Jewar Airport: चार चरणों में बनेगा जेवर एयरपोर्ट, 2050 तक हर साल 7 करोड़ यात्रियों को संभालने की होगी क्षमता

नागरिक उड्डयन सचिव ने कहा, “पहले चरण में प्रति वर्ष 12 मिलियन यात्रियों के यातायात की उम्मीद है और अंतिम चरण के पूरा होने तक यानी 2040-50 के बीच, जेवर हवाई अड्डे की क्षमता प्रति वर्ष 70 मिलियन यात्रियों को संभालने की होगी.”

नोएडा के जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट की गुरुवार को पीएम मोदी आधारशिला रखेंगे. जेवर में नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट दुनिया का ऐसा एयरपोर्ट ऐसा होगा जहां की कनेक्टिविटी सबसे बेहतर होगी. वहीं, नागरिक उड्डयन सचिव ने कहा, “जेवर एयरपोर्ट बनाने के लिए 1334 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया गया है. यह एक ग्रीनफील्ड परियोजना है जिसे चार चरणों में लागू किया जाएगा. 36 माह में पहले चरण का निर्माण होगा. पहले चरण के संचालन की अवधि 2023-27 है.

नागरिक उड्डयन सचिव ने कहा, “पहले चरण में प्रति वर्ष 12 मिलियन यात्रियों के यातायात की उम्मीद है और अंतिम चरण के पूरा होने तक यानी 2040-50 के बीच, जेवर हवाई अड्डे की क्षमता प्रति वर्ष 70 मिलियन यात्रियों को संभालने की होगी.”

PM मोदी कर रहे निगरानी

ग्रेटर नोएडा के जेवर एयरपोर्ट पर सबसे पहले डोमेस्टिक फ्लाइट का संचालन शुरू होगा. चरण 1 की परियोजना लागत 8,916 करोड़ रुपये है. यूपी सरकार भूमि अधिग्रहण और पुनर्वास पर 4326 करोड़ रुपये खर्च कर रही है. पीएम मोदी व्यक्तिगत रूप से इस परियोजना की निगरानी कर रहे हैं.

जेवर एयरपोर्ट पहुंचने के होंगे कई तरीके

जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट तक पहुंचने के लिए लोगों के पास कई विकल्प होंगे. मेट्रो और पॉड टैक्सी भी यहां के लिए चलेगी. पहले चरण में ग्रेटर नोएडा के नॉलेज पार्क-2 से जेवर एयपोर्ट तक मेट्रो चलेगी. यह सबसे लंबा मेट्रो ट्रैक होगा, जिसकी लंबाई 35.64 किलोमीटर होगी. वहीं दिल्ली वारणसी बुलेट ट्रेन का कॉरिडोर गौतमबुद्ध नगर से होकर गुजरेगा. नोएडा का सेक्टर 148 पहला स्टेशन होगा और उसके बाद जेवर एयरपोर्ट होगा. 62.5 किलोमीटर की यह दूरी बुलेट ट्रेन के जरिए 21 मिनट में तय हो जाएगी.

PPP मॉडल के तहत बनेगा एयरपोर्ट

हवाई अड्डे का विकास यमुना इंटरनेशनल एयरपोर्ट प्राइवेट लिमिटेड (YIAPL) द्वारा किया जा रहा है, जो परियोजना के स्विस रियायतकर्ता ज्यूरिख इंटरनेशनल एयरपोर्ट एजी की 100 प्रतिशत सहायक कंपनी है. उत्तर प्रदेश सरकार और भारत सरकार के साथ मिलकर पीपीपी मॉडल के तहत हवाई अड्डे का विकास किया जा रहा है.

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