MP का स्कैम ‘मास्टर’:झूठे कागजों से पत्नी की नौकरी लगवाने पर शिक्षक को 7 साल की जेल; 3 महीने पैरोल मिली तो फर्जी मेडिकल बनाकर ‘जेल टाइम’ की भी पगार ली

फर्जीवाड़ा के मामले में जेल की सजा काट रहे भिंड के एक शिक्षक ने पैरोल पर आकर एक और फर्जीवाड़ा कर दिया। उसे फर्जी दस्तावेज के आधार पर अपनी पत्नी की नौकरी लगवाने के मामले में 7 साल की सजा हुई थी। पैरोल पर बाहर आया तो मेडिकल लीव सर्टिफिकेट बनवाकर जेल में काटे 3 महीने का वेतन भी ले लिया। उसने यही सर्टिफिकेट शिक्षा विभाग में जमा करा दिया और नौकरी भी करने लगा। अब फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ तो जिला शिक्षा अधिकारी, संकुल प्राचार्य से लेकर जेडी ऑफिस के अफसर तक एक-दूसरे को जिम्मेदार बता रहे हैं।

मामला अटेर विकास खंड के सरकारी हाई स्कूल लावन का है। यह कारनामा शिक्षक राजेश बाबू त्रिपाठी पुत्र लालता प्रसाद निवासी मधैयापुरा अटेल हाल अशोक कॉलोनी ने किया है। उसने दूर की रिश्तेदार सीमा प्रवेश चतुर्वेदी से शिक्षा विभाग में नौकरी लगवाने का झांसा देकर तमाम दस्तावेज ले लिए। बाद में इन दस्तावेज के आधार पर अपनी पत्नी क्रांति देवी की संविदा शिक्षक वर्ग 3 में नौकरी लगवा ली।

क्रांति देवी स्वयं को सीमा बताकर नौकरी करने लगी। जब यह जानकारी सीमा और उसके पति प्रवेश को लगी तो उन्होंने शिक्षा विभाग से लेकर पुलिस अफसरों से शिकायत की। गोहाद चौराहा थाने में राजेश और उसकी पत्नी क्रांति देवी के खिलाफ धोखाधड़ी का केस दर्ज हुआ। कोर्ट ने फरवरी 2021 में दोनों को 7-7 साल की सजा और पांच हजार रुपए का जुर्माना लगाया।

अफसरों से साठगांठ करके फिर जॉइनिंग

राजेश त्रिपाठी को जेल होने के बाद करीब तीन महीने तक जेल में रहा। इसी दौरान कोरोना संक्रमण फैलने पर उसे 5 मई को जमानत मिल गई। इस दौरान शिक्षा विभाग के अफसरों द्वारा कोई एक्शन नहीं लिया गया। उल्टा मेडिकल लीव मान पूरी तरह रियायत दी जाती रही।

विभागीय सूत्रों के मुताबिक जैसे ही आरोपी पैरोल पर बाहर आया पूर्व रचित षड्यंत्र पूर्वक आरोपी ने मेडिकल लीव का सर्टिफिकेट विभाग को थमाया और नौकरी जॉइनिंग कर ली। इसके बाद 3 महीने की सैलेरी डेढ़ लाख रुपए के लिए आवेदन दिया। सूत्रों की बात पर विश्वास करें तो विभाग से तीन महीने का डेढ़ लाख रुपए वेतन के तौर पर आरोपी निकाल चुका है, जबकि जिला शिक्षा अधिकारी वेतन को लेकर इनकार कर रहे हैं।

पीड़िता की शिकायत पर खुला मामला

इस मामले में पीड़ित सीमा शर्मा ने विभागीय अफसरों से शिकायत की और कहा कि फर्जीवाड़े का आरोपी जेल से बाहर आने के बाद नौकरी जाॅइन कर ली है, जबकि नियमानुसार बर्खास्त की कार्रवाई होनी चाहिए। मामला यहीं तक सीमित नहीं है आरोपी वेतन भी निकाल रहा है। सीमा की शिकायत को शिक्षा विभाग के अफसरों ने अनसुना कर दिया। इस शिकायती आवेदन में पीड़िता ने आरोपी के गांव के एक लिपिक की भूमिका पर सवाल खड़े किए हैं। पीड़िता सीमा का कहना है कि आरोपी राजेश के गांव का एक कर्मचारी विभाग में है जो पूरे षड्यंत्र में आरोपी का साथ दे रहा है। वह अफसरों से साठगांठ करा रहा है।

बचाव के लिए कागजी कार्रवाई

इस पूरे मामले में जिला शिक्षा अधिकारी हरभुवन तोमर की भूमिका संदिग्ध बनी हुई है। सूत्र बताते है कि यह फर्जीवाड़े के आरोपी शिक्षक की जॉइनिंग का मामला सामने आते ही पिछली डेट में एक जांच दल गठित कर दिया गया है।

सीधी बातचीत

हरभुवन सिंह तोमर, जिला शिक्षा अधिकारी, भिंड

शिक्षक राजेश त्रिपाठी पर फर्जीवाड़े का आरोप सिद्ध होने के बाद विभागीय तौर पर कार्रवाई क्यों नहीं हुई?

  • न्यायालय द्वारा दोषी करार दिए जाने की जानकारी नहीं मिली।

जब राजेश को सजा हुई उस दिन प्रकाशित खबरों में आपका वर्जन था कि आरोपी शिक्षक को बर्खास्त किया जाएगा?

  • न्यायालय से कोई दस्तावेज प्राप्त नहीं हुआ। मैंने लिखित में जेडी ऑफिस ग्वालियर को भी सूचना दे दी थी।

फर्जीवाडे में दोषी शिक्षक जेल से पैरोल पर बाहर आने के बाद शिक्षा विभाग में जॉइनिंग कैसे मिल गई?

  • यह संकुल स्तर पर जॉइनिंग दी गई है। मैंने जांच के लिए दल बनाया है।

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