएंगीं. जहां तक कानूनी रुप से जांच का विषय या बिंदु है. तो उसमें कोर्ट के सामने प्रथम दृष्टया स्थानीय थाना पुलिस और न्यायिक जांच रिपोर्ट को ही अहमियत दी जाएगी.
कई कैदियों के भी दर्ज हुए बयान
पुलिस की तफ्तीश के आधार पर ही चित्रकूट जिला जेल में शुक्रवार को हुई दो कैदियों की हत्या और एक कैदी की मुठभेड़ में हुई मौत का मामला कानूनी तौर पर आगे बढ़ेगा.” राज्य जेल महानिदेशालय के एक आला-अधिकारी के मुताबिक, “अब तक (बुधवार 19 मई 2021) जिन लोगों के बयान दर्ज हुए हैं उनमें जेल कर्मचारी-अधिकारी सहित कई कैदी भी शामिल हैं.
इनमें सबसे महत्वपूर्ण बयान उन पांच कैदियों के हैं, दो कैदियों (मुकीम काला और मेराज) की हत्या के बाद बदमाश अंशुल दीक्षित ने हथियारों के बल पर बंधक बना लिया था. दो कैदियों के दिन-दहाड़े हत्या की खबर सुनकर जब सशस्त्र बलों और जेल सुरक्षाकर्मियों ने अंशुल दीक्षित (दो कैदियों का हत्यारोपी) को काबू करने की कोशिश की, तो उसने इन्हीं पांच कैदियों को बंधक बना लिया था.
बयान देने से पहले रो पड़ कैदी
अंशुल को उम्मीद थी कि वो इन कैदियों को कत्ल करने की धमकी देकर सरेंडर करके अपनी जान बचा लेगा. हुआ मगर उसकी इस सोच के एकदम उलट था. मौका देखकर पुलिस और जेलकर्मियों ने अंशुल दीक्षित को मुठभेड़ में मार डाला. साथ ही अंशुल दीक्षित के कब्जे में बंधक बने पांचों कैदियों को कोई नुकसान नहीं होने दिया था. बुधवार को जब इन्हीं पांच चश्मदीद कैदियों के बयान लेने शुरु किए तो इनमें से कुछ कैदी बयान देने से पहले ही फफक-फफक कर जांच टीमों के सामने (वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान) रो पड़े. अफसरों ने जब उन्हें शांत किया तब उन्होंने अपने इस तरह बिलख कर रो पड़ने की जो वजह बताई, उसे देख-सुनकर जांच अधिकारी भी सिहर उठे. इन पांचों कैदियों का एक सा ही बयान था.
उनका कहना था कि, “जब अंशुल दीक्षित ने दो कैदियों को हमारी आंखों के सामने गोली मारकर लाश में तब्दील कर दिया, तो उसने हम सबको भी काबू कर लिया. चूंकि उसके पास लोडिड हथियार था. हम सब निहत्थे थे. इसलिए खुद की जान जोखिम में पड़ी देखकर चुप्पी साध गए. इससे भी बुरा दौर तब आया जब, दूसरी ओर से पुलिस और जेलकर्मियों ने अंशुल पर निशाना साधकर अंधाधुंध गोलियां झोंकनी शुरु कर दीं. तब हमें लगा कि, अब अकाल मौत तय है. बस इंतजार इसका था कि हम अंशुल दीक्षित की गोलियों से मरेंगे या फिर सामने पुलिस-जेलकर्मियों की ओर से झोंकी जा रही किसी गोली से.”
जेल स्टाफ की संदिग्ध भूमिका
अब तक जांच में जो कुछ सामने आ रहा है, उसमें भी सीधे-सीधे इस दोहरे हत्याकांड और एक मुठभेड़ में जेल स्टाफ की ही संदिग्ध भूमिका सामने निकल कर आने की पूरी उम्मीद है. जांच में जुटी चारों जांच टीमें इस बात पर खासकर गौर कर चुकी हैं कि आखिर, घटना वाले दिन जेल के सीसीटीवी क्यों नहीं चल रहे थे? क्या जेल के सीसीटीवी कैमरे घटना वाले दिन या उससे एक दो दिन पहले किसी षडयंत्र के तहत कथित रुप से खराब किए गए थे. या फिर वाकई वो सब खराब पड़े थे. अगर वास्तव में कैमरे खराब थे तो फिर उसके बाबत जेल अधिकारियों ने मुख्यालय स्तर पर किसको क्या बताया था?