gwalior…. कोरोना की तीसरी लहर की आहट:न बच्चों के आईसीयू शुरू हुए और न नए अस्पताल का सी-ब्लॉक हुआ हैंडओवर
- शहर के सरकारी अस्पतालों में पर्याप्त नर्सिंग स्टाफ भी नहीं
दुनिया में ओमिक्राॅन वैरिएंट के दस्तक देने के बाद कोरोना की तीसरी लहर की आशंका बढ़ गई है, लेकिन शहर के सरकारी अस्पतालाें में आपात स्थिति के लिए तैयारियां पूरी नहीं हाे पाईं हैं। जुलाई से बार-बार प्रशासन यह दावा कर रहा था कि कोरोना की निपटने के लिए पूरे इंतजाम कर लिए गए हैं, लेकिन ये दावे हकीकत में नहीं बदल पाए। ऑक्सीजन के लिए जयारोग्य चिकित्सालय, जिला अस्पताल मुरार और सिविल अस्पताल हजीरा में प्लांट लग गया है, लेकिन जेएएच काे छाेड़कर किसी अस्पताल में पीडियाट्रिक आईसीयू शुरू नहीं हो पाया है।
सिविल अस्पताल हजीरा में तो पीडियाट्रिक आईसीयू बना ही नहीं है। उधर जयारोग्य चिकित्सालय परिसर में बन रहे 1000 बिस्तर के अस्पताल का सी-ब्लॉक का काम भी पूरा नहीं हो पाया है। यह अभी तक प्रशासन के हैंडओवर नहीं हो सका है।
प्रभारी मंत्री ने पुख्ता इंतजाम करने के फिर दिए निर्देश
कोरोना के नए वैरिएंट के कारण संभावित तीसरी लहर के खतरे को ध्यान में रखकर अस्पतालों में पुख्ता इंतजाम किए जाएं। इस तरह के निर्देश जिले के प्रभारी मंत्री तुलसीराम सिलावट ने कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह को टेलीफोन से चर्चा के बाद दिए। प्रभारी मंत्री ने कहा अस्पतालों में सामान्य, आईसीयू बेड व ऑक्सीजन बेड की तैयारी की समीक्षा की जाए। ऐसे ही वेंटिलेटर, मेडिकल किट, मास्क तथा बच्चों के उपचार में काम आने वाले चिकित्सकीय संसाधन को भी अभी से तैयार रखा जाए। वैक्सीनेशन महाअभियान की सफलता के लिए क्राइसिस मैनेजमेंट समिति के सदस्यों से बात कर तैयारी की डेली रिपोर्ट कलेक्टर से देने को कहा है।
जयारोग्य चिकित्सालय
पीडियाट्रिक आईसीयू डेंगू-वायरल से फुल : डेंगू-वायरल के कारण इस आईसीयू में 16 से बढ़ाकर 56 बेड किए गए हैं, जाे फुल हैं। अब यदि काेराेना से बच्चे बीमार हुए ताे उन्हें भर्ती करना मुश्किल हाेगा। यहां कम से 150 बेड का इंतजाम करना हाेगा। एक ऑक्सीजन प्लांट बंद, चार चालू: जेएएच में 4 ऑक्सीजन प्लांट चल रहे हैं लेकिन सन फार्मा का प्लांट काम नहीं कर रहा है। अस्पताल अधीक्षक डॉ. आरकेएस धाकड़ पहले ही कंपनी के अधिकारियों से कह चुके हैं कि वह अपना पुराना प्लांट ले जाएं अन्यथा नया लगाकर दें।
जिला अस्पताल मुरार
न सीटी स्कैन मशीन लगी और न बेड बढ़ाए: यहां ऑक्सीजन प्लांट लग गया है और मेडिसिन आईसीयू भी शुरू हो गया है, लेकिन न सीटी स्कैन मशीन लगी है और न बेड बढ़ाए गए हैं। पीडियाट्रिक आईसीयू भी शुरू नहीं हो पाया है।
1000 बेड के अस्पताल में सी-ब्लॉक का काम धीमा
सी ब्लाॅक का काम धीमी गति से चल रहा है। न फर्नीचर मिला है और न स्टाफ। जबकि प्रभारी मंत्री और अफसरों ने अगस्त में इस अस्पताल को चालू करने की बात कही थी।
सिविल अस्पताल हजीरा
स्टाफ कम, 30 से अधिक मरीज नहीं हाे पाएंगे भर्ती: यहां ऑक्सीजन प्लांट लग गया है, वार्ड बन गए हैं, लेकिन पीडियाट्रिक आईसीयू का काम ही शुरू नहीं हो पाया है। यहां सिर्फ 17 नर्सिंग स्टाफ है। मेडिसिन और पीडियाट्रिक विशेषज्ञ नहीं है। सिर्फ 30 मरीज भर्ती हो सकते हैं।