UP-TET पेपर लीक में पुलिसवाला भी वांटेड …. आगरा के सिपाही ने भाई के जरिए 5 लाख में बेचे थे पेपर, AMU में हुई थी सॉल्वर से दोस्ती
उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा (UP-TET) पेपर लीक मामले में आगरा का एक पुलिसवाला भी वांटेड है। STF सिपाही की तलाश कर रही है। जांच में सामने आया है कि सिपाही ने अपने भाई के जरिए एक सॉल्वर को 5 लाख रुपए में पेपर बेचा था। सॉल्वर के पकड़े जाने के बाद से सिपाही, उसका भाई और गिरोह के अन्य सदस्य फरार हैं।
पेपर लीक मामले में 30 नवंबर को अलीगढ़ के टप्पल निवासी गौरव की गिरफ्तारी के बाद सिपाही उपदेश की भूमिका सामने आई। गौरव ने 2-2 लाख रुपए में 5 अभ्यर्थियों को पेपर बेचा था। लेकिन उसे यह पेपर कैसे मिला STF ने इसकी छानबीन की तो चौंकाने वाला खुलासा हुआ।
गौरव ने बताया कि उसने अलीगढ़ के गोंडा में रहने वाले निर्दोष और विष्णु से 5 लाख रुपए में पेपर खरीदा था। इन दोनों से पेपर खरीदने का सौदा कॉलेज के दोस्त उपदेश के जरिए हुआ था। उपदेश पेपर मुहैया कराने वाले निर्दोष का भाई है और उसके साथ अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का छात्र रहा है।
केवल 5 अभ्यर्थियों को पेपर बेचने की शर्त पर हुआ था सौदा
STF की पूछताछ में गौरव ने बताया कि प्रश्नपत्र आउट होने वाले दिन 28 नवम्बर को शामली से गिरफ्तार आरोपी उसके ही गैंग के सदस्य थे। उनकी गिरफ्तारी के बाद गिरोह के अन्य सदस्यों के साथ वह प्रदेश से बाहर भागने की फिराक में था। उसने बताया निर्दोष और विष्णु एक साथ 5 से ज्यादा लोगों को प्रश्नपत्र नहीं बेच रहे थे। उसने खुद पेपर खरीदने के साथ अपने साथी धर्मेन्द्र मलिक, रवि पावर उर्फ बंटी, मनीष मलिक उर्फ मोनू और अजय उर्फ बबलू को भी दिलवाया था।
प्रश्नपत्र की यह खरीद फरोख्त मथुरा में हुई थी। सौदा होने के बाद निर्दोष और विष्णु ने दो लड़कों को रुपए लेने के लिए भेजा था। तय हुआ था कि परीक्षा से कुछ घंटे पहले वॉट्सऐप पर पेपर भेजा जाएगा। लेकिन कोई भी खरीदार इसे 5 से ज्यादा अभ्यर्थियों को नहीं बेचेगा।
पुलिस की गतिविधियों पर नजर रख रहा था आरोपी सिपाही
गौरव से मिली जानकारी के बाद STF ने छानबीन की तो पता चला कि निर्दोष का भाई उपदेश आगरा में तैनात सिपाही है। 2011-12 में वह अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का छात्र रहा। दोनों भाई प्रतियोगी परीक्षाओं में नकल कराने का काम लंबे समय से कर रहे हैं। उपदेश ही TET का पेपर सॉल्वरों तक पहुंचाने का मुख्य सूत्रधार है। विभाग में होने की वजह से उसे पुलिस की गतिविधियों की भी जानकारी मिल रही थी। STF अफसरों का कहना है कि उपदेश के पकड़े जाने से पता चलेगा कि पहला प्रश्नपत्र कहां से किसके हाथ में पहुंचा था।