एक-एक लाख का मुआवजा लेने के बाद कोर्ट में बयान से मुकरीं दुष्कर्म पीड़िताएं, नतीजा- 85 केसों में सिर्फ 14 को सजा, 71 बरी

अनुसूचित जाति-जनजाति की महिलाओं के साथ दुष्कर्म के मामलाें में अधिकतर पीड़िताएं काेर्ट के समक्ष बयानाें से पलट जाती हैं। इसके चलते अधिकतर मामलाें में आराेपी बरी हाे जाते हैं। इसके पीछे वजह, पीड़िताओं काे शासन की ओर से दी जाने वाली मुआवजा राशि है।

आंकड़ों के अनुसार एससी-एसटी काेर्ट ग्वालियर में 31 महीने में इस तरह के 85 मामलाें में फैसला हुआ है। इनमें से सिर्फ 14 केसों में ही आराेपियाें काे सजा सुनाई गई, जबकि 71 यानी 83% आराेपी बरी हाे गए। जबकि सभी पीड़िताओं को आदिम जाति कल्याण विभाग से 1-1 लाख का मुआवजा मिल चुका है।

दरअसल आए दिन हाई कोर्ट के संज्ञान में आ रहे इस प्रकार के मामलों को देखते हुए मप्र हाई कोर्ट की ग्वालियर बेंच में पदस्थ जस्टिस जीएस अहलूवालिया ने एक केस में ना केवल दुष्कर्म के आरोपी को जमानत दी, बल्कि विदिशा कलेक्टर को ये पता करने का आदेश दिया कि युवती को कोई मुआवजा तो नहीं मिला। यदि मिला है तो उसे वापस लिया जाए। इसी केस के बाद भास्कर ने जब एसटी-एससी कोर्ट (ग्वालियर) के आंकड़ों की पड़ताल की तो चौंकाने वाली जानकारी सामने आई।

मुआवजा- पिछले 7 माह में 47 पीड़िताओं को मिला

अनुसूचित जाति -जनजाति की महिलाओं के साथ दुष्कर्म के प्रकरणों में रिकार्ड वृद्धि हुई है। बीते सात माह के आंकड़ों पर नजर डालें तो आदिम जाति कल्याण विभाग ने कुल 47 पीड़िताओं को एक-एक लाख रुपए मुआवजा दिया। ये आंकड़ा इसलिए भी चौंकाने वाला है क्योँकि वर्ष 2019-20 व 2020-21 में कुल 51 पीड़िताओं को 51 लाख का मुआवजा दिया गया है।

कारण- वसूली का प्रावधान नहीं, केस दर्ज करा सकते हैं

आदिम जाति कल्याण विभाग से मिलने वाली मुआवजा राशि को वसूलने का कोई प्रावधान नहीं है। हालांकि, ऐसे मामलों में न्यायालय सीआरपीसी की धारा 340 के अंतर्गत बयान से मुकरने वाली पीड़िता के खिलाफ प्रकरण दर्ज कराने की कार्रवाई कर सकता है। हाल ही में एक दुष्कर्म पीड़िता के खिलाफ ग्वालियर न्यायालय में प्रकरण दर्ज किया गया है।

एक्सपर्ट व्यू- रिटा. जस्टिस डीके पालीवाल, मप्र हाई कोर्ट

मैंने भी वसूली के आदेश दिए हैं

मेरे कार्यकाल में कई ऐसे मामले सामने आए जिनमें दुष्कर्म पीड़िताएं आरोप लगाने के बाद मुकर गईं। उन्होंने पहले रिपोर्ट लिखाई फिर मुआवजा लिया। और बाद में आरोपी से समझौता कर लिया। ऐसे मामलों में कोर्ट मुआवजा वसूलने का आदेश दे सकती है। मैंने भी कई बार ऐसे आदेश दिए हैं।

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