UP Assembly Elections 2022 …. चिल्लूपार विधानसभा में बजता है बाहुबली परिवार का डंका, जानिए इस सीट से जुड़ी हर अपडेट

2017 के विधानसबा चुनाव में विनय शंकर तिवारी को जीत मिली और वो विधायक बने. उन्होंने बीजेपी के राजेश त्रिपाठी को हराया.

उत्तर प्रदेश सूबे की सियासत में कुछ विधानसभा ऐसी हैं, जिनका जिक्र होते ही कई सियासी चेहरे, समीकरण, अपराध और बाहुबल आंखों के सामने तैरने लगते हैं. ऐसी ही एक विधानसभा है चिल्लूपार (Chillupar Assembly Seat), जहां का सियासी समीकरण एक राजनीतिक परिवार के हाते ( चौखट ) से शुरू होकर वहीं समाप्त हो जाता है. 2017 में जब पूरे प्रदेश में मोदी लहर थी उसके बावजूद इस सीट पर भाजपा नहीं जीत सकी.

पिता की विरासत को बढ़ाया आगे 

गोरखपुर जिले की चिल्लूपार विधानसभा (Chillupar Assembly Seat) जहां किसी लहर का कोई असर नहीं होता. यहां की जनता बाहुबली पंडित हरिशंकर तिवारी के नाम पर मतदाता करती है. 1985 के विधानसभा चुनाव से पंडित हरिशंकर तिवारी निर्दलीय विधायक हुए. इसके बाद से उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा. 90 के दशक में ऐसा रसूख कायम हुआ कि यूपी में किसी भी दल की सरकार बनी उसके मंत्रिमंडल में हरिशंकर तिवारी का चेहरा होता था.

1997 से 2000 तक यूपी सरकार में मंत्री रहे. हरिशंकर तिवारी 22 वर्षों तक विधायक रहे. 2007 और 2012 के चुनाव में मौजूदा हालात ऐसे बने कि उन्हें चुनाव में जीत नहीं मिल सकी. लेकिन 2017 के विधानसभा चुनाव में एक बार फिर हरिशंकर तिवारी के बेटे विनय शंकर तिवारी को जनता ने आशीर्वाद दिया. बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर विधायक बने.

बाहुबली नेता का साम्राज्य

1985 के विधानसभा चुनाव में इस सीट (Chillupar Assembly Seat)  से हरिशंकर तिवारी निर्दलीय चुनाव लड़े. उन्होंने कांग्रेस के मार्कंडेय चंद को चुनाव हराया. 1989 के चुनाव में फिर हरिशंकर तिवारी ने कांग्रेस से बाजी मारी. जनता दल के कल्पनाथ सिंह को इस चुनाव में शिकस्त दी. 1991 में हरिशंकर तिवारी ने फिर कांग्रेस से जीत दर्ज की. उन्होंने बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी श्याम लाल यादव को हराया. एक बार फिर 1993 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर जीत दर्ज की. श्याम लाल यादव को हार का सामना करना पड़ा.

1996 में हरिशंकर तिवारी ने बड़ी जीत दर्ज करके बसपा के श्याम लाल यादव को फिर से पटखनी दी. वहीं 2007 और 2012 के विधानसभा चुनाव राजेश त्रिपाठी बहुजन समाज पार्टी से जीतकर विधानसभा पहुंचे. लेकिन एक बार फिर हरिशंकर तिवारी ने सभी समीकरण को अपने पक्ष में किया. उनके बेटे विनय शंकर तिवारी बसपा के टिकट पर चुनाव जीतकर विधानसभा आये.

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