घर डूबा तो ट्रैक्टर पर तिरपाल लगाकर पांच दिन से सड़क किनारे रह रहे सैकड़ों लोग, पालतू पशु लापता
- मंडियों में कम आवक होने से सब्जियों के दाम चार गुना तक बढ़े, सबलगढ़ में एसडीआरएफ की 25 गाड़ियां मदद के लिए तैयार
पांच दिन पहले चंबल में आई बाढ़ में जब गांव डूबने लगे तो सैकड़ों लोग अपने ट्रैक्टर-ट्रॉलियों में सामान उठाकर ऊपरी इलाके में सड़कों के किनारे पहुंच गए। ये लोग ट्रेक्टर ट्रॉलियों पर तिरपाल लगाकर बारिश से बचाव कर रहे हैं। इनके पालतू पशु लापता हो गए हैं। घर पानी में डूबकर बर्बाद हो गए। फिर भी इन तक प्रशासन की ओर से कोई मदद नहीं पहुंची है। सैकड़ों लोग मंदिरों, स्कूल, पंचायत भवनों में रुके हुए हैं।
बीलपुर, कुथियाना, घेर, नीबरी पुरा, लखुआ रामगढ़, रतन बसई, चुस्सलइ, इंद्रजीत का पुरा, सुख ध्यान का पुरा, पीपरी पुरा, रामप्रकाश का पुरा, दलजीत का पुरा, बंधा, सबसुख का पुरा सहित अनेक गांवों का संपर्क कट गया है। चंबल के तटवर्ती इलाकों में मकान टूट चुके हैं। इसके साथ ही बाजरा की फसल नष्ट होने से भारी नुकसान हुआ है। इसके साथ ही बाढ़ प्रभावित इलाकों में बिजली के खंबे गिरने से बिजली गुल है और गांवों में अंधेरा पड़ा हुआ है। ऐसे में अंबाह के समाजसेवी आचार्य आनंद क्लब की टीम द्वारा पीड़ितों को भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है।

पोरसा: मेडिकल टीम प्रभावित गांवों में बांट रही दवा
शासकीय अस्पताल पोरसा की मेडीकल टीम बाढ़ प्रभावित गांव गांव पहुंचकर बाढ़ पीड़ितों को जरूरी दवाइयां बांट रही है। इसके लिए ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर डॉ. जीपी पाराशर द्वारा अपनी टीम के द्वारा ग्राम भूप का पुरा एवं खुर्द रायपुर में लोगों को जरूरी दवाइयां दीं। इसी तरह डॉक्टर जेएस राठौर की टीम के द्वारा ग्राम नयाबास, नयापुरा उसेद, रामगढ़, आदि जगहों पर दवा वितरण किया साथ ही लोगों को दवा लेने की सलाह दी गई।
पोरसा| भारी वर्षा एवं चंबल में आई बाढ़ के कारण अंबाह-पोरसा इलाके में सैकड़ों किसानों की फसलें पानी में डूब गई। ज्वार बाजरा के अलावा लौकी, तोरई, भिंडी, टमाटर, बैगन, मिर्ची जैसी फसलें बाढ़ से बर्बाद हो गई हैं। ऐसे में बाजार में सब्जियों की आवक कम होने से सब्जियां तीन से चार गुना अिधक दामों पर बिक रही हैं। लौकी 60 रुपए किलो तक तो भिंडी 50 रुपए किलो तक बिक रही है। स्थानीय नागरिकों ने बताया कि किसानों की फसल नष्ट होने से मंडी में सब्जियों की आवक बहुत कम हो गई है। पहले जो किसान 20 किलो सब्जी लेकर आता था वह अब 5 किलो तक ही सब्जी बाजार में ला रहा है।
पीड़ितों के बीच पहुंचे प्रभारी मंत्री ने दिए सर्वे के निर्देश
प्रभारी मंत्री भारतसिंह कुशवाह गत दिवस सबलगढ़ क्षेत्र के बाढ़ प्रभावित इलाकों में पहुंचे और स्थिति का जायजा लिया। उन्होंने बाढ़ प्रभावितों के बारे में अधिकारियों से जानकारी मांगी साथ ही बाढ़ प्रभावितों का सर्वे करने अधिकारियों को निर्देश दिया और कहा कि हर व्यक्ति का सर्वे किया जाना चाहिए और बाढ़ से हुए नुकसान का पूरा ब्योरा लिए जाए। इस दौरान बाढ़ पीड़ित लोगों के बीच पहुंचकर उनको मदद का भरोसा दिया। साथ ही बाढ़ पीड़ित परिवारों के बच्चों को खाद्य सामग्री प्रदान की।
सबलगढ़ | सबलगढ़ इलाके में चंबल में आई बाढ़ में फंसे लाेगों को एसडीआरएफ (स्टेट डिजास्टर रिलीफ फोर्स) की टीम ने पिछले तीन दिन में लगातार प्रभावित क्षेत्रों से निकालकर शिविर स्थलों तक पहुंचाया। इसके लिए एसडीआरएफ की 25 गाड़ियां सबलगढ़ में तीन दिन से मौजूद हैं। इस टीम ने चंबल से बाढ़ प्रभावित लोगों को लागातार रेस्क्यू किया और सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया। इसके साथ ही नगर पालिका प्रशासन द्वारा यहां भोजन-पानी की व्यवथा भी की गई।
कैलारस: समाजसेवी कर रहे बाढ़ पीड़ितों की मदद
कैलारस| विधायक सेवा मंडल के कार्यकर्त्ता शुक्रवार को चम्बल किनारे बरसेनी गांव पहुंचे। कार्यकर्ताओं ने यहां बाढ़ से घिरे लोगों को भोजन उपलब्ध कराया गया। जौरा विधायक के निज सचिव आशीष गर्ग ने बताया कि बाढ़ पीड़ित परिवारों के पास खाने की व्यवस्था न होने से उनकी मदद की पहल की है। यहां लोगों को पत्तलों पर बैठाकर खाना खिलाया गया साथ ही जरूरत का सामान भी दिया गया।
जौरा: वृद्धा बोली- बेटा हर साल पानी में डूब जाते मकान, ऊपर जगह दिबाइदे जौरा|चंबल के पानी से घिरे गांव होराबरा में युवा समाजसेवी से एक वृद्ध महिला ने अपनी व्यथा सुनाते हुए कहा कि बेटा हर साल पानी में डूब जाते मकान। मोइ ऊपर घर बनाइवे की जगह दिबाइदे। वृद्धा का कहना था कि हमारी जिंदगी बीत चली। जब से यहां रह रही हूं हर साल पानी में अपने मकान को डूबते देखती आ रही हूं। अब मेरी उमर हो गई है और कभी भी दुनिया छोड़ कर जा सकती हूं। लेकिन इससे पहले में चाहती हूं कि ऊपर मकान बनाने के लिए जगह मिल जाए तो मेरी आंखो के सामने ही बाढ़ में घिरने की समस्या से मुक्ति मिल जाएगी। ज्ञात हो कि चंबल किनारे बसे दर्जनों गांव डूब कर बाढ़ में घिर गए और इन गांवों रहने वाले सैकड़ों परिवार दशकों से घर गृहस्ती मकान फसल के बर्बाद होने का मंजर अपनी आंखों के सामने देखते चले आ रहे हैं। शुक्रवार को कुछ ऐसी ही व्यथा समाजसेवी अनिल गुप्ता को होराबरा गांव में रहने वाली 75 वर्षीय वृद्ध महिला वैजयंती देवी ने सुनाई। इस दौरान युवा समाजसेवी द्वारा लोगों को फल बिस्किट के पैकेट इत्यादि सामग्री उपलब्ध कराई एवं भोजन का प्रबंध कराया गया।