पनामा पेपर्स के चलते ऐश्वर्या ED के रडार पर आईं, नवाज शरीफ को छोड़नी पड़ी थी कुर्सी; आखिर यह है क्या

20 दिसंबर को ऐश्वर्या राय बच्चन से प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 7 घंटे पूछताछ की। ऐश्वर्या से उनकी कंपनियों और बैंक अकाउंट्स के बारे में सवाल हुए। ये पूछताछ पनामा पेपर लीक मामले में हुई थी।

साल 2016 में पनामा पेपर लीक हुए थे। इस मामले में नाम सामने आने के बाद पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को पद छोड़ना पड़ा था। पनामा पेपर्स में करीब 500 भारतीयों के नाम भी शामिल हैं। कयास लगाए जा रहे हैं कि इस मामले में अमिताभ बच्चन समेत कई दूसरे बड़े नाम भी ED के निशाने पर आ सकते हैं।

समझते हैं, ये पनामा पेपर्स क्या हैं? इनमें ऐसा क्या है कि देशों के प्रधानमंत्रियों को इस्तीफा देना पड़ा? देश-विदेश के किन बड़े लोगों के नाम इसमें शामिल हैं? अमिताभ और ऐश्वर्या राय बच्चन पर क्या आरोप हैं? और भारत में इस मामले की जांच कहां पहुंची है?

पनामा पेपर्स क्या हैं?

Süddeutsche Zeitung नाम का एक जर्मन अखबार है। इस अखबार को मोस्सैक फोंसेका नाम की एक कंपनी के 1.15 करोड़ से ज्यादा लीक्ड डॉक्यूमेंट हासिल हो गए।

इस अखबार ने ये सभी डॉक्यूमेंट इंटरनेशनल कंसॉर्टियम ऑफ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट (ICIJ) के साथ शेयर किए। ICIJ दुनियाभर के पत्रकारों और मीडिया हाउसेज का एक संस्थान है। ICIJ ने ये दस्तावेज दुनियाभर के मीडिया संस्थानों के साथ शेयर किए जिनकी लंबी जांच-पड़ताल की गई। चूंकि, मोस्सैक फोंसेका कंपनी पनामा में रजिस्टर्ड थी इसलिए इन दस्तावेजों को पनामा पेपर्स कहा जाता है।

इन पेपर्स से क्या खुलासा हुआ?

इन पेपर्स में संबंधित व्यक्तियों से जुड़ी वित्तीय जानकारियां और अवैध लेनदेन का रिकॉर्ड है। इन लोगों ने टैक्स चोरी और बाकी वित्तीय लेनदेन से जुड़ी पाबंदियों से बचने के लिए ऑफशोर कंपनियों में गैरकानूनी निवेश किया। ये कंपनियां ऐसे देशों में खोली गईं, जिन्हें टैक्स हेवन्स कहा जाता है। यानी, कंपनियों के मालिकाना हक और लेनदेन पर टैक्स का कोई चक्कर ही नहीं।

मोस्सैक फोंसेका क्या करती थी?

मोस्सैक फोंसेका पनामा की एक लॉ कंपनी थी। आसान भाषा में समझें तो अगर आपके पास बहुत सारा पैसा है, तो ये कंपनी उसे सुरक्षित रूप से ठिकाना लगाने में आपकी मदद करती है। ये आपके नाम से फर्जी ऑफशोर कंपनी खोलती है। ऑफशोर कंपनियां वो होती हैं, जिनका रजिस्ट्रेशन किसी दूसरे देश में किया जाता है और ये कारोबार किसी दूसरे देश में करती हैं। इस तरह की ज्यादातर कंपनियां गुमनाम होती हैं। इनका मालिक कौन है, किसके पैसे लगे है, जैसी सभी बातें गुप्त रखी जाती है। यानी, आप मोस्सैक फोंसेका को फीस दीजिए और वो आपके नाम से सीक्रेट और आसान टैक्स सिस्टम वाले देशों में फर्जी कंपनियां बना देगी।

तो क्या ऑफशोर कंपनियां बनाना गैरकानूनी है?

बिजनेस के लिए ऑफशोर कंपनियां बनाना गैरकानूनी नहीं है, लेकिन अक्सर ऐसी कंपनियों का इस्तेमाल टैक्स की चोरी और मनी लॉन्ड्रिंग के लिए किया जाता है। इसलिए आशंका जताई जा रही है कि जिन लोगों का नाम इस लिस्ट में हैं, उनका उद्देश्य भी यही हो सकता है।

खुलासे में किन भारतीयों के नाम शामिल हैं?

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, इस लिस्ट में 500 भारतीयों, कंपनियों और ट्रस्ट्स के नाम हैं। बड़े नामों में अमिताभ बच्चन, ऐश्वर्या राय बच्चन, अभिनेता अजय देवगन, मशहूर वकील हरीश साल्‍वे, पत्रकार करण थापर, छत्तीसगढ़ के पूर्व CM रमन सिंह के बेटे अभिषेक सिंह, DLF के प्रमोटर केपी सिंह, इंडियाबुल्स के समीर गहलोत, गौतम अडाणी के बड़े भाई विनोद अडाणी, अंडरवर्ल्ड सरगना इकबाल मिर्ची, जूट और चाय का कारोबार करने वाले शिशिर के बाजोरिया, अपोलो टायर्स के ओंकार कंवर, रेडिमेड कपड़ों के कारोबारी सतीश गोविंद समतानी, विश्‍लव बहादुर और हरीश मोहनानी, बर्कले ऑटोमोबाइल्‍स के रंजीत दहुजा, कपिल सैन गोयल और पूर्व अटॉर्नी जनरल सोली सोराबजी के बेटे जहांगीर एस सोराबजी के नाम शामिल हैं।

खुलासे में शामिल विदेशी बड़े नाम भी जान लीजिए

चीन के राष्‍ट्रपति शी जिनपिंग, गोल्फ प्लेयर टाइगर वुड्स, पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और बेनजीर भुट्टो, सऊदी अरब के किंग सलमान बिन अब्दुलअजीज अल सौद, ब्रिटेन के पूर्व PM डेविड कैमरन के पिता, मशहूर फुटबॉलर लियोनल मैसी, हॉलीवुड स्टार जैकी चैन, मिस्र के पूर्व तानाशाह होस्नी मुबारक, लीबिया के पूर्व तानाशाह मुअम्मर गद्दाफी, सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद, फ्रांस के मशहूर फुटबॉलर माइकल प्‍लाटिनी के नाम लिस्ट में शामिल हैं।

अमिताभ और ऐश्वर्या राय बच्चन पर क्या आरोप हैं?

अमिताभ बच्चन को टैक्स हैवन देशों में 1993 में बनीं चार शेल कंपनियों का डायरेक्टर बनाया गया था। इन कंपनियों की ऑथोराइज्ड कैपिटल 5 से 50 हजार डॉलर के बीच थी, लेकिन ये कंपनियां उन शिप्स का कारोबार कर रही थीं, जिनकी कीमत करोड़ों में थी।

ऐश्वर्या को अमिक पार्टनर्स प्राइवेट लिमिटेड नाम की एक कंपनी का डायरेक्टर बनाया गया था। बाद में उन्हें कंपनी का शेयर होल्डर बना दिया गया। इसका हेडक्वार्टर टैक्स हेवन देश वर्जिन आइलैंड्स में था। ऐश्वर्या के अलावा पिता के. राय, मां वृंदा राय और भाई आदित्य राय भी कंपनी में उनके पार्टनर थे। 2005 में बनी ये कंपनी 3 साल बाद 2008 में बंद हो गई। आरोप है कि टैक्स बचाने के लिए यह शेल कंपनी बनाई गई थी।

भारत में इस मामले की जांच कहां पहुंची?

पनामा पेपर्स में भारतीयों का नाम सामने आने के बाद सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेस (CBDT) ने इसकी जांच शुरू कर दी थी। CBDT ने कई लोगों को कानूनी नोटिस भेज जवाब तलब किए थे।

जून 2021 तक CBDT ने इस मामले में 20,078 करोड़ रुपए की कुल अघोषित संपत्ति की पहचान की। साथ ही अलग-अलग अदालतों में काला धन अधिनियम और आयकर अधिनियम के तहत 46 अभियोग दायर किए हैं।

इससे पहले अप्रैल 2018 तक CBDT ने 1,088 करोड़ और जून 2019 तक 1,564 करोड़ रुपए की अघोषित संपत्ति की पहचान की थी।

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री को गंवानी पड़ी थी कुर्सी

पनामा पेपर्स में पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ का भी नाम है। नवाज शरीफ के बेटों हुसैन और हसन और बेटी मरियम नवाज ने वर्जिन आइलैंड में चार कंपनियां शुरू की थीं। इन कंपनियों से लंदन में छह बड़ी प्रॉपर्टीज खरीदीं गईं। शरीफ फैमिली ने इन प्रॉपर्टीज को गिरवी रख डॉएचे बैंक से करीब 70 करोड़ रुपए का लोन लिया था।

पनामा पेपर्स में नाम आने के बाद मामले की जांच के लिए एक जॉइंट इन्वेस्टिगेशन टीम (JIT) का गठन किया गया था। JIT ने जांच के बाद 10 जुलाई 2017 को सुप्रीम कोर्ट के सामने अपनी रिपोर्ट पेश की। 28 जुलाई 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने नवाज शरीफ को दोषी करार दिया था। कोर्ट ने शरीफ के खिलाफ मामला दर्ज करने और शरीफ को PM पद के लिए अयोग्य ठहराने का भी आदेश दिया था। 6 जुलाई 2018 को शरीफ को 10 साल की सजा भी हुई।

पनामा मामले में नाम आने के बाद आइसलैंड के प्रधानमंत्री सिंगमंडर गुनलॉगसन ने भी पद से इस्तीफा दे दिया था।

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