ANALYSIS: 23 साल बाद मिले सिंधिया और पवैया, खत्म होगी दूरी या राजनीतिक मजबूरी, जानिए INSIDE STORY

राजनीतिक जानकार देवश्री माली कहते हैं  कि ”जयभान सिंह पवैया और ज्योतिरादित्य सिंधिया की मुलाकात से ग्वालियर चंबल में राजनीतिक समीकरण बदलेंगे. क्योंकि इस वक्त दोनों नेताओं को एक दूसरे की जरूरत है. सिंधिया को बीजेपी में आने के बाद ग्वालियर चंबल के बड़े बीजेपी नेताओं से समन्वय बनाकर चलना है.”

ग्वालियरः कहते हैं राजनीति में न कोई दुश्मन होता है और न कोई दोस्त. कुछ ऐसा ही इन दिनों मध्य प्रदेश की राजनीति में देखने को मिल रहा है. ग्वालियर-चंबल संभाग में ज्योतिरादित्य सिंधिया किसी जमाने में उनके राजनीतिक दुश्मन कहे जाने वाले जयभान सिंह पवैया के घर पहुंचे.  ज्योतिरादित्य सिंधिया ने जयभान सिंह पवैया के घर पहुंचकर उनके पिता के निधन पर शोक व्यक्त किया. लेकिन 23 साल बाद दोनों नेताओं के बीच हुई यह मुलाकात चर्चा का विषय बनी हुई है.

ज्योतिरादित्य सिंधिया और जयभान सिंह पवैया ने बंद कमरे में मुलाकात की. बातचीत के बाद दोनों नेता मीडिया के सामने आए और बताया कि हम दोनों ने ‘नया संबंध, एक नया रिश्ता कायम किया है. सिंधिया ने कहा कि अतीत-अतीत होता है, वर्तमान में हम और पवैया जी दोनों बीजेपी के कार्यकर्ता हैं’ वर्तमान-वर्तमान होता है. हम दोनों भविष्य में आगे काम करेंगे. सिंधिया के इस बयान के कई मायने हैं. दरअसल, जयभान सिंह पवैया की राजनीति महल यानि सिंधिया परिवार के खिलाफ ही रही है.

रूठों को मनाना, या नए संबंध बनाना 

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया जब से बीजेपी में शामिल हुए हैं तब वह इसी कोशिश में है कि ग्वालियर-चंबल अंचल में जो नेता बीजेपी में रहते हुए उनके राजनीतिक विरोधी रहे हैं, अब उनसे संबंध अच्छे किए जाए. क्योंकि इस बार सिंधिया अपने दौरे में केवल जयभान सिंह पवैया ही नहीं बल्कि ग्वालियर-चंबल के सभी आएसएस और बीजेपी नेताओं के घर पहुंचे. ऐसे में माना जा रहा है कि सिंधिया रूठों को मनाने में भी जुटे हैं तो नए संबंध भी बना रहे हैं.

कैबिनेट में जगह चाहिए तो संगठन में पैठ बनाइए’ 
माना जा रहा है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया को जल्द ही केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह मिल सकती है. ऐसे में सिंधिया अपने तीन दिवसीय मध्य प्रदेश दौरे पर बीजेपी के तमाम छोटे-बड़े सभी नेताओं से मिले. उन्होंने वीडी शर्मा, सीएम शिवराज सहित प्रदेश के वरिष्ठ मंत्री गोपाल भार्गव से लेकर भूपेंद्र सिंह तक से मुलाकात की. सिंधिया बीजेपी संगठन के नेताओं से भी मिले. सिंधिया ने भोपाल में कहा कि वे उनके दादाजी और पिता के पदचिन्हों पर चलते हैं. पद मिले या नहीं, सिंधिया परिवार का एकमात्र लक्ष्य लोगों की निरंतर सेवा करना है. लेकिन सियासी पंडित सिंधिया की इन मेल मुलाकातों को मोदी कैबिनेट में जगह के तौर मिलने को ही मान रहे हैं. इसलिए सिंधिया खाटी संघी नेताओं से भी मिल रहे हैं. पवैया से उनकी मुलाकात पर एक अंदाजा यह भी लगाया जा रहा है.

पुराना है पवैया और सिंधिया की अदावत का इतिहास

महल के खिलाफ रहे हैं जयभान सिंह पवैया 
इतिहास में जाकर देखें तो आएसएस से जुड़े बीजेपी नेता जयभान सिंह पवैया की राजनीति महल के खिलाफ रही है. आएसएस से जुड़े बीजेपी नेता जयभान सिंह पवैया  1998 के लोकसभा चुनाव में ज्योतिरादित्य सिंधिया के पिता माधव राव सिंधिया के खिलाफ चुनाव लड़े थे और उन्होंने सामंतवाद को चुनावी मुद्दा बनाया था. हालांकि वे यह चुनाव हार गए. लेकिन माधवराव महज 26 हजार वोटों से चुनाव जीते थे, यानि पवैया ने उन्हें चुनाव में कड़ी टक्कर दी थी.  लेकिन इसके बाद माधवराव ने अपना संसदीय क्षेत्र बदलकर गुना-शिवपुरी कर दिया था. बाद में पवैया अगला चुनाव ग्वालियर संसदीय क्षेत्र से जीत गए.

सिंधिया से 23 साल रही पवैया की सियासी अदावत
जयभान सिंह पवैया करीब 23 साल तक सिंधिया के विरोधी रहे. लेकिन अब जब ज्योतिरादित्य सिंधिया बीजेपी में आ गए तो समीकरण बदलते दिख रहे हैं. पवैया केवल माधवराव के खिलाफ ही नहीं बल्कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के खिलाफ भी चुनाव लड़ चुके हैं. पवैया को बीजेपी 2014 में ज्योतिरादित्य सिंधिया के खिलाफ गुना-शिवपुरी संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ाया था. इस चुनाव में उन्होंने कहा था- मैं किसी मुक्तिधाम की नहीं, राष्ट्र पर प्राणों की आहुति देने वालों की चरण रज लेकर आया हूं. ये कटाक्ष उन्होंने सिंधिया राजघराने की छतरी बनाम रानी लक्ष्मीबाई की बलिदान स्थल की मिट्टी के संबंध में किया था. इस पर काफी बवाल मचा था. ज्योतिरादित्य सिंधिया जब कांग्रेस में थे तब पवैया समय-समय पर महल पर जुबानी हमला बोलते रहे हैं. हालांकि जयभान सिंह पवैया के ज्योतिरादित्य की दादी राजमाता विजयाराजे सिंधिया के साथ संबंध अच्छे रहे हैं. पवैया उनके साथ कई धर्म सभाओं में शामिल हुए हैं. लेकिन कांग्रेस में शामिल रहे उनके बेटे और पोते के खिलाफ पवैया हमेशा मुखर रहे हैं.

पवैया-सिंधिया की मुलाकात से बदलेंगे समीकरणः राजनीतिक जानकार
वहीं ज्योतिरादित्य सिंधिया और जयभान सिंह पवैया की मुलाकात पर ग्वालियर के वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक जानकार देवश्री माली कहते हैं  कि ”जयभान सिंह पवैया और ज्योतिरादित्य सिंधिया की मुलाकात से ग्वालियर चंबल में राजनीतिक समीकरण बदलेंगे. क्योंकि इस वक्त दोनों नेताओं को एक दूसरे की जरूरत है. सिंधिया को बीजेपी में आने के बाद ग्वालियर चंबल के बड़े बीजेपी नेताओं से समन्वय बनाकर चलना है, क्योंकि वह खुद को बीजेपी में मजबूत करना चाहते हैं. ऐसे में पवैया सबसे अहम है. तो पवैया 2018 का चुनाव हार चुके हैं, लेकिन जिस हिसाब से सिंधिया का कद बीजेपी में बढ़ रहा है ऐसे में भविष्य की राजनीति को देखते हुए पवैया के लिए भी सिंधिया जरूरी हैं.”

देवश्री माली कहते हैं कि ”कुल मिलाकर देखा जाए तो ज्योतिरादित्य सिंधिया और जयभान सिंह पवैया की यह मुलाकात एक-दूसरे को साधने के लिए ही हुई है. क्योंकि दोनों नेताओं को भविष्य में एक ही दल में रहकर राजनीति करनी है. ऐसे में दोनों को एक दूसरे समन्वय बनाकर चलना होगा. हालांकि वह कहते हैं कि पवैया से ज्यादा यह मुलाकात सिंधिया के लिए मायने रखती है क्योंकि सिंधिया केंद्रीय नेतृत्व को यह दिखाना चाहते हैं कि बीजेपी में शामिल होने के बाद उनके रिश्ते सबसे अच्छे हैं और वह सबसे तालमेल बनाकर चल रहे हैं. यानि सिंधिया बीजेपी आलाकमान को यह संदेश देना चाहते हैं कि भविष्य में जो उनके विरोधी रहे हैं आज उनसे भी उनके संबंध अच्छे हैं. तो सिंधिया इस वक्त बीजेपी में अपने आप को एक बड़े छत्रप के तौर पर पेश कर रहे हैं.”

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