1600 करोड़ के बिजली घोटाले में हाईकोर्ट की बड़ी टिप्पणी:सरकार से पूछा- भ्रष्टाचार के आरोपी अधिकारियों की अभी तक गिरफ्तारी क्यों नहीं हुई? पुलिस विफल तो दूसरी एजेंसी से कराएं जांच

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना के तहत झांसी में 1600 करोड़ रुपए के घोटाले पर सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि भ्रष्टाचार के आरोपी अधिकारियों की अभी तक गिरफ्तारी क्यों नहीं हुई। कोर्ट ने कहा कि अगर यूपी पुलिस विफल है तो दूसरी एजेंसी से जांच क्यों नहीं कराते। कोर्ट ने इस मामले में सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए सरकार को 24 अगस्त तक का समय दिया है।

पुलिस फेल है तो दूसरी एजेंसी से कराएं जांच
हाईकोर्ट ने कहा है कि अगर संसाधनों की कमी के कारण संबंधित थाने की पुलिस विवेचना नहीं कर पा रही है तो सरकार दूसरी जांच एजेंसी को विवेचना क्यों नहीं स्थानांतरित कर देती? यह आदेश कार्यवाहक मुख्य जस्टिस एमएन भंडारी तथा जस्टिस एससी शर्मा की खंडपीठ ने गिरराज सिंह की जनहित याचिका पर दिया है। याचिका पर अधिवक्ता एससी दुबे ने बहस की। कोर्ट ने अपर शासकीय अधिवक्ता एसए मुर्तजा को 24 अगस्त तक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है।

1600 करोड़ के घोटाले का है मामला
बुंदेलखंड विद्युतीकरण योजना के तहत झांसी के 144 गांवों में से 23 गांवों के मुआयने में 1600 करोड़ के घोटाले की बात सामने आ रही है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस घोटाले को गंभीरता से लिया है। कोर्ट ने वसूली करने व विजिलेंस जांच पूरी करने की मांग को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर राज्य सरकार से प्रगति रिपोर्ट मांगी थी। कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि भारी संख्या में गांवों के लोग विवेचना में शामिल हैं। ऐसे में अब तक क्या तथ्य इकट्ठा किए गए हैं? यदि जमानत पर नहीं हैं तो क्या अभियुक्तों को गिरफ्तार किया गया है? यदि गिरफ्तार नहीं किया गया है तो इसके पीछे क्या कारण है ?

23 गांवों में काम करवाया नहीं, 1600 करोड़ डकार गए
बुंदेलखंड विद्युतीकरण योजना के तहत झांसी जिले के 144 गांवों में विद्युतीकरण होना था। इनमें से 23 गावों में न तो कोई काम हुआ और न ही बिजली आई। इसके बावजूद अफसरों की मिलीभगत से 1600 करोड़ रुपये का घोटाला हो गया। अब इसकी विजिलेंस जांच पूरी करने की मांग को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से प्रगति रिपोर्ट मांगी है।

झांसी में दर्ज है मुकदमा
याची अधिवक्ता सतीश चंद्र दुबे का कहना है कि मेसर्स आईवीआरसीएल (इरगवरापु वेंकट रेड्डी कंस्ट्रक्शन लिमिटेड) हैदराबाद व बिजली विभाग के अभियंताओं की मिलीभगत से करोड़ों रुपए का हेरफेर किया गया है। बिना काम किए भुगतान लिया गया है। इसकी जांच विजिलेंस विभाग कर रहा है। 5 जुलाई 2019 को थाना नवाबाद झांसी में एफआइआर दर्ज कराई गई है।

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