कभी पार्षद रहीं द्रौपदी मुर्मू ने जीता राष्ट्रपति चुनाव, जानें कैसा रहा उनका अब तक का सफर?

Presidential Election Result 2022: द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति चुनाव में बड़ी जीत हासिल की है. कभी पार्षद रहीं मुर्मू ने 2014 का विधानसभा चुनाव रायरंगपुर से लड़ा था. इस चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था.

Droupadi Murmu Profile: राष्ट्रपति चुनाव में द्रौपदी मुर्मू (Droupadi Murmu) ने जीत हासिल कर इतिहास रच दिया है. वह राष्ट्रपति बनने वाली भारत की पहली आदिवासी महिला हैं. उन्होंने ओडिशा में पार्षद के रूप में अपना सार्वजनिक जीवन शुरू किया था. झारखंड की पूर्व राज्यपाल और राष्ट्रपति पद के लिए भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की उम्मीदवार मुर्मू ने विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा (Yashwant Sinha) पर आसान जीत हासिल की. भारत की 15वीं राष्ट्रपति बनने वाली मुर्मू (64) स्वतंत्रता के बाद पैदा होने वाली भारत की पहली राष्ट्रपति भी होंगी. वह 25 जुलाई को शपथ लेंगी.

चमक दमक और प्रचार से दूर रहने वाली मुर्मू ब्रह्मकुमारियों की ध्यान तकनीकों की गहन अभ्यासी हैं. उन्होंने यह गहन अध्यात्म और चिंतन का दामन उस वक्त थामा था, जब उन्होंने 2009 से लेकर 2015 तक की छह वर्षों की अवधि में अपने पति, दो बेटों, मां और भाई को खो दिया था.

बीजेपी नेता और कालाहांडी से लोकसभा सदस्य बसंत कुमार पांडा ने कहा, ‘‘वह बहुत आध्यात्मिक और मृदुभाषी व्यक्ति हैं.’’ फरवरी 2016 में दूरदर्शन को दिए एक साक्षात्कार में, मुर्मू ने अपने जीवन से जुड़े संघर्ष के बारे में बताते हुए कहा था कि उन्होंने 2009 में अपने बेटे को खो दिया था.

मुर्मू ने कहा था, ‘‘मैं बर्बाद हो गई थी और अवसाद से पीड़ित थी. अपने बेटे की मौत के बाद मेरी रातों की नींद उड़ गई. जब मैं ब्रह्म कुमारियों से मिलने गयी, तो मुझे अहसास हुआ कि मुझे आगे बढ़ना है और अपने दो बेटों और बेटी के लिए जीना है.’’

ऐसे मिली बड़ी जीत
राष्ट्रपति पद के लिए 21 जून को राजग उम्मीदवार के रूप में नामित होने के बाद से, उन्होंने कोई सार्वजनिक बयान नहीं दिया है. उनकी जीत निश्चित लग रही थी और बीजू जनता दल (बीजद), शिवसेना, झारखंड मुक्ति मोर्चा, वाईएसआर कांग्रेस, बहुजन समाज पार्टी (बसपा), तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) जैसे विपक्षी दलों के समर्थन से उनका पक्ष मजबूत हुआ था.

मुर्मू ने राष्ट्रपति चुनाव के लिए पूरे देश में प्रचार किया और राज्य की राजधानियों में उनका गर्मजोशी से स्वागत किया गया था. रायरंगपुर से ही उन्होंने बीजेपी के साथ राजनीति के सोपान पर पहला पहला कदम रखा था. वह 1997 में रायरंगपुर अधिसूचित क्षेत्र परिषद में पार्षद बनाई गईं और 2000 से 2004 तक ओडिशा की बीजद-बीजेपी गठबंधन सरकार में मंत्री भी रहीं. उन्हें 2015 में झारखंड का राज्यपाल नियुक्त किया गया और वह 2021 तक इस पद पर रहीं.

बीजेपी की ओडिशा इकाई के पूर्व अध्यक्ष मनमोहन सामल ने कहा, ‘‘वह (मुर्मू) बहुत तकलीफों और संघर्षों से गुजरी हैं, लेकिन (वह) विपरीत परिस्थितियों से नहीं घबराती हैं.’’ सामल ने कहा कि संथाल परिवार में जन्मी, वह संथाली और ओडिया भाषाओं में एक उत्कृष्ट वक्ता हैं. उन्होंने कहा कि उन्होंने क्षेत्र में सड़कों और बंदरगाहों जैसे बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए बड़े पैमाने पर काम किया है.

ओडिशा में अपने पैर जमाने का प्रयास कर रही बीजेपी का ध्यान आदिवासी बहुल मयूरभंज पर हमेशा से रहा है. बीजद ने 2009 में बीजेपी से नाता तोड़ लिया था और तब से इसने ओडिशा पर अपनी पकड़ मजबूत कर रखी है.

हार का करना पड़ा था सामना
मुर्मू ने 2014 का विधानसभा चुनाव रायरंगपुर से लड़ा था, लेकिन वह बीजद उम्मीदवार से हार गई थी. झारखंड के राज्यपाल के रूप में अपना कार्यकाल पूरा करने के बाद, मुर्मू ने अपना समय रायरंगपुर में ध्यान और सामाजिक कार्यों में लगाया.

मुर्मू ने राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में अपने चयन के बाद कहा था, ‘‘मैं हैरान और खुश भी हूं. मयूरभंज जिले की एक आदिवासी महिला के रूप में, मैंने शीर्ष पद के लिए उम्मीदवार बनने के बारे में नहीं सोचा था.’’

देश के सबसे दूरस्थ और अविकसित जिलों में से एक मयूरभंज की रहने वाली मुर्मू ने भुवनेश्वर के रमादेवी महिला कॉलेज से कला में स्नातक की उपाधि प्राप्त की थी और ओडिशा सरकार में सिंचाई तथा बिजली विभाग में एक कनिष्ठ सहायक के रूप में नौकरी भी की. उन्होंने रायरंगपुर स्थित ‘श्री अरबिंदो इंटीग्रल एजुकेशन सेंटर’ में मानद सहायक शिक्षक के रूप में भी काम किया.

मुर्मू को 2007 में ओडिशा विधानसभा द्वारा वर्ष के सर्वश्रेष्ठ विधायक के लिए नीलकंठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. उनके पास ओडिशा सरकार में परिवहन, वाणिज्य, मत्स्य पालन और पशुपालन जैसे मंत्रालयों को संभालने का विविध प्रशासनिक अनुभव है.

बीजेपी में मुर्मू (Droupadi Murmu) उपाध्यक्ष और बाद में ओडिशा में अनुसूचित जनजाति मोर्चा की अध्यक्ष रह चुकी हैं. वह 2010 में बीजेपी की मयूरभंज (पश्चिम) इकाई की जिला अध्यक्ष चुनी गईं और 2013 में फिर से चुनी गईं. उन्हें उसी वर्ष बीजेपी राष्ट्रीय कार्यकारिणी (एसटी मोर्चा) का सदस्य भी नामित किया गया था. उन्होंने अप्रैल 2015 तक जिला अध्यक्ष का पद संभाला, जब उन्हें झारखंड के राज्यपाल के रूप में नियुक्त किया गया था. मुर्मू की बेटी इतिश्री ओडिशा के एक बैंक में काम करती हैं.

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