Railway Station Name Change: हबीबगंज से पहले भी बदले जा चुके हैं कई रेलवे स्टेशनों के नाम, पढ़ें- क्या है नाम बदलने की पूरी प्रक्रिया
लवे स्टेशन का नाम बदलने (Railway Station Name Change) के लिए राज्य सरकार मंजूरी के लिए नोडल मंत्रालय और गृह मंत्रालय को अपना प्रस्ताव भेजती है.
भोपाल के हबीबगंज रेलवे स्टेशन (Habib Railway Station Name Change) का नाम बदलकर आज कमलापति स्टेशन कर दिया गया है. पीएम नरेंद्र मोदी ने आज इस स्टेशन का उद्घाटन किया. इससे पहले भी कई और रेलवे स्टेशनों के नाम भी बदले जा चुके हैं. ऐसे में सवाल ये है कि आखिर रेलवे स्टेशन का नाम कैसे बदला जाता है. क्या इसका फैसला रेलवे लेती है?. बता दें कि राज्य सरकार (State Government) ही किसी भी रेलवे स्टेशन का नाम बदलने का फैसला लेती है. यह फैसला रेलवे के हाथ में नहीं होता है. भले ही रेलवे केंद्र सरकार के अंडर में आती है. लेकिन नाम बदलने का फैसला राज्य सरकार के ऊपर होता है. स्टेशनों का नाम बदलना पूरी तरह से राज्य सरकार का कॉल होता है.
रेलवे स्टेशन (Railway Station) का नाम बदलने का फैसला ऐतिहासिक धरोहर को जीवित रखने और लंबे समय से चली आ रही मांग को पूरा करने के लिए लिया जाता है. एक्सपर्ट्स के मुताबिक नाम बदलने के पीछे कई बार राजनीतिक कारण (Political Reason) भी होते हैं. यह पहले भी होता रहा है. साल 1996 में इतिहास और स्थानीय भावनाओं को ध्यान में रखकर मद्रास का नाम बदलकर चेन्नई रख दिया गया था. वहीं रेलवे स्टेशन का नाम भी मद्रास से बदलकर चेन्नई कर दिया गया था.
ऐसे बदला जाता है स्टेशन का नाम
रेलवे स्टेशन का नाम बदलने के लिए राज्य सरकार मंजूरी के लिए नोडल मंत्रालय और गृह मंत्रालय को अपना प्रस्ताव भेजती है. नाम बदलने की मंजूरी देने से पहले गृह मंत्रालय रेलवे मंत्रालय को भी इस बारे में बताता है. उसके बाद यह भी देखा जाता है कि प्रस्तावित नए नाम का कोई और रेलवे स्टेशन देश में मौजूद तो नहीं है. इसके लिए गृह मंत्रालय, रेल मंत्रालय, डाक विभाग और भारतीय सर्वेक्षण विभाग से नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट लेना होता है.उसके बाद ही किसी स्टेशन या जगह का नाम बदलने पर सहमति जताई जाती है.
गृह मंत्रालय देता है नाम बदलने की मंजूरी
हबीबगंज स्टेशन का नाम बदले जाने से पहले भी मध्य प्रदेश सरकार ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को चिट्ठी लिखकर नया नाम कमलापति किए जाने की अपील की थी. सरकार की तरफ से चिट्ठी में कहा गया था कि स्टेशन का नाम बदले जाने से रानी कमलापति की विरासत और बहादुरी का सम्मान होगा. वहीं मध्य प्रदेश के परिवहन विभाग की चिट्ठी में कहा गया है कि स्टेशन का नाम बदलना केंद्र सरकार के बिसरा मुंडा की याद में ‘जनजातीय गौरव दिवसट के रूप में मनाने के फैसले को लेकर है.