Fire in Hamidia Hospital ….. कांग्रेस का दावा- 48 घंटे में 14 बच्चों की मौत हुई, सरकार आंकड़े छुपा रही है

कांग्रेस ने भोपाल के कमला नेहरू अस्पताल में हुई घटना के लिए सरकार को ठहराया जिम्मेदार! हाईकोर्ट के वर्तमान न्यायाधीश से जांच की दोहराई मांग।

भोपाल के कमल नेहरू अस्पताल के शिशु वार्ड में आग लगने की घटना में बच्चों की मौत के मामले में प्रदेश कांग्रेस ने दावा किया कि 48 घंटे में 14 बच्चों की मौत हुई है। सरकार पर आंकड़े छुपा रही है। यह सामान्य दुर्घटना नहीं, बल्कि बच्चों की हत्या का मामला है। इसके लिए दोषियों पर गैरइरादतन हत्या का मामला दर्ज हो। इसकी जांच से स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव मोहम्मद सुलेमान को हटाया जाए क्योंकि घटना उनके ही विभाग से जुड़ी है। पार्टी ने हाईकोर्ट के वर्तमान न्यायाधीश से जांच कराने की मांग दोहराई। साथ ही कहा कि भोपाल और पूरे प्रदेश में इस घटना से शोक का माहौल है और यह संवेदनाओं से जुड़ा मामला है इसलिए 15 नवंबर को भोपाल में होने वाले जनजातीय महासम्मेलन को स्थगित किया जाए। यदि नहीं तो वे यहां आकर इस घटना पर सरकार से सवाल करके जवाब जरूर दें।
प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में बुधवार को प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष जीतू पटवारी, पूर्व चिकित्सा शिक्षा मंत्री डा.विजय लक्ष्मी साधौ, पीसी शर्मा और विधायक आरिफ मसूद ने संयुक्त पत्रकारवार्ता की। इसमें पटवारी ने कहा कि घटना के समय अस्पताल में 40 बच्चे थे। इसमें से चार बच्चों की मौत घटना में हुई। 36 में से पांच बच्चों को जेपी अस्पताल में स्थानांतरित किया गया। इसमें से एक बच्चे का निधन हो गया। एक अन्य बच्ची निकिता की भी मृत्यु हो गई। दो बच्चे ज्योति और शैलेन्द्र की जो तीन दिन के थे, उनकी भी मृत्यु हो गई। ललिता और मुस्कान का भी निधन हुआ। दो बच्चों चिरायु और एलबीएस अस्पताल भेजे गए। चार बच्चों के शव पोस्टमार्टर के लिए पहुंचे। उन्होंने कहा कि यह जानकारी अस्पताल से ही प्राप्त है। इससे साफ है कि सरकार बच्चों की मौत के आंकड़ों को छुपा रही है।
जांच की जिम्मेदारी उस व्यक्ति को दी है, जो विभाग प्रमुख होने के नाते स्वयं इस पूरे मामले के लिए नैतिक रूप से जिम्मेदार है। अस्पतालों में आग लने की यह घटना पहली नहीं है। इसके पहले भी छतरपुर, इंदौर सहित अन्य अस्पतालों में इस तरह की घटना हो चुकी है। जो भी इस घटना के लिए जिम्मेदार हैं उनका इस्तीफा ले लेना चाहिए। चिकित्सा शिक्षा मंत्री को एक पल भी पद पर रहने का अधिकार नहीं है। वहीं, डा.साधौ ने कहा कि इस पूरी घटना के लिए प्रशासन जिम्मेदार है। अस्पतालों में रखरखाव सहित कर्मचारियों के प्रबंधन का काम केंद्र सरकार की कंपनी को दिया जाता है। वो ठेका अन्य संस्थाओं को देती है पर काम हो रहा है, यह किसी ने नहीं देखा। पूर्व मंत्री पीसी शर्मा और विधायक आरिफ मसूद ने कहा कि सरकार पहले दिन से ही घटना को दबाने में लगी हुई है। हम इस पर सियासत नहीं करना चाहते हैं पर जो भी जिम्मेदार है उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी ही चाहिए।

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