जहां से डकैत निकलते थे, वहां बहेगी विकास की जलधारा:औरैया में 320 करोड़ से बनेगा पचनद बैराज, 1 लाख किसानों को मिलेगा फायदा

आतंक का पर्याय रहे चंबल के बीहड़ से अब सुखद भविष्य की कल्पना साकार होती दिखेगी। गोलियों की तड़तड़ाहट से गूंजने वाले इलाके में विकास की जलधारा बहने वाली है। दरअसल, 320 करोड़ की लागत से बनने वाले पचनद प्रोजेक्ट के लिए अब यूपी सरकार के बाद केंद्रीय जल आयोग की भी संस्तुति मिल गई है। बैराज का प्रारूप भी तैयार हो गया है। बैराज बनने पर औरैया, इटावा, कानपुर देहात के अलावा बुंदेलखंड का भी सूखा दूर होगा। इससे एक लाख किसानों को फायदा मिलेगा।

अजीतमल तहसील क्षेत्र के सड़रापुर गांव के निकट पांच नदियों का संगम है। इसमें यमुना, चंबल, क्वारी, सिंधु व पहुंज नदियां आकर मिलती हैं। यहां पर दशकों तक डाकुओं का डेरा रहा है। रामवीर गुर्जर, निर्भय, फूलन देवी जैसी खूंखार डकैतों का आतंक था। डकैतों के सफाए के बाद इसी बीहड़ से विकास की जलधारा निकलने वाली है। पांच नदियों के इस संगम पर बैराज बनाने को लेकर शासन से स्वीकृति मिलने पर जिला प्रशासन ने डीपीआर बनाकर भेजा है।

पचनद बांध को प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना के रूप में देखा जा रहा है।
पचनद बांध को प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना के रूप में देखा जा रहा है।

बुंदेलखंड के किसानों को भी मिलेगा फायदा

बैराज की लागत करीब 320 करोड़ है। इस बैराज के बन जाने से औरैया की 10573 कानपुर देहात की 39518 जालौन की 14770 हेक्टेयर असिंचित भूमि की सिंचाई की जा सकेगी। पेयजल संकट का समाधान भी होगा। इसका लाभ बुंदेलखंड के अन्य जिलों को भी मिलेगा। वहां भी पानी का संकट दूर होगा। केंद्रीय जल आयोग की टीम ने परियोजना का सर्वे कर प्रारूप तैयार कर लिया था।

केंद्रीय जल आयोग की मिली संस्तुति

केंद्रीय जल आयोग की टीम के अधीक्षण अभियंता रामजीत वर्मा, अधिशाषी अभियंता अभिजीत, सहायक अभियंता विजय पंत, सिंचाई विभाग इटावा के अधीक्षण अभियंता विजय कुमार, सिंचाई विभाग दिबियापुर के अधिशासी अभियंता प्रदीप पटेल ने प्रारूप तैयार किया था। जिसे केंद्रीय जल आयोग ने संस्तुति प्रदान कर दी है। पचनद बांध को प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना के रूप में देखा जा रहा है।

केंद्रीय जल आयोग की टीम ने परियोजना का सर्वे कर प्रारूप तैयार कर लिया था।
केंद्रीय जल आयोग की टीम ने परियोजना का सर्वे कर प्रारूप तैयार कर लिया था।

पर्यटन को भी मिलेगा बढ़ावा

बैराज बनने से पर्यटन को भी बढ़ावा मिल सकेगा। इसके अलावा पांच नदियों के संगम का धार्मिक महत्व भी है। तुलसीदास की रामचरितमानस के एक पाठ की रचना में यहां का उल्लेख भी मिलता है। महाभारत काल में पांडवों ने अज्ञातवास का एक वर्ष इसी पचनदा के आसपास बिताने का भी उल्लेख मिलता है। यहां कार्तिक पूर्णिमा में हर वर्ष एक ऐतिहासिक मेला लगता है। इस मेले में उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश और राजस्थान से श्रद्धालुओं का जमघट लगता है।

इंदिरा गांधी का ड्रीम प्रोजेक्ट डकैतों के कारण नहीं बन सका था

पचनद बैराज पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल रहा है। 1976 में उन्होंने यमुना पट्टी के गांव सड़रापुर में बांध बनाने की घोषणा की थी। डकैतों के कारण यहां कभी कोई भी अधिकारी कुछ कर ही नहीं सके। इटावा के भाजपा सांसद रामशंकर कठेरिया ने फिर इसका मुद्दा उठाया तो तत्कालीन जल संसाधन मंत्री उमा भारती ने पचनदा का हवाई सर्वेक्षण भी कराया था। अब केंद्र सरकार ने भी इस प्रोजेक्ट को मंजूरी दे दी है।

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