ऑफिस की लग्जरी पर नई स्टडी … गूगल के आर्किटेक्ट ने कहा- ज्यादा सुविधाएं क्रिएटिविटी घटाती हैं; इनसे वर्क-लाइफ बैलेंस भी बिगड़ता है
वर्कप्लेस पर कर्मचारियों को बेहतर माहौल देने के लिए दुनियाभर में लग्जरी ऑफिस डिजाइन किए गए। मल्टीनेशनल कंपनियों ने ऑफिस में ही जिम, फिटनेस क्लास, लजीज खाना, ऑर्गेनिक गार्डन, मसाज रूम, लॉन्ड्री सर्विस, प्राइवेट पार्क, वॉलीबॉल कोर्ट और स्वीमिंग पूल जैसी लग्जरी उपलब्ध कराईं। माना गया कि इनसे कर्मचारियों के काम करने की क्षमता बेहतर बनती है, लेकिन एक नई स्टडी में पता चला है कि ये सुविधाएं कर्मचारियों को लंबे समय तक रास नहीं आती हैं।
स्टडी में पाया गया कि ऑफिस की लग्जरी से कर्मचारियों का वर्क-लाइफ बैलेंस गड़बड़ा जाता है। अमेरिका की सिलिकन वैली में मशहूर गूगलप्लेक्स को डिजाइन करने वाले आर्किटेक्ट क्लाइव विल्किन्सन का कहना है कि ऑफिस कैंपस में लग्जरी सुविधाएं देना एक पक्षीय पहलू है। इसके निगेटिव इफैक्ट भी हैं। विल्किन्सन का कहना है कि यदि कोई कंपनी अपने कर्मचारियों में क्रिएटिविटी विकसित करना चाहती है, तो उसे बहुत आरामदेह वर्कप्लेस नहीं बनाना चाहिए।
लग्जरी काउच और आरामदेह सोफे आलसी बनाते हैं
नई स्टडी में कहा गया है कि ऑफिस में लग्जरी काउच और आरामदेह सोफे-पिलो होंगे, तो कर्मचारी निश्चित तौर पर आलसी हो जाते हैं। उनकी क्रिएटिविटी घट जाती है। गूगल जैसी कंपनी अपने कर्मचारियों को फ्री खाना, प्रकृति की सैर और प्राइवेट ट्रांसपोर्ट मुहैया कराती है, लेकिन इसका नतीजा यह होता है कि कुछ समय इन सुविधाओं को एंजॉय करने के बाद कर्मचारी लग्जरी से बर्न आउट भी हो जाते हैं। वे बाहर की दुनिया से कट जाते हैं और उन्हें अपने शहर तक के बारे में कुछ पता नहीं चल पाता है।
अब ऑफिस री-डिजाइन करने की जरूरत
विल्किन्सन का कहना है कि कर्मचारियों को ओवर प्रोटेक्शन देना ठीक नहीं होता है। पॉश ऑफिस घातक भी हो सकते हैं। कोरोना काल ने दफ्तरों को री-डिजाइन करने की जरूरत पैदा की है। सोशल डिस्टेंसिंग के कारण क्यूबिकल सिटिंग में अब बदलाव करने की जरूरत है। क्या अब बड़े प्रोजेक्ट रूम और बड़े कैफेटेरिया चाहिए। विल्किन्सन कहते हैं कि अब हम दफ्तरों में जूम रूम भी बना रहे हैं, ऐसा पहली बार हो रहा है।