UP में 30 हजार करोड़ के घोटाले की बू:इलाहाबाद HC ने यूपी सरकार को नोटिस भेजा; नोएडा, यमुना एक्सप्रेस-वे और GNIDA में घोटाले को लेकर दायर याचिका में CAG रिपोर्ट का हवाला
उत्तर प्रदेश में एक बड़े घोटाले की खबर सामने आ रही है। यह घोटाला नोएडा, ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास अथॉरिटी (GNIDA) व यमुना एक्सप्रेस-वे विकास प्राधिकरण में हुआ है। इस संबंध में इलाहाबाद हाईकोर्ट में कैग की रिपोर्ट का हवाला देते हुए एक याचिका दाखिल की गई है। इसकी सुनवाई करते हुए कोर्ट ने नोएडा, GNIDA और यमुना एक्सप्रेस वे विकास प्राधिकरण में 30 हजार करोड़ रुपए के कथित घोटाले को लेकर दायर इस याचिका को लेकर कोर्ट ने यूपी सरकार को नोटिस जारी किया है।
याचिका में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) की उस रिपोर्ट का हवाला दिया गया है, जिसमें कहा गया है कि तीस हजार करोड़ का घोटाला हुआ है। याची की मांग पर न्यायमूर्ति रितु राज अवस्थी और न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की खंडपीठ ने भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक को एक पक्ष के रूप में शामिल किया है।
CBI व ED से जांच कराने की मांग
यह आदेश अभिषेक त्रिपाठी द्वारा एडवोकेट श्रेया चौधरी के माध्यम से दायर याचिका पर आया है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि सीएजी का मसौदा तैयार किया गया है। नोएडा, जीएनआईडीए और यमुना एक्सप्रेसवे विकास प्राधिकरण के खातों के संबंध में लेखापरीक्षा रिपोर्ट सार्वजनिक डोमेन में नहीं रखी गई है।
याचिका में आगे कहा गया है कि चूंकि नोएडा, GNIDA और यमुना एक्सप्रेस वे विकास प्राधिकरण के कामकाज में सार्वजनिक व्यय शामिल है। लिहाजा सीएजी की रिपोर्ट को सार्वजनिक डोमेन में रखा जाना आवश्यक है। याची ने यह भी कहा कि अदालत की निगरानी में इस मामले की सीबीआई और ईडी से जांच कराई जाए।
राज्य सरकार ने दबाव में कराया सीएजी ऑडिट
- कोर्ट ने उत्तर प्रदेश राज्य के अधिकारियों और इंफ्रास्ट्रक्चर एंड इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कमिश्नर (IIDC) को नोटिस जारी करते हुए कहा कि हम रिट याचिका में लगाए गए आरोपों पर विपक्षी दलों की प्रतिक्रिया जानना चाहेंगे।
- याचिका में कहा गया है कि राज्य कार्यकारिणी द्वारा कई प्रयास किए गए थे कि किसी तरह सीएजी को नोएडा, जीएनआईडीए और यमुना एक्सप्रेसवे विकास प्राधिकरण के मामलों में ऑडिट करने की अनुमति न दी जाए, लेकिन जनहित याचिकाओं और सार्वजनिक आलोचनाओं के बाद राज्य सरकार को सीएजी ऑडिट करने पर मजबूर होना पड़ा।
- याचिका में कहा गया है कि यदि रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार के इन आरोपों की जांच नहीं की गई और भ्रष्टाचार से अंकुश हट गया तो राज्य की वित्तीय स्थिति और अधिक खराब हो जाएगी। सीएजी रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं करना और इसे रोककर रखना, खासकर जब भूमि जैसे प्राकृतिक संसाधनों में दुरुपयोग और भ्रष्टाचार के मामले समय-समय पर सामने आते रहे हों, संविधान के अनुच्छेद 14 और अनुच्छेद 21 के तहत अपराध है।
याचिका में 4 प्रमुख मांगें
- उत्तर प्रदेश राज्य को इस प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए निर्देशित करें, ताकि नोएडा, जीएनआईडीए और यमुना एक्सप्रेसवे विकास प्राधिकरण के खातों में सीएजी ऑडिट रिपोर्ट सार्वजनिक डोमेन में जारी की जा सके।
- नोएडा, जीएनआईडीए और यमुना एक्सप्रेसवे विकास प्राधिकरण के मामलों में सीएजी ऑडिट रिपोर्ट की सिफारिशों के अनुसार भ्रष्टाचार और भूमि और अन्य संसाधनों के दुरुपयोग/दुरुपयोग के मामलों में अदालत की निगरानी में स्वतंत्र जांच कराई जाए।
- इसके बाद दोषी पाए जाने वाले भ्रष्टाचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए, ताकि ऐसे भ्रष्टाचार के मामले फिर अपना सिर न उठा सकें।
- धोखाधड़ी/गलत तरीके से बेची गई/खरीदी गई भूमि की वसूली के साथ-साथ ऐसी भूमि के अनधिकृत उपयोग/व्यावसायिक शोषण के कारण सरकारी खजाने को हुए नुकसान की वसूली की जाए।