ग्वालियर में घटते लिंगानुपात ने बढ़ाई चिंता ………वर्ष 2024 तक 1000 बेटों पर 901 से 947 बेटियों की संख्या करने का था लक्ष्य, रह गईं सिर्फ 877
जिले में घटते लिंगानुपात ने प्रशासन की चिंता बढ़ा दी है। मार्च 2021 से लेकर अगस्त तक के आंकड़ों के मुताबिक ग्वालियर जिले में प्रति एक हजार बेटों की तुलना में 24 बेटियां और कम हुईं हैं। मार्च 2021 तक बेटियों की संख्या 901 थी, जो अगस्त में 877 रह गई। यह स्थिति तब है जब 5 महीने पहले ही महिला एवं बाल विकास विभाग के संचालक ने वर्ष 2024 तक लिंगानुपात 947 करने का लक्ष्य दिया था।
बेटियाें की संख्या में अचानक आई इस गिरावट पर सारे अफसर चुप्पी साधे हैं। हालांकि कोविड संक्रमण के चलते महिला एवं बाल विकास विभाग सहित बेटी बचाओं-बेटी पढ़ाओ और अन्य गतिविधियां पूरी तरह ठप रहीं। अब प्रशासन ने आनन-फानन में जिला स्तरीय टास्क फोर्स की बैठक बुलाई है।
जिले के अफसरों की चिंता का कारण महिला एवं बाल विकास विभाग के संचालक डॉ. राम राव भोंसले का 18 अक्टूबर का पत्र है। इसे संचालक ने सीधे कलेक्टर को भेजा है। इसमें साफ कहा गया है कि जिले में घटते लिंगानुपात पर नियंत्रण के लिए वर्ष 2015-16 से बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ योजना चल रही है। यह प्रधानमंत्री की फ्लैगशिप स्कीम है।
लिंगानुपात में सुधार के उद्देश्य से इसका मुख्य संकेतक हेल्थ मैनेजमेंट इन्फॉरमेशन सिस्टम द्वारा सेक्स रेशो एट बर्थ (एसआरबी) निर्धारित है। तय मापदंडों के आधार पर एसआरबी में हर साल 2 बिंंदुओं की बढ़ोतरी अपेक्षित है। बेटियों की संख्या में आई कमी पर संचालक ने कलेक्टर को जिला स्तरीय टास्क फोर्स की बैठक कर एसआरबी की गहन समीक्षा को कहा है।
ब्रांड एंबेसडर्स की नहीं हुई बैठक
वर्तमान में जिले में 53 ब्रांड एंबेसडर हैं। इनकी अंतिम बैठक दो साल पहले सितंबर 2019 में हुई थी। इसके बाद से कोरोना संक्रमण का हवाला देकर ब्रांड एंबेसडर को सक्रिय भूमिका से अलग रखा गया है।
नहीं मिली केंद्र से आर्थिक मदद
केंद्र सरकार से बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान के लिए हर वर्ष दो किस्तों में 50 लाख रुपए मिलते हैं। इस वर्ष 11 महीने निकलने के बाद भी एक भी रुपया नहीं मिला है। इससे भी गतिविधियांं प्रभावित हो रही हैं।