देश में क्रांतिकारी परिवर्तन युवा शक्ति के शंखनाद से ही

विचार…..
‘ युवा भारत , नया भारत ‘ की संकल्पना महाविद्यालय के विद्यार्थियों के बौद्धिक विकास , आत्मबल , चरित्र निर्माण , स्वाबलंबन , उत्थान में अपनी अद्वितीय भूमिका निर्वहन कर सकती है । युवा ही नये भारत के निर्माण में अपनी हठधर्मिता का परिचय दे सकती है जो संपूर्ण राष्ट्र के समग्र , सर्वांगीण एवँ चहुमुँखीं विकास में निर्णायक साबित हो सकती है । सृजनात्मकता , सकारात्मक चिंतन , बौद्धिक अभिव्यक्ति, निर्णय योग्यता , विषय का अद्यतन ज्ञान , दूरदर्शी एवं अच्छे विचार के लिये विश्विद्यालय से बढ़कर कोई स्थान नहीं ।

लेखक: डाॅक्टर प्रभाकर कुमार

स्वामी विवेकानंद के शब्दों में ” युवा शक्ति ही विश्व की सबसे बढ़ी शक्ति है जिसका समग्र उपयोग राष्ट्र में वैचारिक क्रांति की सूत्रपात कर सकती है । युवा ही देश में वैचारिक क्रांति ला सकते हैं , देश के आधारभूत एवं मौलिक सरंचना में बदलाव कर सकते हैं एवं सभ्य समाज की परिकल्पना को मूर्त रूप में बदल सकते हैं । देश के समग्र , सर्वांगीण एवं चतुर्दिक विकास में युवाओं की महत्वपूर्ण भूमिका मानी जा रही है । महाविद्यालय में युवाओं के व्यक्तित्व निर्माण पर विशेष बल दी जाये ताकि युवाओं को सही दिशा , कुशल चरित्र निर्माण पर विशेष बल दी जा सके , सन्मार्ग की ओर अग्रसर , आत्मोथान की प्रक्रिया और सही दशा , समदर्शी भाव से जीवन में अग्रसर होने की शिक्षा दी जाये , राष्ट्र निर्माण में अद्वितीय भूमिका के निर्वहन में अपना उत्कृष्ट दें ताकि देश हित / राज्य हित एवं परिवार हित में युवा कर्मठता का परिचय दे सकें । युवा शक्ति को प्रबल , संगठित किये जाने की शंखनाद की जरूरत है ताकि सहनशीलता , सृजनात्मक कार्यों , सार्वभौमिक सिद्धांतो को बल दी जा सके । युवाओं को शिक्षा की नीति एवं प्रासंगिकता पर बल दिये जाने की जरूरत है ताकि उनका सारगर्भित व्यक्तित्व परिष्कृत हो पाये और समाज हित , देश हित में वह अद्वितीय योगदान कर पाएं ।

युवाओं का विकास विश्विद्यालय स्तर पर कर कर्मठ , प्रखर इंसान/व्यक्तित्व का निर्माण किया जा सकता है । उक्त कार्य में शिक्षकों की महती भूमिका से इंकार नही की जा सकती है । देश में क्रांतिकारी व आमूल चामुल अवश्यम्भावी परिवर्तन की रूपरेखा युवा शक्तियों को सामूहिक एकजुटता कर शंखनाद करने में है ।

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