सुपरटेक के 200 मीटर एरिया के 650 फ्लैट होंगे खाली ….
CBRI ने US की एडफिस कंपनी को दिया सुझाव, नोएडा में एक्सप्लोसिव से गिराए जाएंगे दोनों टावर……
- 10 दिसंबर को तय होगा, कब ध्वस्त किए जाएंगे दोनों टावर..
नोएडा में सुपरटेक के दोनों टावर (सियान और एपेक्स) को गिराने से पहले 200 मीटर का एरिया (15 टावरों) को खाली कराना होगा। सेंट्रल बिल्डिंग रिचर्स इंस्टीट्यूट (CBRI) ने US की एडफिस कंपनी को यह सुझाव दिया है। फाइनल प्रजेंटेशन 10 जनवरी को होगा, उसी दिन तय होगा कि दोनों टावर कब ध्वस्त किए जाएंगे। प्रपोजल के अनुसार, एडफिस कंपनी ने साढ़े छह महीने का समय मांगा है। इसमें तीन महीने प्लानिंग और साढ़े तीन महीने इमारत की जगह को साफ करने में लगेगा।
दोनों टावरों को एक्सप्लोसिव से गिराने से पहले एमराल्ड कोर्ट के 15 टावरों में बने 650 फ्लैट में रहने वाले 2500 लोगों को फ्लैट खाली करना होगा। ध्वस्तीकरण के बाद सुरक्षा और स्ट्रक्चरल जांच के बाद सभी लोगों को उनके फ्लैटों में वापस भेज दिया जाएगा। बता दें, यहां 16 और 17 नंबर टॉवर को ही ध्वस्त किया जाना है। लेआउट प्लान के तहत इन दोनों टावरों की दूरी अन्य टावरों से 9 से 18 मीटर ही है।
हवा की डायरेक्शन भी होगी अहम
इमारतों को ध्वस्त करने से पहले हवा का डायरेक्शन काफी महत्वपूर्ण होगा। कोशिश रहेगी कि जब इमारतों को ध्वस्त किया जाए तो हवा का डायरेक्शन अन्य टावरों की तरफ नहीं बल्कि, उसके अपोजिट साइड हो। ताकि 15 से 20 मिनट तक बनने वाला हवा का गुबार का असर टावरों के इंफ्रास्ट्रक्चर पर न पड़े। टावरों को एक्सप्लोसिव से गिराया जाएगा।
इन सुझावों पर करना होगा अमल
- इमारतों को ध्वस्त करने से लेकर मलबा हटाने की टाइमलाइन
- इमारतों को ध्वस्त करने से पहले ट्रैफिक डायवर्जन, विद्युत निगम और प्रदूषण विभाग सें एनओसी
- डस्ट रिएक्शन और विंड डायरेक्शन, इमारत की क्षमता
- हेल्थ मॉनिटरिंग, साउंड वेव, वाइब्रेशन आदि को भी समझना होगा, ताकि दूसरी इमारतों पर इसका असर न पड़े
जोहांसबर्ग में ध्वस्त की थी 108 मीटर ऊंची इमारत
कंपनी दक्षिण अफ्रीका के जोहांसबर्ग में 108 मीटर ऊंची इमारत को ध्वस्त कर चुकी है। इस इमारत की दूसरी इमारत से दूरी 8 मीटर थी, जोकि काफी पेचीदा काम था। यहां भी यही स्थिति है। सियान और एपेक्स दोनों टावरों की ऊंचाई 100 मीटर है और अन्य टावर से दूरी 9 मीटर की है। अधिकारियों ने बताया कि दोनों की संरचनात्मक स्टडी एक जैसी है। इसके अलावा कंपनी कोच्चि में भी इमारत को ध्वस्त कर चुकी है।
हाईकोर्ट ने 2014 में लगाया था स्टे
सुपरटेक के दोनों टावरों में 950 से ज्यादा फ्लैट्स बनाए जाने थे। उच्च न्यायालय (HIGH COURT) की ओर से 2014 में स्टे लगाने के पहले 32 फ्लोर का कंस्ट्रक्शन पूरा हो चुका था। 633 लोगों ने फ्लैट बुक कराए थे। जिनमें से 248 रिफंड ले चुके हैं।133 दूसरे प्रोजेक्ट्स में शिफ्ट हो गए, लेकिन 252 ने अब भी निवेश कर रखा है।
30 नवंबर तक ध्वस्त किए जाने थे दोनों टावर
सुप्रीम कोर्ट ने 31 अगस्त 2021 को दोनों टावरों को ध्वस्त करने के लिए 30 नवंबर तक का समय दिया था, लेकिन टावर तय समय में ध्वस्त नहीं किए जा सके। प्राधिकरण व सुपरटेक दोनों ही इस मामले में अपना जवाब सुप्रीम कोर्ट में जमा कर चुकी हैं।
एमराल्ड कोर्ट अध्यक्ष उदय भान सिंह तेवतिया ने बताया कि टावरों को ध्वस्त करने से पहले यहां रहने वाले लोगों की सुरक्षा को प्राथमिकता देनी होगी। उन्हें आश्वस्त करना होगा कि टावर ध्वस्तीकरण के दौरान उनको या उनके फ्लैटों को कोई नुकसान नहीं पहुंचे।
इसलिए गिराए जा रहे हैं दोनों टॉवर
सुपरटेक बिल्डर ने नोएडा के सेक्टर-93 में एमरल्ड कोर्ट नाम के बिल्डिंग परिसर में 40 और 39 मंजिल के 2 नए टावर खड़े कर दिए। 950 फ्लैट वाले दोनों टावर बनाते समय वहां पहले से रह रहे लोगों की सहमति नहीं ली गई। नक्शे के हिसाब से यह निर्माण सोसाइटी के खुले क्षेत्र में उस जगह किया गया, जहां से पार्क में जाने का रास्ता था। इस विशाल निर्माण से इमारतों के बीच की दूरी बहुत कम हो गई। पहले से रह रहे लोगों को रोशनी और हवा पाने में भी समस्या होने लगी।
सोसाइटी के आरडब्ल्यूए ने नोएडा ऑथोरिटी से निर्माण के बारे में जानकारी मांगी, तो उन्हें मना कर दिया गया। एमरल्ड कोर्ट निवासी इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंचे। हाईकोर्ट ने अप्रैल 2014 में दोनों टावरों को अवैध करार दिया। उन्हें गिराने का आदेश दे दिया। हाईकोर्ट ने कहा था कि एपेक्स और सियान नाम के इन टावरों का निर्माण नियमों का उल्लंघन किया गया है। इसी फैसले के खिलाफ सुपरटेक ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी।