आईपीएस ऑफिसर और तीन पत्रकार कोर्ट में हुए पेश
IPS अफसरों की ट्रांसफर-पोस्टिंग को लेकर अजयपाल शर्मा की ऑडियो हुई थी वायरल, विजिलेंस ने चारों का वॉइस सैंपल मांगा
आईपीएस अधिकारियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग से जुड़ी एक ऑडियो में फंसे नोएडा के पूर्व एसएसपी अजयपाल शर्मा और तीन पत्रकार सोमवार को मेरठ कोर्ट में पेश हुए। केस की जांच कर रही मेरठ विजिलेंस टीम ने चारों को ऑडियो वॉइस सैंपल देने के लिए नोटिस दिया था। कोर्ट में इस केस में अब अगली सुनवाई 26 अगस्त को होगी। अजयपाल शर्मा फिलहाल उन्नाव जिले की पीटीसी में एसपी पद पर तैनात हैं।
वैभव कृस्ण के खुलासे के बाद मेरठ विजिलेंस थाने में हुई थी FIR
सितंबर-2020 में मेरठ के विजिलेंस थाने में आईपीएस अधिकारी अजयपाल शर्मा सहित पत्रकार चंदन राय, स्वपनिल राय और अतुल शुक्ला के खिलाफ भ्रस्टाचार अधिनियम में एफआईआर हुई थी। तत्कालीन नोएडा एसएसपी वैभव कृस्ण ने खुलासा किया था कि नोएडा के पूर्व एसएसपी अजयपाल शर्मा और चंदन राय के बीच मेरठ में पोस्टिंग को लेकर 80 लाख रुपये के लेनदेन की बात हुई। ट्रांसफर-पोस्टिंग से जुड़ी कुल नौ ऑडियो सामने आईं, जिसमें उक्त ऑफिसर और तीनों पत्रकार रुपयों के लेनदेन की बातें कर रहे हैं। एसआईटी ने अपनी जांच में उक्त आरोप सही माने थे। इस केस की सुनवाई मेरठ की एंटी करप्शन कोर्ट में चल रही है।
चंदन राय की वॉइस का लिया जा चुका है नमूना
विजिलेंस मेरठ ने आईपीएस अधिकारी अजयपाल शर्मा और बाकी तीनों पत्रकारों के ऑडियो वॉइस सैंपल मांगे हैं, ताकि मूल रिकॉर्डिंग से आवाज का मिलान किया जा सके। जेल में निरुद्ध रहते कथित पत्रकार चंदन राय की आवाज का नमूना लिया जा चुका है। चारों प्रतिवादियों ने विजिलेंस के सैंपल मांगने पर अपना बयान रखने की बात कही है। इसके लिए उन्होंने कुछ वक्त मांगा है। सोमवार को चारों लोग मेरठ कोर्ट में पेश हुए। कोर्ट ने अगली तारीख 26 अगस्त लगाई है।
पहले टैंपरिंग की जांच हो, फिर देंगे वॉइस सैंपल
सूत्रों ने बताया कि जिस रिकॉर्डिंग के बूते आईपीएस अफसरों के ट्रांसफर-पोस्टिंग में खेल होने के आरोप अजयपाल शर्मा पर लगाए जा रहे हैं, उन्होंने इस ऑडियो की दिल्ली में एक प्राइवेट कंपनी से जांच कराई है। जांच में इस रिकॉर्डिंग के टैंपरिंग होने की बात सामने आई है। हालांकि प्राइवेट कंपनी की जांच रिपोर्ट कोर्ट में कोई वजूद नहीं रखती। इसलिए आईपीएस अधिकारी अजयपाल और चारों पत्रकारों ने मांग की है कि पहले उक्त रिकॉर्डिंग की पुलिस फोरेंसिक लैब से टैंपरिंग की जांच हो। यदि रिकॉर्डिंग में टैंपरिंग नहीं पाई जाती है, तब ही उनकी वॉइस के सैंपल मिलान करने को लिए जाएं। यहां आपको बता दें कि यूपी पुलिस पहले ही इस रिकॉर्डिंग को फोरेंसिक जांच के लिए लखनऊ लैब भेज चुकी थी, जिसकी रिपोर्ट अब तक नहीं आई है।