एयरटेल एरिक्सन ने गुरुग्राम में किया 5G ट्रायल, सामने आई 1 GB प्रति संकेड की जबर्दस्त रफ्तार

भारती एयरटेल, एरिक्सन ने सोमवार को गुड़गांव के साइबर हब में कंपनी के 5जी ट्रायल नेटवर्क पर एक जीबीपीएस थ्रूपुट (डेटा हस्तांतरण की दर) का प्रदर्शन किया।

नयी दिल्ली। भारती एयरटेल, एरिक्सन ने सोमवार को गुड़गांव के साइबर हब में कंपनी के 5जी ट्रायल नेटवर्क पर एक जीबीपीएस थ्रूपुट (डेटा हस्तांतरण की दर) का प्रदर्शन किया। संपर्क किए जाने पर एरिक्सन ने घटनाक्रम की पुष्टि की। एरिक्सन ने कहा, “भारती एयरटेल और एरिक्सन ने आज गुड़गांव के साइबर हब में भारती के लाइव 5जी ट्रायल नेटवर्क पर एक जीबीपीएस थ्रूपुट का प्रदर्शन किया।” सूत्रों ने कहा कि एयरटेल ने साइबर हब में अपने 5जी ट्रायल नेटवर्क की शुरुआत की और दूरसंचार विभाग के नियमों के अनुरूप परीक्षण की जगह पर 3500 मेगाहर्टज रेडियो स्पेक्ट्रम बैंड का प्रयोग किया जा रहा है।

रिलायंस कर चुकी है 1 जीबीपीएस का परीक्षण 

रिलायंस इंडस्ट्रीज के चैयरमैन एवं प्रबंध निदेशक मुकेश अंबानी ने रिपोर्ट में कहा कि क्वालकॉम और जियो ने जियो भारत में 5जी का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है। जियो 5जी निदान पर एक जीबीपीएस स्पीड का महत्वपूर्ण मुकाम हासिल किया गया है। रिलायंस ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा कि जियो डिजिटल प्लेटफॉर्म और स्वदेशी तरीके से विकसित अगली पीढ़ी की 5जी सेवाएं पेश करने की प्रक्रिया को गति दे रही है। भारत के “वैश्विक डिजिटल क्रांति” में अग्रणी भूमिका निभाने का जिक्र करते हुये यह कहा गया है। रिपोर्ट के अनुसार रिलायंस जियो ने अगले 30 करोड़ मोबाइल ब्रॉडबैंड सेवा उपयोगकर्ताओं, जियो फाइबर का इस्तेमाल करने वाले पांच करोड़ घरों और पांच करोड़ सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम व्यापार इकाइयों के लिए पर्याप्त नेटवर्क क्षमता का निर्माण किया है।

5जी प्रौद्योगिकी पूरी तरह सुरक्षित

सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीओएआई) ने कहा है कि 5जी प्रौद्योगिकी के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव को लेकर जो चिंता जताई जा रही है, वह पूरी तरह गलत है। अभी तक जो भी प्रमाण उपलब्ध हैं उनसे पता चलता है कि अगली पीढ़ी की प्रौद्योगिकी पूरी तरह सुरक्षित है। सीओएआई ने इस बात पर जोर दिया कि 5जी प्रौद्योगिकी ‘पासा पलटने’ वाली होगी और इससे अर्थव्यवस्था और समाज को जबर्दस्त फायदा होगा। सीओएआई रिलायंस जियो, भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया जैसी बड़ी कंपनियों का प्रतिनिधित्व करती है। एसोसिएशन ने कहा कि भारत में दूरसंचार क्षेत्र में इलेक्ट्रोमैग्नेटिक विकिरण सीमा को लेकर पहले ही कड़े नियम हैं। वैश्विक रूप से मान्य मानकों की तुलना में भारत में नियम अधिक सख्त हैं।

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