23 साल के विधान ने डायबिटिक फुटवियर स्टार्टअप शुरू किया; अब सालाना 10 लाख कमा रहे
कहते हैं अगर इरादा मजबूत हो तो छोटी उम्र में भी बड़ा काम किया जा सकता है। इसकी मिसाल हैं चेन्नई के 23 साल के विधान भैया। डायबिटीज से पीड़ित अपने एक रिश्तेदार की तकलीफ देख विधान को खास तरह के फुटवियर बनाने का आइडिया आया। उन्होंने साल 2019 में पढ़ाई के साथ ‘डॉ. ब्रिंसले’ नाम से स्टार्टअप शुरू किया। ऐसा फुटवियर जो मेडिकली फिट होने के साथ-साथ काफी फैशनेबल भी दिखता है। इससे विधान हर साल 8-10 लाख रुपए की कमाई कर रहे हैं, साथ ही कई लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं।
‘इंटरनेशनल वर्किंग ग्रुप ऑन द डायबिटिक फुट की एक रिसर्च के मुताबिक भारत में करीब 8 करोड़ लोगों को डायबिटीज है। चीन के बाद भारत दूसरा देश है, जहां सबसे लोग ज्यादा इस बीमारी से परेशान हैं। करीब 25% डायबिटिक पेशेंट्स में पैरों से जुड़ी गंभीर समस्याएं देखी जाती हैं। कई बार ये समस्या इतनी बढ़ जाती है कि लोगों के पैर तक काटने पड़ते हैं।
एक रिसर्च के अनुसार डायबिटीज का हर 5वां मरीज डायबिटिक फुट का मरीज हो जाता है। लगभग 90% मरीजों में डायबिटीज के कारण अगले 5-10 सालों में उनके पैरों में कुछ बदलाव होने लगते हैं। अगर सही देखभाल की जाए तो इस तरह के 50% केसेज को रोका जा सकता है।
अंकल की तकलीफ देख आइडिया आया
विधान अमेरिका की बोस्टन की नॉर्थईस्टर्न यूनिवर्सिटी से केमिकल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएट हैं। 2016 में विधान छुट्टियों में भारत आए थे। उस दौरान उनका एक शादी में जाना हुआ जहां उनके अंकल मिले, जिन्हें डायबिटीज थी। उनकी तकलीफ देख विधान को खास तरह का फुटवियर बनाने का आइडिया आया।
भास्कर से बात करते हुए विधान बताते हैं, “मैंने नोटिस किया कि अंकल शादी में बहुत ज्यादा सहज महसूस नहीं कर रहे थे। उन्हें हाल ही में डायबिटिक न्यूरोपैथी होने का पता चला था। इस वजह से उनके पैरों में तकलीफ थी। फोटो खिंचवाते हुए वे अपने भारी भरकम जूतों की वजह से काफी परेशान दिख रहे थे। तब वे डायबिटिक सोल वाले ही शूज पहने हुए थे। तब मैंने सोचा क्यों न ऐसे लोगों के लिए फुटवियर बनाया जाए जो कंफर्टेबल होने के साथ काफी स्टाइलिश भी हो।”
विधान के पहले कस्टमर उनके अंकल ही बने। आज उनका यह प्रोडक्ट 85 अस्पतालों के साथ जुड़ा हुआ है और तकरीबन एक हजार डायबिटिक मरीजों को फायदा पहुंचा चुका है।
डायबिटीज से पीड़ित लोगों के पैर काफी नाजुक होते हैं
विधान बताते हैं, “डायबिटीज से जूझ रहे लोगों के लिए फुटवियर खरीदना कोई आसान काम नहीं है। पैरों में होने वाली दिक्कतों के चलते उनका सारा ध्यान कंफर्ट पर ही होता है। जब बात कंफर्ट की हो, तो फुटवियर के लिए ज्यादा ऑप्शन हमारे सामने नहीं होता। आरामदायक जूतों के डिजाइन बहुत कम ही लोगों को पसंद आते हैं। मैं कुछ ऐसे लोगों को भी जनता हूं जो फैशन की वजह से तकलीफ सहना पसंद करते हैं, लेकिन उन्हें आगे जाकर कई दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।”
दरअसल जब ब्लड में शुगर लंबे समय तक अनकंट्रोल्ड रहता है तो इससे पैरों की नर्व्स को नुकसान पहुंचता है। जिससे पैर का कुछ हिस्सा सुन्न हो जाता है। वहां दर्द महसूस नहीं होता है। यह स्थिति डायबिटिक न्यूरोपैथी के नाम से जानी जाती है। अगर उस हिस्से में चोट लग जाए या किसी तरह का घाव हो जाए तो वहां दर्द भी नहीं होता। साथ ही उस हिस्से में इन्फेक्शन की आशंका भी काफी बढ़ जाती है। इस वजह से इन मरीजों को अपने पैर का बहुत ज्यादा ध्यान रखना चाहिए।
क्या खासियत है डॉ. ब्रिंसले डायबिटिक फुटवियर की
विधान के अनुसार उन्होंने अपने ब्रांड में फैशन और कम्फर्ट दोनों बातों का खास ध्यान रखा है। काफी खूबसूरत और स्टाइलिश दिखने के कारण उन्हें देख कर पता भी नहीं किया जा सकता कि वो डायबिटिक फुटवियर हैं। इस कारण ये शूज लोगों को काफी पसंद भी आ रहे हैं।
विधान कहते हैं, “देश में बहुत कम ही कंपनियां हैं जो सिर्फ डायबिटिक फुटवियर बनाती हैं। मैंने लोगों की परेशानी जानने के लिए करीब 400 से ज्यादा पेशेंट्स और डॉक्टर से बात कर उनकी जरूरतों को समझा। एक साल तक लगातार रिसर्च किया किया। इसके बाद शू इंडस्ट्री को समझने के लिए इटली के शहर सिविटानोवा मार्चे भी गया। जब एक्सपर्ट्स और डॉक्टर्स से सहमति मिली तो 2019 में मैंने अपने ब्रांड डॉ ब्रिंसले को लांच कर दिया।”
डॉ ब्रिंसले में 1000 से 3000 रुपए के फुटवियर हैं। करीब 4 से 5 मॉडल पुरुषों और 5 से 6 मॉडल महिलाओं के लिए हैं। स्पोर्ट्स शूज से ले कर पार्टी वियर और बूट्स भी हैं। इन फुटवियर की खासियत ये है कि इन्हें अंदर से काफी आरामदायक बनाया गया है। साथ ही इस बात का ध्यान भी रखा गया है कि पैरों में किसी तरह स्ट्रेस ना आए। इसके लिए जूतों की खास सिलाई की गई है। साथ ही पैरों की उंगलियों के बीच भी आरामदायक स्पेस बनी रहे। ज्यादातर ऑर्डर युवा प्रोफेशनल्स द्वारा किए जाते हैं, जो अपने घर के सदस्यों के लिए इसे खरीदना चाहते हैं।
स्कॉलरशिप से शुरू किया बिजनेस
जहां तक फंड की बात है, वे कहते हैं कि साल 2017 में मैंने अपने प्लान को साकार करने के लिए ‘स्कॉलर्स इंडिपेंडेंट रिसर्च फेलोशिप’ के लिए आवेदन किया। जहां से तकरीबन 85,000 अमेरिकी डॉलर यानी 63,37,345 रुपए की फेलोशिप मिली। इसके अलावा कॉलेज की तरफ से स्कॉलरशिप भी मिली।
विधान बताते हैं, “मुझे खुशी है कि मैंने अपने सपने को पूरा करने के लिए किसी की आर्थिक मदद नहीं ली। जो पैसे कॉलेज से मिले, उससे मैंने अपने स्टार्टअप की शुरुआत की। हालांकि इसमें मेरे दो फैकल्टी डॉ मार्क सिवाक और डॉ मार्क मेयर ने काफी मदद की।”
दूसरे सभी बिजनेस की तरह विधान को भी कोरोना के दौरान काफी नुकसान हुआ। मार्केटिंग के लिए पहले वे लोगों से मिले फिर हॉस्पिटल में कॉन्टैक्ट करना शुरू किया। अस्पताल में बिक्री के लिए बिचौलियों से जूझना पड़ता था। हालांकि बाद में कोविड की वजह से सेलिंग रुक गई। फिर उन्होंने लोगों तक डायरेक्ट पहुंचने के लिए ऑनलाइन मार्केटिंग का रास्ता चुना। अपनी वेबसाइट के जरिए मार्केटिंग शुरू की और धीरे-धीरे उनके बिजनेस को काफी फायदा होने लगा।
काम के साथ आगे पढ़ाई भी करेंगे
फिलहाल, विधान अपने माता-पिता के साथ रहते हैं और अगले साल हॉर्वर्ड से एमबीए करने वाले हैं। वे बताते हैं, “मुझे हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से अप्रूवल लेटर मिला हैं। मैं 2023-2026 के सेशन में पढ़ने के लिए वहां जा रहा हूं। इससे मुझे अपने बिजनेस को भी आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी।”
विधान का परिवार लेदर और विशेष रासायनिक मैन्युफैक्चरिंग के बिजनेस में पहले से जुड़ा है। इस वजह से उन्हें अपने परिवार से भी काफी सपोर्ट मिल रहा है। अपने जूते के ब्रांड के नाम के बारे में पूछने पर वो बताते हैं “ डॉ.ब्रिंसले ब्रांड (Dr Brinsley Diabetic Footwear) दरअसल ‘रिचर्ड ब्रिंसले से आया है। ये भी जूते की कंपनी थी, जिसे मेरे परिवार ने लगभग चौदह साल पहले शुरू किया था।
इसका मकसद कम कीमत पर ग्राहकों के बीच यूरोपीय फैशन को बढ़ावा देना था। दुर्भाग्य से, साल 2010 में हमारी प्रोडक्शन यूनिट जल गई और हमने अपनी सारी मशीनरी और इन्वेंट्री खो दी। मैंने बस इस नाम के आगे डॉक्टर जोड़ लिया है। क्योंकि यह मेडिकल से जुड़ी हुई है।