क्योंकि सरकारी शराब ठेकेदार की जाति भी सरकारी है … जिन 12 लोगों की मौत, उनके परिजन…गांववालों को ही अघोषित कैद…गुनहगार आजाद
रायबरेली के सरकारी ठेके में जहरीली शराब से मरे 12 लोगों के परिजनों, यहां तक कि उनके गांवों को भी अघोषित कैद कर दिया गया है। उनका पहला गुनाह है- कि उन्होंने सरकारी ठेके पर विश्वास कर वहां से शराब खरीदी। दूसरा गुनाह- वह गरीब हैं। तीसरा गुनाह- उनमें से अधिकतर सरकारी जाति के नहीं है। ऐसा हम नहीं, वहां के वो लोग बोल रहे, जो प्रशासन के खिलाफ प्रदर्शन करना चाहते हैं…डीएम से मिलना चाहते हैं, लेकिन पुलिस-प्रशासन ने उनको गांव में ही नजरबंद कर रखा है। हालांकि, वे लोग कैमरे पर बोलने में परहेज कर रहे हैं।
45 लोग अभी भी जिला अस्पताल रायबरेली में एडमिट हैं, लेकिन सरकार अस्पताल के बंद कमरों में सिर्फ कागज काले कर रही है। सरकारी भाषा में मामले की लीपापोती की जा रही है। आखिर मौतों की मेडिकल वजह क्या है? इसपर CMO समेत प्रशासन ने होंठ सिल लिए हैं, जिससे बात करो वह जवाब देता है कि जांच चल रही है। किस बात की चल रही है, कहां तक पहुंची, जहरीली शराब कैसे बिक रही थी, कबसे बिक रही थी, आबकारी विभाग क्या कर रहा था, पुलिस क्या कर रही थी? इसका जवाब किसी के पास नहीं है।
आरोपी ठाकुर है, इसीलिए पुलिस की मदद से उसे भगाया गया
शराब के जिस दुकान मालिक धीरेंद्र सिंह और उसके सेल्समैन के खिलाफ FIR की गई वह वारदात के बाद से फरार हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि पुलिस की मिलीभगत से उसे भगवाया गया है। कुछ तो यह भी बता रहे हैं कि वह ठाकुर है इसलिए उसे भागने का मौका दे दिया गया।
सरकार किस कद्र इतनी बड़ी घटना पर मिट्टी डालने में लगी है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि गांव के लोग सड़क पर आकर बवाल न कर सकें, इसके लिए इन्हें घरों में कैद कर लिया गया है। पैरामिलिट्री और पुलिस फोर्स ने हर उस घर को घेर रखा है जहां मौत हुई है।
पत्नी बोलीं- मुझे मदद दो या गोली मार दो
दैनिक भास्कर की टीम जब गांव पहुंची तो देखा कि सब तरफ पुलिस का भारी पहरा है। हमारी गाड़ी का बाकायदा नंबर नोट किया गया और फोन करके किसी को बताया गया। हालांकि, कल यहां मीडिया की हलचल थी, लेकिन आज सिर्फ पैरामिलिट्री और पुलिस फोर्स थी। जहरीली शराब से मरने वाले रामसुमेर की 36 वर्षीय पत्नी रीना कहती हैं कि मेरे आदमी को शराब में जहर मिलाकर दी गई है, अब या तो मुझे और मेरी दो बेटियों को गोली मार दी जाए या मुझे कोई मदद दी जाए। मैं अपने दो बच्चों को कहां से कमाकर खिलाउंगी। रीना कहती है कि शराब बेचने वाले को फांसी दी जाए क्योंकि उसने दारू पिला पिला कर सभी का भविष्य खराब कर दिया है।
रीना की दो बेटियों का गुजारा, पढ़ाई-लिखाई और शादी ब्याह कौन करेगा, यह सोचकर रामसुमेर की बड़ी बेटी कहती है कि उसके पापा खत्म हुए हैं -‘मैं घर से जाना चाहती हूं, लेकिन हमें बाहर नहीं जाने दिया जा रहा है। मैं डीएम से मिलना चाहती हूं, लेकिन पूरा शासन यहां लगा है। ये लोग कहते हैं कि आचार संहिता लगी है, इसलिए कुछ नहीं हो सकता है’।
जिंदगी गांव में कैद, बाहर नही निकल पा रहें लोग
गांव के लोग बता रहे हैं कि धीरेंद्र सिंह घर में शराब बनाता था। खुद ही उसमें केमिकल मिलाता था। यह बात सब लोग जानते थे, लेकिन ये शराब पीने से कभी किसी की मौत नहीं हुई थी। गांव के लोग धीरेंद्र की गिरफ्तारी और मुआवजे की मांग को लेकर डीएम से मिलना चाहते हैं, लेकिन फोर्स उन्हें गांव से बाहर नहीं निकलने दे रही है।
मृतक जितेंद्र सिंह के भाई आशीष सिंह बताते हैं कि हम धरना प्रदर्शन के लिए गांव से बाहर जा रहे थे, लेकिन फिर डीएम साहब का फोन आया और हमें रोका गया। हमें बताया गया कि डीएम साहब गांव आएंगे। डीएम ने हमें फोन पर हर बात का आश्वासन दिया है।
किसी तरह मामले को निपटाने में जुटे अफसर
रायबरेली में 12 लोगों की जहरीली शराब पीने से मौत कोई छोटी बात नहीं है, लेकिन डीएम साहब और आबकारी विभाग को इस बात की चिंता है कि किसी भी तरह मामले को निपटा दिया जाए। जांच के नाम पर मीडिया को टहलाया जा रहा है। क्योंकि चुनावी मौसम में यह घटना चुनावी रंग न ले ले। इसके लिए गांव वालों को घरों में कैद कर दिया गया है। पुलिस और आबकारी विभाग की मिलीभगत से चल रहे इस मौत के कारोबार में दोषियों को साफ तौर पर बचाया जा रहा है।
गांव के लोग बोल रहे हैं कि आज भी उन लोगों ने गांव से निकलने की कोशिश की, लेकिन उन्हें आगे नहीं बढ़ने दिया जा रहा है। किसी के घर में पुलिस और प्रशासन के इस मौत के कारोबर में मौत हो गई और प्रशासन उन्हें अपनी बात कहने का भी मौका नहीं दे रहा है। गांव के लोग बता रहे हैं कि उनसे बोला जा रहा है कि डीएम खुद गांव में बात करने के लिए आएंगे। वे लोग जहां जा रहे हैं, वहां फोर्स आ जाती है। फोर्स का इन लोगों को कहना है कि अगर यह लोग गांव से बाहर गए तो मुकदमा लग जाएगा।
मरने वाले गरीब और शराब बेचने वाला ठाकुर
गांव वालों का कहना है कि मरने वाले सभी गरीब हैं और शराब बेचने वाला ठाकुर है जिसके चलते उल्टे सरकार ने अब गांव को कैद कर लिया है। आचार संहिता के नाम पर इन लोगों को गांव से मुख्य सड़क तक नहीं आने दिया जा रहा है। जाहिर है यह लोग इतने ताकतवर नहीं हैं कि गांव से सरकार की मर्जी के खिलाफ निकल आएंगे। सरकार की मनमानी यह है कि बजाय सांत्वना, मुआवजे और दोषियों की गिरफ्तारी के उल्टे पीड़ितों को ही कैद कर रखा है। ताकि पुलिस, आबकारी विभाग और सरकार के शराब के ठेकों से वसूली करने वाले कहीं चुनावी मुद्दा न बन जाएं। चौबीस घंटे से ज्यादा हो गए हैं, लेकिन सरकार के पास ‘जांच हो रही है’ से आगे कहने के लिए कुछ नहीं है। अब आलम यह है कि मरने वालों की चीखें भी सुनाई न दें इसके लिए घरों के आगे खाकी का पहरा बिठा दिया है। एसपी रायबरेली श्लोक कुमार ने दैनिक भास्कर को बताया कि अभी तक सिर्फ सेल्समैन को गिरफ्तार किया गया है। जांच जारी है। सेल्समैन से बातचीत में धीरेंद्र सिंह का ठिकाना पता करने की कोशिश की जा रही है।