कट्‌टर हिंदुत्व की लाइन पर नरोत्तम मिश्रा?

फ्यूचर का ‘लीडर’ बनने के लिए ‘मैनेजरी’ से फायर ब्रांड मोड पर आए; लव जिहाद, ब्रा कंट्रोवर्सी पर अटैक इसी का हिस्सा….

मध्यप्रदेश की सियासत में पावरफुल मंत्री नरोत्तम मिश्रा खुद को फ्यूचर लीडर के रूप में फिट कर रहे हैं। वे पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ की तर्ज पर हिंदुत्व के चेहरे के रूप में अपने को परोस रहे हैं। हाल ही में उनके तेवर देखकर तो ऐसा ही लगता है। हिंदू धर्म से जुड़े विवादों पर वह बेबाक चेतावनी दे रहे हैं। आमतौर पर ऐसे बयान आरएसएस की पृष्ठभूमि वाले नेताओं से आते हैं, लेकिन नरोत्तम मिश्रा आरएसएस से नहीं आते हैं।

गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा प्रदेश की राजनीति में एक समय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के संकटमोचक कहलाते थे। सियासत के गलियारों में उन्हें मैनेजर माना जाता था। उस समय नरोत्तम संयमित और नपे-तुले बयान दिया करते थे, लेकिन पिछले कुछ समय से उनके बयानों में तल्खी आई है, कुछ को सीधी धमकी भी कह सकते हैं।

राजनीति के जानकार मानते हैं कि मध्यप्रदेश बीजेपी में नरोत्तम मिश्रा वैसे तो सर्व स्वीकार्य नेता नहीं माने जाते, लेकिन हाल के दिनों में प्रदेश बीजेपी में एक ‘फ्यूचर लीडर’ की तलाश चल रही है। उस तलाश में खुद को फिट करने के लिए वे ऐसे बयान दे रहे हैं। शिवराज सरकार के चौथे कार्यकाल यानी ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस से आने (मार्च 2020) के बाद ही नरोत्तम मिश्रा का अचानक यह नया अवतार सामने आया है। इससे पहले उनकी छवि एक ‘मैनेजर’ की हुआ करती थी, जो ‘हिंदूवादी’ मुद्दों पर कम और अपने विधानसभा क्षेत्र के मुद्दों पर ज्यादा बोलते थे।

 

 

पहले ऐसे हुआ करते थे नरोत्तम

थोड़ा पीछे जाने पर दतिया की वो खबरें भी मिलती हैं, जिनमें नरोत्तम मिश्रा साम्प्रदायिक सौहार्द्र और आपसी भाईचारे की बात कर रहे हैं। एक सामूहिक विवाह कार्यक्रम में 22 अप्रैल 2015 को नरोत्तम मिश्रा कहते हैं- हिंदुस्तान में मध्यप्रदेश ही एक ऐसा राज्य है, जहां निकाह और विवाह एक ही पंडाल में हो रहे हैं। ये गंगा-जमुनी संस्कृति नहीं तो और क्या है। इसी तरह उन्होंने 2 अप्रैल 2017 को हज से लौटे लोगों के लिए सम्मान समारोह का आयोजन किया और दतिया को साम्प्रदायिक सद्भाव की नगरी बताया था। दतिया उनका चुनावी क्षेत्र है।

अब कुछ ऐसे बदले नजर आते हैं

नरोत्तम के हर दिन के बयानों को देखें तो ज्यादा जोर विवादित मुद्दों पर होता है, जिससे एमपी की आम जनता का कोई सीधा सरोकार नहीं होता है। सिर्फ उसके सियासी मायने होते हैं। ‘फैशन डिजाइनर सब्यसाची एड वापस नहीं लेंगे तो हम पुलिस भेजेंगे। सलमान खुर्शीद की किताब को एमपी में नहीं बिकने देंगे। कॉमेडियन वीर दास को एमपी में कार्यक्रम नहीं करने देंगे…’ गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा इन बयानों के जरिए सुर्खियां बंटोर चुके हैं। देश के हर विवादित मुद्दे पर मिश्रा अपनी राय जरूर रखते हैं। विवादित लोगों को नैतिकता का पाठ पढ़ाते दिखते हैं। मामला कहीं का भी हो, लेकिन एमपी में केस जरूर करवाने की चेतावनी दे रहे हैं। इस बीच राज्य के असल समस्याओं पर ध्यान नहीं देने के आरोप भी उन पर लग रहे हैं। ‘ब्रा’ वाले बयान पर गृह मंत्री के निर्देश पर एक्ट्रेस श्वेता तिवारी के खिलाफ FIR दर्ज कर ली गई। आखिरकार श्वेता को बयान पर माफी भी मांगनी पड़ी थी।

योगी आदित्यनाथ से प्रेरित?
नरोत्तम मिश्रा के बयानों और छवि में आए इस बदलाव को मध्यप्रदेश की राजनीति से जुड़े जानकार पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से प्रेरित भी बताते हैं। इसके कई उदाहरण भी हैं। जैसे- लव जिहाद कानून, गुंडों-माफियाओं की संपत्ति जब्त करना और ध्वस्तीकरण, हिंदू धर्म और संस्कृति की रक्षा पर जोर देना आदि। 2017 में योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद बीजेपी के नेताओं में खुद को हार्डलाइनर दिखाने का चलन बढ़ा है।

एमपी में हो रहा यूपी का प्रयोग?

राजनीति के जानकारों का मानना है कि नरोत्तम के नए रंग में प्रदेश की पूरी बीजेपी रंगी है। आखिर नरोत्तम ऐसी भाषा बोल रहे हैं तो शिवराज क्यों कुछ नहीं कहते? अगर नरोत्तम उनको टक्कर देने के लिए अपनी इमेज चमका रहे हैं, तो शिवराज को बोलना या अंदरखाने रोकना चाहिए था। वो या केंद्रीय नेतृत्व ऐसा कुछ नहीं कर रहा तो इसकी वजह ये हो सकती है कि सब राजी हैं। इस राजीनामे के पीछे वजह हो सकती है पिछले चुनाव में सत्ता छिन जाना। यूपी में योगी के प्रयोग की पार्टी में प्रशंसा भी शायद मध्यप्रदेश बीजेपी के लिए प्रेरक प्रसंग बन चुका है।

अगड़ों की सियासत में ब्राह्मण चेहरा हैं!

नरोत्तम मिश्रा छह बार से विधायक हैं और दतिया विधानसभा क्षेत्र से चुनकर आते हैं। वे मध्यप्रदेश की सियासत में बीजेपी का ब्राह्मण चेहरा माने जाते हैं। शिवराज सरकार में नंबर दो की हैसियत रखते हैं। अब बीते कुछ दिनों से ‘शिवराज- विरोधी’ कैंप के चेहरे के तौर पर जाने जा रहे हैं। उनके बयानों में एक गौर करने वाली बात यह है कि वो ‘प्रो-हिंदू’ बात ज्यादा, ‘एंटी मुस्लिम’ बात कम करते हैं। यानी वो आरएसएस का स्टाइल अपना रहे हैं।

अमित शाह की पसंद माने जाते हैं मिश्रा
2017 में पार्टी अध्यक्ष बनने के बाद अमित शाह भोपाल के दौरे पर थे, तब मीडिया के संपादकों के साथ उनके भोज का आयोजन रखा गया था। नरोत्तम मिश्रा ने ही उस आयोजन का पूरा जिम्मा उठाया था। उसके बाद से नरोत्तम मिश्रा ने पीछे मुड़ कर नहीं देखा। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बीजेपी अध्यक्ष रहते हुए इन्हें 2019 के लोकसभा चुनाव में कानपुर लोकसभा सीट का प्रभारी भी नियुक्त किया था। फिर मध्यप्रदेश में गृह मंत्री की कुर्सी, उसके बाद कार्यकारिणी में जगह मिली।

मोदी-शाह जो चाहते हैं, नरोत्तम वही कहते हैं

नरोत्तम के इस नए रूप पर वरिष्ठ पत्रकार अरुण दीक्षित का कहना है कि नरोत्तम मिश्रा को पता है लीडरशिप (नरेंद्र मोदी व अमित शाह) क्या चाहती है। नरोत्तम की राजनीति का फोकस पार्टी के शीर्ष नेताओं के अघोषित एजेंडे को आगे बढ़ाने में ज्यादा है। बीजेपी में राष्ट्रीय स्तर पर कोई बड़ा ब्राह्मण चेहरा फिलहाल दिखाई नहीं दे रहा है। इस खाली जगह को भरने के लिए नरोत्तम मिश्रा केंद्रीय नेतृत्व की पंसद हो सकते हैं।

वे कहते हैं- नरोत्तम मिश्रा होम मिनिस्टर हैं। बहुत जिम्मेदार पद पर हैं और बड़े शालीन व्यक्ति माने जाते रहे हैं। जब से उनकी प्रवक्ता के पद पर इनिंग शुरू हुई है तब से उनके बयानों में ये बदलाव आया है। वे एमपी में सीएम की कुर्सी के दावेदार हैं, इससे भी इनकार नहीं किया जा सकता है। लेकिन, बीजेपी की जातियों के समीकरण की राजनीति के चलते नरोत्तम मिश्रा पर बीजेपी दांव नहीं खेलेगी।

गृहमंत्री है, पर प्रदेश अपराध में नंबर वन है

शिवराज के चौथी बार सत्ता में आने के बाद नरोत्तम मिश्रा के पास गृह मंत्रालय की जिम्मेदारी है। गृह मंत्रालय का काम राज्य में कानून व्यवस्था में सुधार की जिम्मेदारी है। मगर NCRB की तरफ से 2020 में जो आंकड़े जारी किए गए हैं, वह एमपी के लिए काफी शर्मनाक है। आदिवासी और बाल अपराध में एमपी नंबर वन है। 2020 में एमपी में आदिवासियों के उत्पीड़न के 20% मामले बढ़े हैं। NCRB 2020 की रिपोर्ट कहती है कि प्रदेश में एससी-एसटी एक्ट के तहत 2,401 केस दर्ज हुए हैं। बीते 3 साल से इस अपराध में पहले पायदान पर ही बना हुआ है।

बच्चों पर अपराध में भी नंबर वन

MP बाल अपराध में भी नंबर वन है। 2020 में बच्चों के खिलाफ अपराध के 17,008 केस दर्ज हुए हैं। 2020 की रिपोर्ट के अनुसार हर रोज 46 बच्चों को प्रदेश में हत्या, रेप और अपहरण जैसे गंभीर अपराधों का शिकार होना पड़ रहा है। 2019 में आंकड़े ज्यादा थे। इन आंकड़ों के आने के बाद सितंबर 2021 में गृह मंत्री ने कहा था कि हम आंकड़ों को छिपाते नहीं हैं। अब लोग बिस्तर पर बैठे-बैठे ऑनलाइन फाइल कर देते हैं। अपराध रोकने के लिए लगातार कदम उठाए जा रहे हैं। इन्हें रोकने के लिए कदम उठाए जाने की बात जरूर एमपी के गृह मंत्री करते हैं, लेकिन तत्काल एक्शन लेने के बयान व निर्देश हिंदुत्व से जुड़े मामलों में ही देते हैं।

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