यह अनदेखी पड सकती हैं भारी:अस्पताल की पैथालॉजी में काम ज्यादा और स्टाफ कम, सैंपल जांच में हो रही परेशानी, वायरल फीवर सहित अन्य जांच के लिए पैथालॉजी में रोजाना आ रहे 150 से ज्यादा सैंपल
शासकीय अस्पताल की पैथोलॉजी में एक तरफ काम लगातार बढ़ते जा रहा है। दूसरी तरफ स्टाफ की कमी बनी हुई है। पैथोलॉजी लैब में रोजाना 150 के ऊपर विभिन्न किस्म की जांच के लिए सैंपल लिए जाते हैं, जबकि इन सैंपल की जांच करने के लिए एक स्थाई पैथोलॉजिस्ट के अलावा 2 अस्थाई सहायक की व्यवस्था की गई है। पैथालॉजी में स्टाफ काफी समय से कम हैं जिसकी पूर्ति नहीं हो पा रही है।
लगभग एक साल पहले अस्पताल के पैथोलॉजी से दो लोगों का स्थानांतरण हुआ था। उनके बदले में कोई नहीं आया। वर्तमान में ऊषा साहू पैथोलॉजिस्ट के रूप में अपनी सेवाएं अस्पताल के लिए दे रही हैं इसके अलावा रोगी कल्याण समिति से एक सहायक और एक और सहायक मलेरिया शाखा के सहयोग से मिला हुआ। है तीन लोगों का स्टाफ होने के बाद भी यहां जांच की सैंपल संख्या अधिक होने के कारण बहुत ज्यादा परेशानी हो रही है।
बीपीएम दीपक सुरजिया के अनुसार पैथोलॉजी लैब में 34 प्रकार की जांच किए जाने की सुविधा है। पिपरिया शहर ही नहीं आसपास के सैकड़ों गांव से बड़ी तादाद में मरीज रोजाना सरकारी अस्पताल आ रहे हैं। वायरल फीवर, कोरोना, मलेरिया, टीवी समेत ऐसी अनेक बीमारियां हैं जिनमें पैथोलॉजी जांच आवश्यक हो गई है। इसी के साथ ब्लड शुगर सहित कुछ अन्य बीमारियों की जांच भी शुरू हो जाने के कारण पैथोलॉजी लैब पर काम का दबाव बढ़ गया है।
दूसरी तरफ स्टाफ जहां का तहां हैं। एक अनुमान के अनुसार रोजाना 150 से 200 लोग पैथोलॉजी में विभिन्न प्रकार की जांच करवाने के लिए आते हैं। आलम यह है कि पैथालॉजी में काम करने वाली पैथोलॉजिस्ट और उनकी दो सहायकों को एक पल के लिए फुर्सत नहीं मिल पाती है। तीनों में से अगर कोई एक स्टाफ अवकाश पर चला जाए तो उस दिन काम की हालत और ज्यादा खराब हो जाती है। बीएमओ डॉ एके अग्रवाल ने बताया कि यह सही बात है पैथोलॉजी लैब पर काम का दबाव पड़ रहा है। स्टाफ बढ़ाने के लिए वरिष्ठ कार्यालय को सूचना भेजी गई है।