अलार्मिंग कंडीशन:जमीन से पानी निकालने के मामले में सेमी क्रिटिकल कैटेगरी में पहुंचा हमारा भोपाल

राजधानी में ग्राउंड वॉटर खाली हो रहा है। इसकी वजह, ज्यादा पानी निकालना है। यह एक अलार्म है। इसका सीधा अर्थ है, बरसात में ग्राउंड वॉटर कम रीचार्ज हुआ। भोपाल में 2859.06 हेक्टेयर मीटर में से 2271.72 हेक्टेयर मीटर पानी निकाला जा रहा है, यानी 79.46 फीसदी भूजल का उपयोग किया जा रहा।

इसकी बड़ी वजह- निजी घरों में बोरिंग की संख्या और पिछले सालों की तुलना में निर्माण कार्य बढ़ना हैं। इसके अलावा आसपास के क्षेत्रों में खेती होना भी है। इस कारण भोपाल सेमी क्रिटिकल कंडीशन में पहुंच गया है। भूमिजल विशेषज्ञों के मुताबिक भोपाल से भी ज्यादा चिंताजनक स्थिति इंदौर की है। यहां ज्यादा गंभीर स्थिति है।

इंदौर में ग्राउंड वॉटर रिसोर्स का 101.23 फीसदी पानी निकाला जा रहा है। केंद्रीय भूजल बोर्ड ने हाल में इस संबंंध मे एक रिपोर्ट जारी की है। इसमें ग्राउंड वॉटर की जो स्थिति सामने आई है, वह काफी चिंताजनक है। डायनेमिक ग्राउंड वॉटर रिसोर्सेस की रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ। इसके लिए स्टडी 2020 में हुई थी। इसमें भोपाल को पहली बार जोड़ा गया है।

बड़ी संख्या में नई कॉलोनियों में हुई बोरिंग

भोपाल में कोलार, नर्मदा, बड़ा तालाब व केरवा डैम से पानी सप्लाई होने के बाद भी शहर की करीब 5% आबादी भूजल के भरोसे है। शहरी सीमा के विस्तार के साथ ही भौंरी, मुबारकपुर, कोलार, नीलबड़, रातीबड़, होशंगाबाद रोड, रायसेन रोड, बैरसिया रोड व सीहोर रोड पर बड़ी संख्या में कॉलोनियों बनी हैं। इनमें पानी के लिए 900 फीट तक खनन हुआ है।

डायनेमिक ग्राउंड वॉटर रिसोर्स की रिपोर्ट

डायनेमिक ग्राउंड वॉटर रिसोर्स की रिपोर्ट में भोपाल अर्बन सेमी क्रिटिकल कैटेगरी में है। जहां 70 से 90% पानी निकाला जाता है, वह इस कैटेगरी के अंतर्गत आता है। प्रदेश के विभिन्न जिलों की 26 यूनिट ओवर एक्सप्लॉयटेड कैटेगरी में आई हैं।

-पीके जैन, क्षेत्रीय निदेशक, भूमिजल बोर्ड

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