तुषार कपूर की तरह आप भी बनना चाहते हैं ‘बैचलर डैड’? जानिए बिना शादी या तलाक के बाद कैसे बन सकते हैं पिता
एक्टर और प्रोड्यूसर तुषार कपूर ने किताब ‘बैचलर डैड’ लिखी है। यह उनकी पहली किताब है, जो हाल ही में रिलीज हुई है। इसमें सिंगल पिता के तौर पर उनके फादरहुड की पूरी जर्नी है। तुषार कपूर सरोगेसी के जरिए बैचलर पिता बनने वाली भारत की पहली शख्सियत हैं।
साल 2019 में तुषार कपूर सरोगेसी से बेटे लक्ष्य के पिता बने थे। वहीं, करण जौहर भी सिंगल पेरेंट हैं। करण भी सरोगेसी की मदद से जुड़वां बच्चों के पिता हैं। उनकी एक बेटी और एक बेटा है। भारत में बैचलर फादर बहुत कम हैं। इसकी वजह हमारे देश का सामाजिक ढांचा है। शादी के बगैर अगर पुरुष किसी बच्चे को गोद लेने की बात भी घर पर कर दे तो परिवार वाले हैरान रह जाते हैं। क्योंकि पिता बनने का मतलब हमारे देश में है शादी करना।
कुछ समय पहले इस कॉन्सेप्ट में थोड़ा बदलाव आया है। कानून में संशोधन किया गया है। अब पुरुष तलाक के बाद या शादी के पहले भी पिता बन सकते हैं।
आज जरूरत की खबर में हम आपको बताएंगे कि सिंगल पिता बनने के लिए आपको क्या करना होगा।
इंदौर से हैं देश के सबसे कम उम्र के बैचलर डैड
आदित्य तिवारी इंदौर के रहने वाले हैं। वे पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं। आदित्य ने सितंबर 2014 में बिना शादी डाउन सिंड्रोम से पीड़ित 2 साल के अनाथ बच्चे को गोद लिया था। इसके लिए उन्हें लंबी लड़ाई लड़नी पड़ी थी। इस फैसले के बाद वे देश के सबसे कम उम्र के सिंगल पिता बन गए। आदित्य के अनुसार, 2014 में अगर कोई अविवाहित पुरुष किसी बच्चे को गोद लेना चाहता था तब उसकी उम्र कम से कम 30 साल होनी चाहिए थी। आज इस नियम में बदलाव हो गया और उम्र घटाकर 25 साल कर दी गई।
बिना शादी किए पुरुष अनाथ आश्रम से बच्चा गोद ले सकता है?
जी हां। भारतीय कानून के तहत कोई भी अविवाहित महिला या पुरुष अनाथ आश्रम से बच्चा गोद ले सकता है। महिला बेटा या बेटी दोनों गोद ले सकती है। पुरुष किसी लड़की को गोद नहीं ले सकता है।
गोद लेने के लिए पुरुषों की क्या उम्र होनी चाहिए?
- भारत में किसी भी पुरुष को बच्चा गोद लेने के लिए कम से कम 25 साल का होना जरूरी है।
- 45 वर्ष के सिंगल पुरुष 4 साल से कम उम्र के बच्चे को गोद ले सकते हैं।
- 50 साल वाले 5-8 साल का बच्चा गोद ले सकते हैं।
- 55 साल के पुरुष 9-18 साल के बच्चे को गोद ले सकते हैं।
- 55 साल के बाद आपको बच्चा गोद लेने की अनुमति नहीं है।
अनाथ आश्रम से गोद लेने की क्या प्रोसेस है?
- सबसे पहले गोद लेने वाले पेरेंट को ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करवाना होगा।
- रजिस्ट्रेशन के लिए एप्लीकेशन फॉर्म आपको CARA की ऑफिशियल वेबसाइट पर मिल जाएगा।
- CARA महिला एवं बाल विकास मंत्रालय का एक विभाग है।
- अडॉप्शन एजेंसी रजिस्ट्रेशन होने के बाद 30 दिनों के अंदर पेरेंट के घर की एक रिपोर्ट तैयार करती है।
- आप किसे अडॉप्ट करना चाहते हैं, इसके लिए आप बच्चे की फोटो और मेडिकल हिस्ट्री चेक कर सकते हैं।
- अडॉप्शन एजेंसी पेरेंट और बच्चे की मुलाकात करवाती है।
- पेरेंट को बच्चे की स्टडी रिपोर्ट पर सिग्नेचर करना होता है।
- इन सभी प्रोसेस के बाद कोर्ट से एक आदेश आता है, जिसके बाद आप कानूनी तौर पर बच्चे के पेरेंट बन जाते हैं।
- गोद लेने के बाद हर 6 महीने में 2 साल तक आपका निरीक्षण किया जाएगा।
- दो साल में कभी भी बच्चे को कोई बीमारी या दिक्कत होती है तो CARA को इन्फॉर्म करना होता है।
क्या भारत में पुरुष सरोगेसी से बन सकते हैं बैचलर डैड?
आपके पास बच्चा गोद लेने के अलावा दूसरा रास्ता है सरोगेसी का। जैसे तुषार कपूर और करण जौहर ने सरोगेसी के जरिए पिता बनने का रास्ता अपनाया। वैसे ही आप भी बॉयोलॉजिकल पिता बन सकते हैं।
पहले अकेला पुरुष सरोगेसी से नहीं बन सकता था पिता
- 2016 में केंद्र सरकार ने सरोगेसी से जुड़ा एक बिल पेश किया था।
- यह बिल साल 2018 में लोक सभा में पास हो गया।
- राज्य सभा में पास होने से पहले आम चुनाव आ गए।
- इसके बाद दोबारा इसे अगली लोक सभा में पेश किया गया।
- इसके तहत अकेले पुरुष, महिला और समलैंगिक कपल्स के लिए सरोगेसी प्रक्रिया पर रोक लगाने की बात कही गई।
- अगस्त 2019 में सरोगेसी रेगुलेशन बिल लोक सभा में पास हुआ।
- यहां से इसे राज्य सभा की 23 सदस्यीय सेलेक्ट कमेटी के पास भेजा गया।
- राज्य सभा की सेलेक्ट कमेटी ने फरवरी 2020 में इस बिल में कुल 15 बदलाव करने की सलाह दी। इस सलाह में अकेले पुरुष के लिए सरोगेसी को वैध बनाने की सलाह शामिल नहीं थी।
- केंद्रीय कैबिनेट ने सेलेक्ट कमेटी की सलाह को बाद में मंजूरी दे दी।
ICMR की 2005 की गाइडलाइंस के अनुसार
- अगर किसी अकेले पुरुष को सरोगेसी के जरिए पिता बनना है, तो स्पर्म उसका होना चाहिए। अगर ऐसा नहीं है, तो वह पिता बनने के लिए बच्चे को गोद लेने के विकल्प पर विचार कर सकता है।
- सरोगेसी के जरिए पैदा हुए बच्चे को सिंगल पेरेंट की वैध संतान माना जाएगा।
- सरोगेट बच्चे के बर्थ सर्टिफिकेट में केवल उस पेरेंट का नाम लिखा जाएगा, जिसने उसे कमीशन किया है।