खुद में सिमटकर रह जाते हैं सोशल नेटवर्किंग प्लेटफॉर्म्स का शिकार बच्चे; मायूस होकर सुसाइड के रास्ते भी तलाशने लगते हैं

फेसबुक ने 13 साल के छोटे बच्चों के लिए डेडिकेटेड ‘इंस्टाग्राम किड्स’ प्रोजेक्ट को लॉन्च करने से पहले रोका। इसके पीछे फेसबुक की इंटरनल रिपोर्ट का लीक होना और कई अमेरिकी सांसदों, वकीलों और परिजनों का लगातार विरोध करना था।

फेसबुक की इंटरनल रिसर्च से अनुसार सोशल नेटवर्किंग प्लेटफार्म का इस्तेमाल करने वाले बच्चे कई तरह के मानसिक बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। कई बच्चे सोशल नेटवर्किंग से प्रभावित होकर, खुद की जिंदगी से असंतुष्ट हो जाते हैं। इसके अलावा कई बच्चे खास कर लड़कियां बॉडी शेमिंग का भी शिकार हो रहीं हैं। सोशल मीडिया एक्सपर्ट्स ने इंस्टाग्राम किड्स को बच्चों के लिए चिंताजनक बताया है।

जानिए किस तरह असर करता है सोशल मीडिया बच्चों के दिमाग पर उन्हें कैसे बचाया जाए इसके एडिक्शन से…

इंस्टाग्राम पर हर तीन में से एक किशोरी बॉडी शेमिंग का शिकार रो रही है

 

वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के अनुसार, फेसबुक 3 साल तक बच्चों पर रिसर्च किया और अपनी इंटरनल रिपोर्ट में ये माना है कि फेसबुक और इंस्टाग्राम टीनएजर्स की मेंटल हेल्थ पर गलत असर डाल रहे हैं। खास कर कम उम्र की लड़कियों पर इसका ज्यादा असर हो रहा है। फेसबुक की रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि हर तीन में से एक टीनएज गर्ल बॉडी शेमिंग का शिकार रो रही है। तकरीबन 32% टीनएज गर्ल ने बताया है कि उन्हें पहले से अपनी बॉडी को लेकर शिकायत थी और इंस्टाग्राम ने इस फीलिंग और भी बुरा बनाया है।

कुछ केस में खूबसूरत और फोटोजेनिक दिखने की चाह में लड़कियों में ईटिंग डिसऑर्डर की दिक्कत भी होने लगी है। सिर्फ लड़कियों को ही नहीं बल्कि, अमेरिका में 14% लड़कों ने भी ये माना है कि इंस्टाग्राम ने उन्हें अपने बारे में बुरा महसूस करता है।

इंस्टाग्राम टीनएजर्स में सुसाइडल टेंडेंसी को बढ़वा दे रहा है

आपको बता दें, एक्सपर्ट्स ने सोशल मीडिया की वजह से टीनएजर्स में बढ़ते मेकअप के क्रेज को ज्यादा चिंताजनक बताया है। मीडिया एक्सपर्ट्स ने पाया की कम उम्र के बच्चे खास कर लड़कियां इंस्टाग्राम पर सुंदर दिखन चाहती हैं, और अगर ऐसा नहीं होता तो वे डिप्रेशन का शिकार हो रहीं हैं।

फेसबुक की रिपोर्ट के अनुसार, इंस्टाग्राम कम उम्र के बच्चों को इस तरह प्रभावित कर रहा है कि उन्हें आत्महत्या तक के ख्याल आने लगते हैं। तकरीबन 13% ब्रिटिश यूजर्स और 6% अमेरिकी यूजर्स ने इंस्टाग्राम पर इस तरह के विचारों सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर सर्च भी किया है।

सोशल नेटवर्किंग साइट्स बच्चों के लिए एडिक्शन बनते जा रहा है

मीडिया एक्सपर्ट्स ने इंस्टाग्राम के एक्सप्लोर (सर्च ) पेज को बच्चों के लिए आपत्तिजनक बताया है। दरअसल इस पेज पर यंग यूजर्स कई तरह के अकाउंट और पोस्ट देख सकते हैं। यहां तक कि यंग यूजर्स ज्यादातर ऐसी चीजों से आकर्षित होते हैं जो कई बार उनके लिए सही नहीं है।

इसके अलावा ऐप में केवल बेहतरीन तस्वीरें पोस्ट करने का क्रेज है, जिसे बच्चों के दिमाग में अच्छा दिखने का प्रेशर बनता है। इंस्टाग्राम पर रियल लाइफ के इंसिडेंस तुरंत पोस्ट करने के भी फीचर्स भी हैं। जो कम उम्र वालों के लिए एक नशे की लत की तरह है।

किस तरह अपने बच्चों को सोशल मीडिया के एडिक्शन से बचाएं ?

एक स्टडी के अनुसार जो बच्चे सोशल मीडिया का बहुत ज्यादा इस्तेमाल करते हैं वो लाइफ को लेकर बहुत असंतुष्ट रहते हैं। माता-पिता और दूसरों को देखकर बच्चों को भी स्मार्टफोन या सोशल नेटवर्किंग की आदत होते जा रही है।

इंस्टाग्राम ने तो बच्चों के इस प्रोजेक्ट पर रोक लगा दिया है, लेकिन आज की जरूरतों को देखते हुए पूरी तरह से सोशल मीडिया को इग्नोर नहीं किया जा सकता हैं। हाला लेकिन आप अपने बच्चों की आदतों में बदलाव ला सकते हैं। ताकि वो इंटरनेट ऐडिक्ट होने के बजाय इसका इस्तेमाल कुछ सीखने के लिए करें।

  • सोशल मीडिया के बारे में बताएं : अगर आपका बच्चा सोशल मीडिया पर एक्टिव है तो उसे मीडिया के बारे में दोनों सकारात्मक या नकारात्मक बातें बताएं। किस तरह से उनके फोटो या पोस्ट का गलत इस्तेमाल किया जा सकता है। बच्चों के अकाउंट बनाते समय ही जानकारी दें। बच्चों को किसी अनजान से सोशल साइट्स पर दोस्ती होने से भी बचाएं।
  • स्क्रीन टाइम फिक्स करें : बच्चों को मीडिया के इस्तेमाल के लिए अनुशासन में रखें। उन्हें दिन भर कितने देर फोन या इंटरनेट इस्तेमाल करने के लिए एक समय तय करें । रात को फोन देना अवॉयड करें। स्मार्टफोन से निकलने वाली रेज आंखों पर सीधा असर करती हैं, इसलिए बच्चों को रात के अंधेरे में मोबाइल चलाने से रोकें।
  • आउटडोर या पजल गेम्स के लिए प्रोत्साहित करें: ज्यादातर बच्चे स्मार्टफोन से जुड़ने के बाद आउटडोर गेम्स में रूचि नहीं लेते हैं। ऐसे में उन्हें आप उन्हें पजल गेम्स दें। आप खुद भी उनके साथ खेलें। आउटडोर गेम्स में हिस्सा लेने से बच्चों की फिजिकल फिटनेस भी बनी रहेगी।

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