रील्स देखने से बच्चे हो रहे मायोपिया का शिकार, जानें क्या है आंखों की ये बीमारी !
रील्स देखने से बच्चे हो रहे मायोपिया का शिकार, जानें क्या है आंखों की ये बीमारी
मायोपिया आंखों की एक गंभीर बीमारी है. भारत में इसके मामले लगातार बढ़ रहे हैं. बच्चे इसका तेजी से शिकार हो रहे हैं. रील कल्चर की वजह से भी आंखों पर असर पड़ रहा है. स्क्रीन टाइम बढ़ने से भी बच्चे मायोपिया का शिकार हो रहे हैं.

यह सुनकर हैरानी होगी लेकिन आशंका जताई जा रही है कि आने वाले 10 वर्षों में देश में बच्चों की आधी आबादी मायोपिया बीमारी का शिकार हो सकती है. डॉ समीर सूद ने टीवी9 भारतवर्ष से खास बातचीत में बताया कि जिस लिहाज से बच्चों में रील कल्चर बढ़ रहा है उससे उनकी आंखों पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है. उन्होंने बताया कि इससे धीरे धीरे आंखों की रोशनी कम होती जा रही है. डॉ समीर सूद ने बताया कि देश के शहरी और ग्रामीण हर हिस्से में यह समस्या बढ़ रही है.
ग्रामीण क्षेत्र में भी बच्चों के बीच स्क्रीन टाइम काफी बढ़ गया है. इसकी वजह से उनके आंखों पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है. यही वजह है कि बच्चे मायोपिया के शिकार हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि सबसे खतरनाक पहलू यह है कि जब तक पता चलता है तब तक आंखों की स्थिति काफी खराब हो चुकी होती है.
सोशल मीडिया बना रहा अंधाडॉ समीर सूद ने कहा कि इसके पीछे सबसे बड़ी वजह सोशल मीडिया है. बच्चे घंटों रील्स देखते हैं. रील्स देखते समय बच्चों को यह पता ही नहीं चलता है कि वक्त कैसे निकलता जा रहा है. अधिक समय तक रील्स देखने से आंखों पर विपरीत असर पड़ता है. उन्होंने कहा कि यह स्थिती और भी अधिक नुकसानदेह तब हो जाती है जब लाइट ऑफ करके बच्चे रात को मोबाइल देखते हैं. इससे और बुरा प्रभाव पड़ता है.
ड्राई आई की बीमारी हो रहीडॉ समीर सूद ने कहा कि परेशानी की बड़ी वजह ड्राई आई है. सोशल मीडिया पर इंस्टाग्राम, टिकटॉक, फेसबुक और यूट्यूब जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर रील देखने से सभी आयु समूहों में, विशेष रूप से बच्चों और युवा वयस्कों में आंखों से जुड़ी बीमारियों की वृद्धि हो रही है. ड्राई आई की हालत यह है कि कई बच्चों में जिस मात्रा में आंसू निकलने चाहिए वह भी नहीं निकल पा रहा है. ड्राई आई सिंड्रोम, मायोपिया प्रोग्रेस, आई स्ट्रेन और यहां तक कि शुरुआती दौर में ही भेंगापन के मामले बच्चों में अधिक देखी जा रही है.
20-20 का फार्मूला कारगरडॉ समीर सूद ने कहा कि सबसे बेहतर है कि आप बच्चों अथवा वयस्क में भी 20-20 का फार्मूला अपनाएं. इसके तहत यदि आप 20 मिनट तक मोबाइल, लैपटॉप या कम्यूटर पर काम करते हैं तो अगले 20 सेकेंड तक अपनी आंखों को आराम दें. इस वक्त अधिक से अधिक अपनी आंखे के पुतलियों को मूवमेंट करें. इस तरह के आपकी आंखों पर जो प्रभाव है उसके कम किया जा सकता है.