जबलपुर…. मार्बल सिटी हॉस्पिटल में संचालित थी अवैध पैथोलॉजी….

जबलपुर हेल्थ विभाग ने शहर में चल रहे उसके 30 कलेक्शन सेंटर भी बंद कराए……

नामी अस्पताल में शामिल मार्बल सिटी हॉस्पिटल में चार सालों से अवैध पैथोलॉजी सेंटर संचालित हो रही थी। इस पैथोलॉजी के शहर में 30 अनाधिकृत कलेक्शन सेंटर भी खोल लिए गए थे। सीएमएचओ के निर्देश पर उड़नदस्ता टीम ने सभी सेंटर बंद कराए।

स्वास्थ्य विभाग पैथोलॉजी जांच के लिए उड़नदस्ता दल बनाया है। बुधवार को दल ने रामपुर स्थित मार्सग्रेट पैथोलॉजी कलेक्शन सेंटर की जांच करने पहुंची। यहां बोर्ड में पैथ केयर, एसआरएल और थायरोकेयर के नाम लिखे मिले। इसी नामी कंपनी के ब्रांड का उपयोग कर वहां मरीजों से मोटा शुल्का वसूला जाता था।

रामपुर स्थित मार्सग्रेट पैथोलॉजी से मार्बल सिटी के पैथोलॉजी का कारनामा आया सामने।
रामपुर स्थित मार्सग्रेट पैथोलॉजी से मार्बल सिटी के पैथोलॉजी का कारनामा आया सामने।

मार्बल सिटी के बेसमेंट में संचालित थी अवैध पैथोलॉजी

टीम ने यहां से मार्बल सिटी में छापा मारा। इसके बेसमेंट में पैथकेयर नाम से पैथोलॉजी सेंटर संचालित मिली। रजिस्स्ट्रेशन मांगा तो वह नहीं दिखा पाया। जबकि ये पैथोलॉजी पिछले चार सालों से संचालित है। उसने शहर में 30 से अधिक कलेक्शन सेंटर खोल रखे थे।

अस्पताल संचालक ने ये कहा

उड़नदस्ता टीम ने इस मामले में मार्बल सिटी अस्पताल संचालक से बात की, तो बताया गया कि उनका पैथकेयर के साथ आउट सोर्स एजेंसी के रूप में एग्रीमेंट है। सैम्पल बाहर से लाकर जांच करने की उन्हें कोई जानकारी नहीं है। इसके लिए उसे नोटिस देने की बात कही है।

खुद का रजिस्ट्रेशन नहीं, शहर में चला रहा था 30 कलेक्शन सेंटर।
खुद का रजिस्ट्रेशन नहीं, शहर में चला रहा था 30 कलेक्शन सेंटर।

शहर में 30 से अधिक पिकअप प्वाइंट लैब कलेक्शन चला रहा था

मार्बल सिटी हॉस्पिटल में संचालित पैथ केयर पैथोलॉजी सेंटर अवैध रूप से संचालित था। सीएमएचओ के यहां बिना रजिस्ट्रेशन कराए शहर में 30 से अधिक कलेक्शन सेंटर खोल रखे थे। वह इन सेंटर्स को अलग-अलग नाम से चला रहा था। ये पिकअप प्वाइंट साइड लैब कलेक्शन के तौर पर संचालित थी। सभी को सीएमएचओ डा. रत्नेश कुरारिया के निर्देश पर बंद करा दिया गया।

अस्पताल के खिलाफ भी होगी कार्रवाई

जांच दल में शामिल डॉक्टर केके वर्मा, डॉक्टर एहतेशाम अंसारी, डॉ. विभोर हजारी व डॉ. प्रियंक दुबे ने बताया कि अस्पताल प्रशासन की भूमिका भी संदिग्ध है। अनुबंध करते समय सबसे पहले पैथोलॉजी का रजिस्ट्रेशन ही देखा जाता है। पर इसे नजरअंदाज किया गया। अस्पताल प्रबंधन की भूमिका की भी जांच चल रही है।

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