बयानवीर नेताओं के मुंह पर ताले क्यों …. BJP-कांग्रेस के जिन नेताओं को पार्टियों ने शटअप किया, ……. ने कुरेदा तो छलका दर्द…पढ़िए और सुनिए

आपने गौर किया होगा कि चुनावों में जो नेता अपने विवादित बयानों के लिए चर्चित थे, इंटरव्यू पर इंटरव्यू देते थे, अपने ट्वीट से सुर्खियां बटोरते थे, वे पांच राज्यों के चुनाव के ऐलान के बाद से ही चुप्पी साधे बैठे हैं।

हमने ऐसे नेताओं की पड़ताल की तो पता चला कि BJP और कांग्रेस ने अपने ऐसे नेताओं को चुन- चुनकर ‘शटअप’ करा दिया है। ‘दैनिक भास्कर’ ने ऐसे नेताओं को जब कुरेदा तो उन्होंने अपनी भड़ास निकाली। क्या कहना है इन नेताओं का, पढ़िए और सुनिए। उससे पहले पोल में हिस्सा लेकर आप अपनी राय भी दे सकते हैं।

मणिशंकर बोले, मीडिया का शिकार बनने को मैं तैयार नहीं
कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर बोले, पॉलिटिकल इशू हजार हो सकते हैं। क्या मेरे से यूक्रेन के बारे में पूछना चाहते हो। अगर आप मेरे मुंह से कोई ऐसे शब्द निकलवाना चाहते हैं, जो गांधी परिवार की आलोचना हो, तब कुछ कहने को तैयार नहीं हूं। आप जानते हो कि मैं मीडिया का शिकार बन गया हूं। मुझे मीडिया के कारण बहुत घाटा हुआ है। मैं कोई कमेंट नहीं करना चाहता। शायद मेरा नुकसान होगा। मैं तैयार नहीं हूं। चाय वाला या नीच जैसे मसले पर बात नहीं करना चाहता। मैं तैयार नहीं हूं आपका शिकार बनने को।

BJP नेता साक्षी महाराज बोले, मुझे क्या मतलब
BJP सांसद साक्षी महाराज ने कहा कि राष्ट्रीय इशू पर बोलने के लिए पार्टी ने आधिकारिक प्रवक्ता नियुक्त किए हैं। वो बोलेंगे। मनाही की बात नहीं है, लेकिन जिसके बारे में मुझे ज्ञान नहीं है, जो जानते नहीं हैं, उसके बारे में क्या बोलेंगे। आ बैल मुझे मार। मुझे क्या मतलब है। मुझे अपने क्षेत्र में पार्टी को छह विधानसभा सीटों पर जिताना है, उसमें लगा हूं।

एक्सपर्ट बोले, प्रयोग फेल हुए तो पार्टियों ने लाइन बदली
नेताओं की चुप्पी के मसले पर वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप सिंह का कहना है कि पहले प्रयोग के तौर पर विवादित बयान दिलाए जाते थे, लेकिन इससे विरोधी दलों को फायदा होने लगा। दो तीन चुनावों के अनुभव को देखते हुए BJP, कांग्रेस ने बड़बोले नेताओं को चुप करा दिया है, जिससे विरोधी पार्टियों को उसका लाभ न मिले। चाय बेचने वाला, नीच शब्द का BJP को पूरा सियासी लाभ मिला था। दोनों दलों में पहली बार ऐसी चुप्पी देखी जा रही है। जो दिलचस्प है।

वहीं, सीनियर जर्नलिस्ट राशिद किदवई का कहना है कि पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव BJP और कांग्रेस, दोनों के लिए खास है। अगर UP में BJP की हार हो गई तो 2024 उसके लिए मुश्किल हो जाएगा। इसी तरह से कांग्रेस अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है। पंजाब, उत्तराखंड में कांग्रेस की सरकार नहीं बनी तो आम आदमी पार्टी का उभार हो सकता है। इसलिए दोनों ही पार्टियों ने अपने बड़बोले नेताओं को चुप कराया है, ताकि किसी तरह का चुनाव में नुकसान न उठाना पड़े।

आइए अब बताते हैं कि बयानवीर नेताओं का पिछला रिकॉर्ड क्या रहा है।
मणिशंकर अय्यर; 2014: 
लोकसभा चुनाव से ठीक पहले अय्यर ने उस समय BJP के PM पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी को चाय वाला कहा था। कहा था कि एक चायवाला कभी देश का प्रधानमंत्री नहीं बन सकता। मोदी को कांग्रेस मुख्यालय के बाहर आकर चाय बेचना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि इससे कांग्रेस को नुकसान हुआ था।

2017: गुजरात विधानसभा चुनावों के दौरान भी उन्होंने PM मोदी के लिए ‘नीच’ शब्द का इस्तेमाल किया था। तब कांग्रेस बहुत कम मार्जिन से हारी थी और माना जाता है कि इसमें मणिशंकर के बयान का भी रोल था।

मनीष तिवारी, नवंबर 2021: पंजाब से आनेवाले कांग्रेस नेता मनीष तिवारी इस बार पार्टी के स्टार प्रचारकों की लिस्ट से बाहर हैं। इसके लिए पिछले साल आई उनकी किताब में 26/11 मुंबई हमले में अपनी ही सरकार को कटघरे में खड़ा करने को वजह माना जा रहा है। किताब में उन्होंने तत्कालीन UPA सरकार को कमजोर बताते हुए कहा कि मुंबई हमले के बाद पाकिस्तान पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए थी, लेकिन हम संयम बरतते रहे।

दिसंबर 2021: PM मोदी की तुलना पैसे लूटनेवाले बूढ़े से की। तिवारी ने कहा कि पूरी दुनिया में एक सफेद दाढ़ी वाला शख्स (सैंटा क्लॉज की ओर इशारा) आपके घरों में चुपके से पैसे और तोहफे रख जाता है, जबकि भारत का सफेद दाढ़ी वाला बूढ़ा शख्स आपके पैसे लूट रहा है।

सलमान खुर्शीद, नवंबर 2021: सलमान खुर्शीद हाल में आई अपनी किताब ‘सनराइज ओवर अयोध्या’ से विपक्ष के निशाने पर आए। किताब को लेकर विवाद बढ़ा और मामला कोर्ट में गया। अपनी किताब में खुर्शीद ने हिंदुत्व की तुलना आतंकवादी संगठन ISIS और बोको हरम जैसे जिहादी इस्लामी संगठनों से की। विरोध में खुर्शीद के नैनीताल के घर में आगजनी और फायरिंग भी हुई।

  

दिग्विजय सिंह, फरवरी 2019: लोकसभा चुनाव के दौरान उन्होंने पुलवामा हमले को दुर्घटना बता दिया था और सर्जिकल स्ट्राइक का सबूत मांगकर भी घिर गए थे। बाटला हाउस एनकाउंटर को फर्जी बताकर भी वह कांग्रेस की फजीहत करा चुके हैं।

भोपाल में एक कार्यक्रम में PM मोदी पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा था कि पूरी दुनिया में इनकी ‘शोहरत’ इस बात से भी है कि इनसे झूठा प्रधानमंत्री किसी देश का नहीं है। दिग्विजय ने एक मौके पर कहा कि मुसलमानों से ज्यादा गैर मुस्लिम ISIS के लिए जासूसी कर रहे हैं। दिग्विजय ने BJP और बजरंग दल पर पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI से पैसा लेने का भी आरोप लगाया था।

जनवरी 2022: उन्होंने संघ आतंकवाद का जुमला उछाला और RSS की तुलना दीमक से की।

अब आइए BJP के ऐसे नेताओं पर बात करते हैं, जो विवादास्पद बयानबाजी से पार्टी को संकट में डालते रहे हैं, लेकिन फिलहाल चुप्पी साध रखी है।

प्रज्ञा ठाकुर: भोपाल से BJP सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर 26/11 मुंबई हमले में शहीद पुलिस अफसर हेमंत करकरे को लेकर कहा था कि उन्होंने करकरे को श्राप दिया था, जिस वजह से वह आतंकी हमले में मारे गए। हालांकि, विवाद बढ़ने पर उन्होंने माफी मांग ली थी। साध्वी प्रज्ञा ने एक बयान में नाथूराम गोडसे को देशभक्त बता दिया। इस पर PM मोदी को जवाब देना पड़ा था। उन्होंने कहा था कि इस कमेंट के लिए साध्वी प्रज्ञा को कभी दिल से माफ नहीं कर पाएंगे।

गिरिराज सिंह: बिहार के बेगूसराय से सांसद गिरिराज सिंह ने 2019 में एक रैली में मुस्लिम समुदाय के लोगों को चेतावनी देते हुए कहा अगर कब्र के लिए तीन हाथ जगह चाहिए तो इस देश में वंदेमातरम कहना होगा और भारत माता की जय बोलनी होगी। गिरिराज ने सोनिया गांधी को लेकर कहा था कि अगर वे फिरंगी नहीं होतीं तो क्या कांग्रेस उन्हें अध्यक्ष पद के लिए चुनती।

साक्षी महाराज: UP के उन्नाव से सांसद साक्षी महाराज ने मुसलमानों को लेकर कहा कि यहां से भगाए गए तो कहां जाएंगे। कृषि कानूनों का विरोध कर रहे आंदोलनकारी किसानों पर उन्होंने कहा कि दिल्ली बॉर्डर पर केवल एक तमाशा हो रहा है। वहां किसान नहीं, खालिस्तानी और आतंकी जमे हुए हैं।

हाल में हुई धर्म संसद पर साक्षी महाराज ने फिल्म एक्टर नसीरुद्दीन शाह को कहा कि उन्हें भारत में डर लगता है तो पाकिस्तान चले जाएं। सांसद ने कहा कि गृह युद्ध की बात करने वालों को देश में रहने का हक नहीं है। ऐसे लोगों को 50 हजार फीट गहरे गड्ढे में दबा दिया जाएगा।

सतपाल मलिक: पार्टी नेताओं को तो छोड़िए, राज्यपाल जैसे संवैधानिक पद पर रहते हुए सतपाल मलिक कुछ न कुछ ऐसा बोल जाते हैं, जो विवाद को हवा दे देता है। किसान आंदोलन के दौरान मलिक लगातार केंद्र को निशाने पर लेते रहे। कहा था कि कुतिया मर जाती है तो दिल्ली से संदेश आ जाता है, जबकि सैकड़ों किसान मर गए। उन्हें कोई पूछने वाला नहीं है। उन्होंने PM मोदी पर निशाना साधा और उन्हें घमंडी तक कहा। हालांकि, बाद में सफाई भी दी।

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