स्कॉलरशिप घोटाला मामले में SIT को मिले 58 करोड़ की हेराफेरी के सबूत, पूर्व सामाजिक कल्याण मंत्री समेत कई पर FIR दर्ज

626 स्टूडेंट्स की वेरिफिकेशन में पता चला कि इनमें 45 फीसदी स्टूडेंट्स के पास कोई सर्टिफिकेट ही नहीं थे. एसआईटी (SIR Inquiry) दो साल से मामले की जांच कर रही है. अब आरोपियों के खिलाफ FIR दर्ज की गई है.

यूपी में स्कॉलरशिप घोटाले (Ghaziabad Scholarship Scam) की जांच कर रही एसआईटी को दो साल बाद बड़ी सफलता मिली है. मामले में SIT को हेराफेरी से जुड़े पुख्ता सबूत मिले हैं. गाजियाबाद के एजुकेशन इंस्टीट्यूट में 58 करोड़ की हेराफेरी के सबूत जांच एजेंसी (SIT) के हाथ लगे हैं. इस मामले में FIR भी दर्ज की गई है. पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा ऑफ मैनेजमेंट कोर्स वाले इंस्टीट्यूट में फर्जीबाड़े को लेकर रजिस्ट्रार समेत कई पर केस दर्ज किया गया है. इसमें उस समय सामाजिक कल्याण मंत्री रहे पारितोष कुमार भी शामिल हैं.

बता दें कि SIT पिछले 2 साल से 200 करोड़ के स्कॉलरशिप घोटाले की जांच कर रही है. अब जांच एजेंसी को इस मामले में बड़ी सफलता मिली है. यह घोटाला 2013 से 2017 के बीच हुआ था. 19 जून 2019 को मामले की जांच SIT को सौंपी गई थी. घोटाला मामले की शिकायत गाजियाबाद (Ghaziabad Educational Institute) के मुरादनगर के रहने वाले राम सिंह ने तत्कालीन डीएम निधि केशवानी से की थी.

पूर्व सामाजिक कल्याण मंत्री पर केस दर्ज

उन्होंने तत्कालीन सामाजिक कल्याण मंत्री पारितोष कुमार और विभाग के दूसरे अधिकारियों और कर्माचारियों पर मिलीभगत से 200 करोड़ के स्कॉलरशिप घोटाले का आरोप लगाया था. यह आरोप PGDM कोर्स संचालित करने वाले प्राइवेट ऑर्गनाइजेशन्स में घोटाले पर लगाया गया था.

58 करोड़ का स्कॉलरशिप घोटाला

SIT जांच में पता चला है कि आरोपियों ने मिलकर स्कॉलरशिप और फीस रिंबर्समेंट के लिए फर्जी एडमिशन दिखाए. 626 स्टूडेंट्स की वेरिफिकेशन में पता चला कि इनमें 45 फीसदी स्टूडेंट्स के पास कोई सर्टिफिकेट ही नहीं थे. एसआईटी दो साल से मामले की जांच कर रही है. अब आरोपियों के खिलाफ FIR दर्ज की गई है.

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