लेटलतीफी का असर:रेरा का दावा-4087 शिकायतें निपटाईं; हकीकत- ज्यादातर लोग कलेक्टर, एसडीएम के लगा रहे चक्कर

  • रियल एस्टेट से जुड़े प्रमोटर्स के साथ-साथ घर खरीदने वाले आम ग्राहक भी परेशान
  • रेरा के पास खुद का रिकवरी सिस्टम फिर भी राजस्व विभाग के लिए जारी की जा रहीं आरआरसी
  • ग्राहकों को बिल्डर से वसूली के लिए कितने रेवेन्यू रिकवरी सर्टिफिकेट जारी किए, रेरा को नहीं पता

रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण (रेरा) एक्ट की धारा 32 कहती है कि रियल एस्टेट नियामक रियल एस्टेट सेक्टर में पारदर्शिता लाने के साथ इसे मजबूत करने की कोशिश करेगी ताकि घर खरीदने वाले, प्रोजेक्ट लाने वाले प्रमोटर और रियल एस्टेट एजेंट के हितों की रक्षा की जा सके। लेकिन मप्र रेरा में प्रोजेक्ट में हो रहे भारी विलंब से प्रमोटर भी परेशान हैं।

साथ ही समय पर घर बनाकर न देने वाले प्रमोटर के खिलाफ गुहार लगाने वाले आम ग्राहक भी परेशान हैं। इक्का-दुक्का मामलों को छोड़ दिया जाए तो ज्यादातर ग्राहक रेरा के ऑर्डर लेकर कलेक्टर,एसडीएम और तहसीलदार के यहां चक्कर काट रहे हैं। प्रदेश में इनकी संख्या 117 है। हालांकि 2270 मामलों में रेरा ने दावा किया है कि उनके असेसिंग ऑफिसर ने इन मामलों का निपटारा कर दिया। लेकिन ग्राहक असेसिंग ऑफिसर के निर्णय से संतुष्ट नहीं है। वे रेरा के अपीलीय बोर्ड या हाईकोर्ट चले गए हैं।

हैरानी की बात यह है कि रेरा के पास यह जानकारी ही नहीं है कि उसने अब तक कितने मामलों में ग्राहकों को बिल्डर से वसूली के लिए रेवेन्यू रिकवरी सर्टिफिकेट (आरआरसी) जारी किए, इस आरआरसी पर कितने लोगों को उनके हक का पैसा मिला। पिछले दिनों में यह जानकारी हासिल करने के लिए एक शिकायतकर्ता जितेंद्र अवस्थी ने आरटीआई लगाई थी। जवाब में रेरा ने यह सारी जानकारी देने से यह कहते हुए इंकार कर दिया कि यह आरटीआई के दायरे में ही नहीं आता।

रेरा को अधिकार…आरआरसी पर कुर्की कराने के अधिकार रेरा के पास

रेरा मामलों के जानकार अपूर्व जैन तारण कहते हैं कि पहले रेरा आरआरसी जारी करता था। यह तहसीलदार को भेजी जाती थी जो वसूली कराता था। लेकिन इसमें विलंब की शिकायतें मिलने के बाद रेरा ने अपने एक्ट में संशोधन कराकर यह अधिकार खुद अपने हाथ में ले लिए। इन संशोधनों के बाद रेरा को खुद ही अपनी आरआरसी पर कुर्की कराने के अधिकार मिल चुके हैं। रेरा को आदेश को न मानने वाले बिल्डर को सीधे जेल भिजवाने के भी अधिकार मिल चुके हैं। इसके बाद भी ज्यादातर लोग पहले रेरा में अधिकार के लिए चक्कर लगाता हैं। उसके बाद उनकी पेशियां एसडीएम और तहसीलदार कोर्ट में लग रहीं हैं। लेकिन कोई निर्णय नहीं निकल रहा।

ऑर्डर में ब्याज नहीं जोड़ा, आरआरसी कट गई

रेरा ने मेरे आदेश में ब्याज नहीं जोड़ा। आरआरसी कट गई। हम उसे लेकर एक साल से एसडीएम, कलेक्टर और तहसीलदार के यहां चक्कर काट रहे हैं। कुछ नहीं हो रहा। इन राजस्व अदालतों में बिल्डर का तगड़ा नेटवर्क है। वह कई बार तारीखों पर हमारी फाइलें ही गायब करवा देता है। शिकायत करने पर अगली तारीख दे दी जाती है। हम क्या करें? कुछ समझ नहीं आ रहा।
जितेंद्र अवस्थी, शिकायतकर्ता ग्राहक

रेरा से हर बार आगे बढ़ा दी जाती है तारीख

हमारी आरआरसी कटे ही एक साल हो गया। कलेक्टर, एसडीएम और तहसीलदार नहीं सुनते तो हम रेरा के पास जाते हैं। उनसे खुद ही आदेश का पालन कराने को कहते हैं, लेकिन वहां हमारे मामलों पर अगली तारीखें दे दी जाती हैं। अभी कई लोगों को 10 अगस्त की तारीख लगी थी। लेकिन बिना सुनवाई ही हमें अक्टूबर माह के अंतिम हफ्ते की तारीख दे दी गई।
एनसी गुप्ता, शिकायतकर्ता

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