नई सौगात : मोबाइल के जरिए घर बैठे सुनवाई में शामिल हो सकेंगे आरटीआई आवेदक

समय के साथ आने-जाने में किराए खर्च की भी होगी बचत

भोपाल। आरटीआई के तहत घर बैठे जानकारी देने का प्रावधान है, लेकिन यदि संबंधित विभाग यह जानकारी उपलब्ध नहीं कराता तो आवेदक को राज्य सूचना आयोग की शरण में जाना पड़ता है। यहां अपील और सुनवाई में आवेदक को समय देना होता है। यदि आवेदक घर बैठे मोबाइल के जरिए सुनवाई में शामिल हो सके और अन्य सूचनाएं भी उसे ऑनलाइन माध्यम से मिल जाएं तो यह उनके लिए किसी सौगात से कम नहीं होगी। राज्य सूचना आयोग अब कुछ ऐसी ही तैयारी करने जा रहा है। जिससे ऑनलाइन आवेदन के साथ सुनवाई भी ऑनलाइन हो। इसके लिए विशेष प्रकार का सिस्टम तैयार किया जा रहा है। राज्य सूचना आयोग के सचिव राजेश ओगरे ने पत्रिका से विशेष चर्चा के दौरान इसका खुलासा किया। इसको लेकर राज्य सरकार स्तर पर बातचीत चल रही है। पेश है चर्चा के मुख्य अंश –
– ऑनलाइन सिस्टम का लाभ आमजन को कब तक मिलना शुरू हो जाएगा।
जवाब – मुख्य सूचना आयुक्त का फोकस जल्द से जल्द इस सिस्टम को शुरू करने को लेकर है। कुछ तकनीकी दिक्कते हैं, जिसे सरकार स्तर पर दूर किया जा रहा है। विशेष प्रकार के सॉफ्टवेयर के माध्यम से आयोग के साथ सभी विभागों को इससे जोड़ा जाएगा।
– क्या मोबाइल के जरिए भी सुनवाई की तैयारी है, यह कैसे हो सकेगी।
जवाब – राज्य सरकार के सभी विभागों के अपीलीय अधिकारियों के मोबाइल नम्बर और वाट्सअप नम्बर मांगे गए थे। यह इसी कड़ी का हिस्सा है। वाट्सअप नम्बर होगा तो सुनवाई भी वाट्सअप हो सकेगी। कोरोनाकाल के दौरान कुछ सूचना आयुक्तों ने यह प्रयोग किया था। प्रयोग सफल रहा। अब इसे और व्यवस्थित किया जाना है। एनआईसी से भी चर्चा हुई है। सभी सूचना आयुक्तों के कक्ष से ऑनलाइन सुनवाई की व्यवस्था किए जाने को लिखा गया है।
– क्या कोरोनाकाल में भी आयोग में सुनवाई होती रहीं, यदि उस दौरान सुनवाई हुुई तो अनुभव कैसा रहा।
जवाब – कोरोनाकाल में दौरान सबसे ज्यादा चिंता यह थी कि लोगों को आरटीआई के तहत जानकारी कैसे मिले। इसलिए मोबाइल सुनवाई का प्रयोग शुरू हुआ। इससे सोशल डिस्टेंसिंग बनी रही, संक्रमण का भी खतरा नहीं रहा। मोबाइल पर सुनवाई हुई, आदेश भी मोबाइल पर ही दिया गया।
– आरटीआई के तहत ऑनलाइन आवेदन का लाभ अभी तक आवेदकों को सभी सरकारी विभागों में नहीं मिल पा रहा है, इसमें कमी कहां है।
जवाब – यह सही है कि ऑनलाइन आवेदन का लाभ आवेदकों को दिया जाना है। विभाग स्तर पर कहां खामी है, यह संबंधित विभाग ही बता सकते हैं। लेकिन आयोग ने पूरा सिस्टम ऑनलाइन करने की कोशिश है। यदि आवेदन ऑफ लाइन भी आता है तो उसकी ऑनलाइन सिस्टम पर एंट्री की जाती है। जिससे एक क्लिक पर पूरी जानकारी मिल सके।
– सभी सरकारी विभागों के साथ क्या राज्य सूचना आयोग में भी आरटीआई लागू है।
जवाब – जी हां, यहां भी आरटीआई लागू है। यहां के काम-काज से जुड़ी जानकारी के आवेदन आते हैं, देने योग्य जानकारी आरटीआई के तहत दी जाती है। छह माह पहले जब मैंने यहां ज्वाइन किया था, उस दौरान यहां 80 मामले लंबित थे, लेकिन आज की तिथि में कोई भी प्रकरण लंबित नहीं है।
– राज्य सूचना आयोग में लंबित मामलों की क्या स्थिति है।
जवाब – राज्य सूचना आयोग में लंबित मामलों में तेजी से कमी आई है। सूचना आयुक्तों ने लगातार सुनवाई कर इस काम को अंजाम दिया। आज की स्थिति में आयोग के पास चार हजार अपील लंबित हैं।
– आयोग में स्टाफ की स्थिति कैसी है, कितने पद रिक्त हैं, रिक्त पद कब तक भरे जाएंगे।
जवाब – आयोग में वैसे तो 96 का स्टाफ स्वीकृत है, लेकिन स्वीकृत पदों की तुलना में अमला कम है। सूचना आयुक्तों के पद रिक्त होने के कारण कम स्टाफ से काम चल जाता है। शासन से आग्रह किया गया है कि रिक्त पदों की पूर्ति की जाए।
– आयोग वैसे तो आमजन की मदद के लिए काम करता है, फिर भी आयोग के पास आय का कोई अन्य जरिया है क्या।
जवाब – यह सही है कि आयोग आमजन की मदद के लिए है, इसलिए यहां से आय की उम्मीद करना गलत है। आरटीआई के जानकारी देने में लापरवाही करने या फिर अन्य कारणों से सूचना आयुक्त जिम्मेदार अफसरों पर जो जुर्माना लगाते हैं, वह राशि आयोग के खाते में आती है। इसके अलावा आयोग ने एक फ्लोर किराए पर दे रखा, इसलिए कुल मिलाकर 35 लाख सालाना की आय इन दोनों स्त्रोतों से होती है

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