ग्वालियर में शिवराज का विरोध

दाताबंदी छोड़ पहुंचे CM 7 मिनट में लौटे, कृषि कानून और लखीमपुर घटना से नाराज थे; हंगामे से पहले लोगों को चुप कराया

ग्वालियर में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कार्यक्रम में सिंघु बॉर्डर के आए सिक्खों ने विरोध कर दिया। शिवराज दाताबंदी छोड़ गुरुद्वारा के तीन दिवसीय महोत्सव के आखिरी दिन यहां मत्था टेकने पहुंचे थे। शिवराज के पहुंचते ही सिंघु बॉर्डर से आए सिख यहां पहुंचे और उनका विरोध शुरू कर दिया। यह देखते ही प्रशासन और पुलिस अफसरों के हाथ पांव फूल गए। किसी तरह गुरुद्वारा प्रबंधन से चर्चा कर माहौल शांत करवाया गया।

CM शिवराज सिंह ने विरोध के बाद मत्था टेक आशीर्वाद लिया। उनके कार्यक्रम को भी छोटा कर दिया गया। CM के आने और मत्था टेक कर जाने में सिर्फ 7 मिनट लगे। उधर, गुरुद्वारा प्रबंधन ने किसी तरह के विरोध से इनकार किया है।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मत्था टेक कर लिया आशीर्वाद।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मत्था टेक कर लिया आशीर्वाद।

दाताबंदी छोड़ गुरुद्वारा के 400 साल पूरे होने पर तीन दिवसीय महोत्सव का आयोजन किया गया था। बुधवार दोपहर 3 बजे CM शिवराज सिंह का आने का कार्यक्रम था। CM चौहान डेढ़ घंटा देरी से 4:30 बजे यहां पहुंचे। माहौल उस वक्त बिगड़ गया, जब सिंघु बॉर्डर से आए सिखों ने कृषि कानून और लखीमपुर खीरी घटना का जिम्मेदार भाजपा को बताते हुए शिवराज सिंह चौहान का विरोध शुरू कर दिया।

सिख गुरुद्वारा के पास पोर्च में एकत्रित हो गए। समाज के लोग बात करने लगे कि CM को अंदर प्रवेश नहीं करने देंगे। माहौल देखकर प्रशासन और पुलिस अफसरों ने गुरुद्वारा प्रबंधन से चर्चा कर आक्रोश शांत कराया। इसके बाद भी तय हुआ कि CM जब आएंगे, तो सिख समाज के कुछ ही लोग अंदर जाएंगे। बाकी बाहर रहेंगे।

सिर्फ 7 मिनट में वापस हुए मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान 4.34 बजे गुरुद्वारा दाताबंदी छोड़ की सीढ़ियों पर चढ़ते हुए अंदर पहुंचे। इसके बाद 4.41 बजे बाहर निकल गए। कहा जा रहा है कि CM चौहान के पास समय नहीं था, इसलिए शॉर्ट कार्यक्रम बनाया गया था। सूत्रों के मुताबिक विरोध होने पर कार्यक्रम शॉर्ट कर दिया। वे मत्था टेककर वापस चले गए। इस दौरान उनके साथ भाजपा कार्यकर्ता व नेता ज्यादा नजर आए। सिख समाज के कम ही लोग दिखे।

इस साल दाताबंदी छोड़ को 400 साल हो गए पूरे
मुगल बादशाह जहांगीर ने ग्वालियर किले में 52 राजपूत राजाओं के साथ छठवें सिख गुरु हरगोविंद साहब को किले में कैद कर रखा था। उसके बाद जहांगीर की मानसिक हालत बिगड़ने लगी। सपने में उनको एक फकीर ने संदेश दिया कि गुरु हरगोबिंद सिंह जी को रिहा करने के बाद वह ठीक हो जाएंगे। जब सिख गुरु हरगोविंद सिंह जी को रिहा किया जा रहा था, तो उन्होंने अपने साथ 52 राजाओं को रिहा करने की शर्त रखी थी। इसके बाद उनके साथ सभी राजाओं को रिहा किया गया था। जब यह रिहा होकर अमृतसर पहुंचे, तो वहां दीपमाला की गई थी। इस दिन को सिख पंथ दाता बंदी छोड़ दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस वर्ष दाताबंदी छोड़ दिवस को 400 साल पूरे हो गए हैं।

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