डेंगू हुआ खतरनाक ……अस्पतालों में न पर्याप्त दवाएं और न ही जंबो प्लेटलेट का इंतजाम, बेड भी पड़ रहे हैं कम

  • अब तक डेंगू से हुई 7 मरीजों की मौत, मलेरिया विभाग की मानें तो सिर्फ 2 की मौत हुई

डेंगू अब धीरे-धीरे घातक हो गया है। पहली बार ग्वालियर में रिकॉर्ड 2060 मरीज अबतक मिल चुके हैं। 6 बच्चों सहित 7 मरीजों की डेंगू से मौत हो चुकी है। प्रशासन यह दावा कर रहा है कि उनके पास डेंगू से निपटने के लिए पर्याप्त इंतजाम हैं, लेकिन हकीकत बिल्कुल उलट है।

प्रशासन डेंगू की रोकथाम का न तो प्रॉपर इंतजाम कर पाया है और न ही मरीजों के इलाज का। यहां तक की गंभीर मरीजों के लिए जंबो प्लेटलेट तक पिछले तीन सप्ताह में शासन सरकारी ब्लड बैंकों में उपलब्ध नहीं करा पाया है। मरीजों को अस्पतालों में आवश्यक दवाएं तक नहीं मिल रही हैं। स्थिति यह है कि जयारोग्य चिकित्सालय (जेएएच) में तो मरीजों को बैनुला और एनएस तथा पैरासिटामोल आईबी तक बाजार से खरीदनी पड़ रही हैं। अस्पतालों में मरीज को देखने के लिए विशेषज्ञ तक पर्याप्त संख्या में नहीं हैं।

प्रशासन छिपा रहा है डाटा

जिले में अबतक डेंगू के 2060 मरीज मिल चुके हैं। ये आंकड़े जीआरएमसी के माइक्रो बायोलॉजी लैब और जिला अस्पताल की लैब के आधार पर हैं। डेंगू से जिले में अबतक 7 लोगों की मौत हुई है। शहर के प्रमुख प्राइवेट लैब की जांच में प्रतिदिन 10 से 15 डेंगू के मामले सामने आ रहे हैं।

इस हिसाब से देखा जाए तो डेंगू के अबतक मरीज 4000 से अधिक हो चुके हैं लेकिन प्रशासन अबतक प्राइवेट लैब में कितने डेंगू के मरीज जांच में निकले हैं इसका डेटा तक नहीं मंगवा सका है। स्वास्थ्य विभाग के अधीन आने वाले मलेरिया विभाग के अधिकारियों की माने तो जिले में अबतक (11 नवंबर तक) 1929 डेंगू पॉजिटिव मरीज मिले हैं जिसमें से सिर्फ 2 की ही मौत हुई है।

एक-एक बेड पर भर्ती हैं दो से तीन मरीज

जेएएच के मेडिसिन और पीडियाट्रिक विभाग की स्थिति यह है कि यहां बेड फुल हैं और फ्लोर लगाने पड़ रहे हैं। इतना ही नहीं गैलरी तक में मरीज भर्ती हैं। पीडियाट्रिक विभाग की बात करें तो यहां एक-एक बेड पर दो से तीन बच्चे भर्ती करने पड़ रहे हैं। जिला अस्पताल मुरार में बेड की स्थिति भी इसी तरह की है। सिविल अस्पताल हजीरा में सिर्फ 30 बेड हैं वह भी फुल हैं।

पीजी का नया बैच आया नहीं, एक से दो डॉक्टर के भरोसे पूरा वार्ड

जीआरएमसी में जूनियर डॉक्टरों का नया बैच आया नहीं है। मेडिसिन और पीडियाट्रिक वार्ड में एक से दो डॉक्टर के भरोसे पूरे-पूरे वार्ड हैं। नर्सों स्टाफ की कमी है। मेडिसिन और पीडियाट्रिक विभाग के जेएएच में अलग-अलग वार्ड और आईसीयू हैं। मेडिसिन की फेकल्टी में 17 सीनियर डॉक्टर्स, 4 सीनियर रेसीडेंट और 27 जूनियर डॉक्टर हैं।

मेडिसिन के 4 जूनियर डॉक्टर कार्डियोलॉजी में और 2 न्यूरोलॉजी में पदस्थ रहते हैं। यहां मेडिसिन के मरीजों के नाम पर सिर्फ 42 डॉक्टर ही हैं। नए 20 जूनियर डॉक्टरों का बैच आना बाकी है। पीडियाट्रिक की फेकल्टी में 9 सीनियर डॉक्टर, 8 सीनियर रेसीडेंट और 27 जूनियर डॉक्टर हैं। एसएनसीयू के 30 बेड के अलावा पीडियाट्रिक आईसीयू में 350 से अधिक बच्चे भर्ती हैं।

मरीजों को बाजार से लाना पड़ रही हैं दवाएं

जेएएच में मरीज से बैनुला, ग्लूकोज की बोतल(एनएस), यूरिन बेड व नली, नाक में डालने वाली नली, शुगर स्टिप, पैरासिटामोल आईबी, पेडिया ड्रिप सेट तक बाजार से मंगवाई जा रही हैं।

जिला अस्पताल में मुरार में भी जांच किट खत्म: जीआरएमसी के पास डेंगू की जांच किट करीब 10 दिन की हैं। किट के लिए और डिमांड भेजी जा चुकी है। जिला अस्पताल मुरार में जांच किट खत्म हो चुकी हैं।

जंबो प्लेटलेट की डिमांड अधिक फिर भी किट नहीं

डेंगू के मरीजों को जंबो प्लेटलेट चढ़ाया जाता है। यहां सरकारी में जेएएच के बल्ड बैंक एक तथा रेडक्रॉस सोसायटी के पास दो जंबो प्लेटलेट बनाने वाली मशीनें हैं। यहां पिछले तीन सप्ताह से जंबो प्लेटलेट नहीं हैं। इस कारण मरीजों को प्लेटलेट बिद प्लाज्मा (पीआरपी) चढ़ाना पड़ रहा है। एक जंबो प्लेटलेट में 30 से 40 हजार प्लेटलेट बढ़ जाते हैं। इतनी ही मात्रा में प्लेटलेट बढ़ाने के लिए 4 से 5 पीआरपी चढ़ाना पड़ता है। इससे मरीज को तो परेशानी होती है साथ ही अटेंडेंट को अधिक डोनर की आवश्यकता पड़ता है।

डेंगू की रोकथाम के समुचित करें प्रबंध: प्रभारी मंत्री

प्रभारी मंत्री तुलसी सिलावट ने कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह और सीएमएचओ डॉ. मनीष शर्मा को निर्देश दिए हैं कि डेंगू की रोकथाम के समुचित प्रबंध करें। इसके लिए कॉलोनी-मोहल्लों में कीटनाशक दवाओं के छिड़काव के प्रबंध करके बीमारी की रोकथाम के प्रयास करें।

डेंगू वायरस पिछले बार से अधिक हो गया है ताकतवर

डेंगू का वायरस पिछले बार की तुलना में इस बार अधिक ताकतवर हो गया है। डेंगू वायरस की जो साइकिल मच्छरों में चलती है उसके चलते वह मच्छरों से मच्छरों में भी वायरस पहुंच रहा है। इसलिए इस बार डेंगू के मरीज अधिक सामने आ रहे हैं। जैसे-जैसे सर्दी बढ़ेगी डेंगू का प्रकोप कम होता जाएगा। -डॉ. अजय पाल सिंह, प्रोफेसर मेडिसिन विभाग

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