चंबल में नेता-माफिया का गठजाेड़, ईमानदारी से कार्रवाई की ताे पाेस्ट से हटवा देते हैं
यहां रेत माफिया से भी ईमानदार सरकारी अफसर लंबी लड़ाई लड़ते आ रहे हैं लेकिन काबू नहीं पा सके।
अफगानिस्तान में अमेरिका ने तालिबान को हराने के लिए 20 साल मेहनत की, आखिरकार उसे वापस लौटना पड़ रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि अफगानिस्तान के सिस्टम में ही तालिबान समर्थक मौजूद हैं। ग्वालियर के चंबल क्षेत्र में भी कुछ ऐसे ही हालात है। यहां रेत माफिया से भी ईमानदार सरकारी अफसर लंबी लड़ाई लड़ते आ रहे हैं लेकिन काबू नहीं पा सके। इसका कारण है वहां नेता-माफिया का ऐसा गठजोड़ है जो या तो अफसर को पोस्ट से हटवा देते हैं या फिर ट्रैक्टर चढ़ा देते हैं। माफिया से लोहा ले रही वन विभाग की एसडीओ श्रद्दा पांढरे को हटाया जाना ताजा उदाहरण है। सरकार यदि माफिया के आगे इतनी ही लाचार है तो चंबल नदी उन्हें ही क्यों नहीं सौंप देते। उत्खनन रोकने के नाम तैनात अमले पर जो भारी-भरकम खर्च किया जा रहा कम से कम वह तो बचेगा।