BJP प्रत्याशी प्रो. एसपी सिंह बघेल … कानून मंत्री बघेल पर सर्टिफिकेट में हेरा-फेरी का आरोप, नामांकन रद्द करने की मांग
जाति ही पूछो मंत्री की … कभी OBC, कभी SC..////
केंद्रीय कानून राज्यमंत्री और यूपी विधानसभा चुनाव में करहल से BJP प्रत्याशी प्रो. एसपी सिंह बघेल अपनी जाति को लेकर फिर सुर्खियों में आ गए हैं। उन्होंने जब पढ़ाई की, तो खुद को सिकरवार लिखा। पुलिस में भर्ती हुए तो बघेल (पिछड़ी जाति) के बन गए। टूंडला से विधायक और आगरा सुरक्षित सीट से सांसद का चुनाव लड़े तो धनगर (SC) हो गए। मामले में उनके खिलाफ HC में कई रिटें विचाराधीन हैं।
SC में भी उनके खिलाफ अर्जी दाखिल की गई। इसी बीच आगरा के वरिष्ठ अधिवक्ता सुरेश चंद्र सोनी ने उनके खिलाफ नए सिरे से मोर्चा खोल दिया है। उनका आरोप है कि प्रो. बघेल धंगड़ नहीं, धनगर हैं। धंगड़ जाति और धनगर जाति की अंग्रेजी स्पेलिंग Dhangar एक जैसी है, लेकिन संविधान में जाति कॉलम 27 में धंगड़ ही SC जाति में आती है, न कि धनगर।
धनगर कैसे बन गए प्रो. बघेल
यूपी में धनगर SC के प्रमाण पत्र जारी करने के लिए सपा सरकार में 2013 और 2016 में नोटिफिकेशन जारी हुए थे, तभी 2016 में इन्होंने अपना धनगर जाति का प्रमाण पत्र बनावाया। 2017 के चुनाव के बाद जब विरोधी हाईकोर्ट गए, तो प्रदेश सरकार के नोटिफिकेशन पर रोक लगा दी गई। केंद्रीय कानून राज्यमंत्री प्रो. एसपी सिंह बघेल के जाति प्रमाण गलत को बताते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता सुरेश चंद्र सोनी ने मैनपुरी के जिला निर्वाचन अधिकारी को पत्र देकर करहल सीट से उनका नामांकन निरस्त करने की मांग की है।
एससी को आरक्षित सीटों पर पहले विधायक बने फिर सांसद
प्रो. बघेल अपने SC के सर्टिफिकेट को दो बार इस्तेमाल कर चुके हैं। यूपी में 2017 के विधानसभा चुनाव में फिरोजाबाद के विधानसभा क्षेत्र टूंडला (सुरक्षित) से नामांकन दाखिल करते समय उन्होंने अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया। उसमें अपनी उपजाति धनगर बतायी। इस संबंध में इलेक्शन पिटीशन नंम्बर-1217 प्रेमपाल सिंह बनाम सत्यपाल सिंह बघेल दस अन्य के विरुद्ध उच्च न्यायालय इलाहाबाद में प्रस्तुत की गई।
इस याचिका पर 27 फरवरी 2019 को आंशिक आदेश पारित हुआ है जिसके पैरा-5 में अंकित किया है कि पाल-बघेल जाति पिछड़े वर्ग में पंजीकृत हैं। दूसरी बार प्रो. बघेल ने अनुसूचित जाति के प्रमाण पत्र का प्रयोग 2019 के चुनाव में आगरा लोकसभा क्षेत्र (सुरक्षित अनुसूचित जाति) में किया। अधिवक्ता सोनी का आरोप है कि यह प्रमाण पत्र यूपी सरकार के कंप्यूटराइज्ड प्रारूप से मेल नहीं खाता है। हस्तलिखित जाति प्रमाण पत्र पर कोई मोहर नहीं है, केवल अधिकारियों के हस्ताक्षर हैं।
मूल पते पर पिछड़ी जाति के
एसपी सिंह बघेल ने जाति प्रमाणपत्र बनवाने के लिए अपने मूल निवास भटटपुरा जिला औरैया यूपी में आवेदन प्रस्तुत किया, लेकिन जांच करने पर उन्हें अन्य पिछड़ी जाति का पाया गया। यह रिपोर्ट उच्च न्यायालय की याचिका में लगी है और जिला अधिकारी औरैया यूपी के पास भी उपलब्ध है। एसपी सिंह बघेल का SC जाति प्रमाण पत्र मूल निवास से नहीं बना, तो उन्होंने सदर तहसील आगरा से SC का प्रमाण पत्र बनवाया। दरअसल, कोई जाति प्रमाण पत्र जारी करने से पूर्व नियमानुसार उसकी जांच उसके मूल निवास से की जाती है।
धनगर महासंघ को HC ने दिए थे यह निर्देश
मामले में अखिल भारतीय धनगर महासंघ ने उच्च न्यायालय में एक याचिका 40462/09 इस आशय से प्रस्तुत की थी कि धनगर समाज अनुसूचित जाति में आता है। उसको अनुसूचित जाति प्रमाणपत्र निर्गत किए जाएं। उच्च न्यायालय ने 14 मार्च 2012 को आदेश पारित किया कि वे इस मामले में प्रतिवेदन राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग में प्रस्तुत करें।
बाद में SC आयोग के अध्यक्ष ने फौरी तौर पर धनगरों को अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र दिए जाने का आदेश कर दिया, जिसका विरोध हुआ और उस आदेश को निरस्त करना पड़ा। उच्च न्यायालय इलाहाबाद द्वारा एक जनहित याचिका संख्या-400/2019 बलवीर सिंह बनाम भारत सरकार में 19 अप्रैल 2019 को जो आदेश पारित किया है, उसमें धनगर जाति को अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र जारी किये जाने पर रोक लगा दी गई थी।
प्रो. बघेल के परिवारीजन पिछड़ी जाति में दर्ज
प्रो. एसपी सिंह बघेल का मूल पता ग्राम भटटपुरा, ग्राम पंचायत उमरई, ब्लॉक भाग्यनगर, जिला औरैया है। शिकायतकर्ता ने औरैया के DM से उनकी जाति बारे में पूछा तो विस्तृत जांच में वर्ष 1931 तक रिकार्ड खंगाला गया। जांच रिपोर्ट में उनके भाई बृजराज सिंह की पुत्री की जाति पाल दर्ज है। प्रो. बघेल के भाई बृजराज सिंह की जाति पाल-बघेल के रूप में दर्ज है। मामले में प्रो. एसपी सिंह बघेल ने दस्तावेजी साक्ष्य को झुठलाते हुए स्थानीय लोगों से बयान भी कराए थे। त्रिस्तरीय पंचायत सामान्य निर्वाचन 2010 जनपद फिरोजाबाद के प्रारूप-2 में इनके परिवारीजन हनुमंत सिंह को अन्य पिछड़ा वर्ग में दर्शाया गया है।
कई बार दिया प्रो. बघेल ने पिछड़ी जाति का हवाला
एसपी सिंह बघेल को जब यूपी में पुलिस विभाग में नौकरी मिली तो उन्होंने नाम के पीछे सिकरवार हटाकर बघेल लगाया। पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव की सुरक्षा में गनर के रूप में तैनात रहे। इसके बाद सपा की टिकट पर यूपी की 66 जलेसर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से सन 1998, 1999 एवं 2004 में पिछड़ी जाति बघेल के रूप में नामांकन प्रस्तुत किया। वर्ष 2014 में राज्यसभा के लिए मनोनीत हुए। इसमें भी उन्होंने अपनी पिछड़ी जाति का हवाला दिया। नामांकन पत्रों पर अपना मूल निवास ग्राम भटटपुरा, ग्राम पंचायत उमरई, ब्लॉक भाग्यनगर जिला औरेया यूपी अंकित किया।
शैक्षिक दस्तावेजों में सिकरवार हैं प्रो. बघेल
सोनी ने निर्वाचन अधिकारी मैनपुरी को दिए पत्र में ऐसे साक्ष्य उपलब्ध कराए हैं, जिनमें एसपी सिंह के नाम के आगे बघेल नहीं सिकरवार लिखा है। सिकरवार अधिकतर ठाकुर समाज के लोग इस्तेमाल करते हैं। प्रो. बघेल ने हायर सेकेंड्री, शासकीय हायर सेकेंड्री स्कूल बिजावर, जिला छतरपुर मध्य प्रदेश से की है। B.sc. शासकीय नेहरू डिग्री कॉलेज अशोक नगर, जिला गुना, जीवाजी, विश्वविद्यालय, ग्वालियर मध्य प्रदेश से 1980 में की है।
M.Sc. शासकीय विज्ञान महाविद्यालय, जीवाजी, विश्वविद्यालय, ग्वालियर से 1982 में किया। LLB उन्होंने मेरठ कॉलेज मेरठ, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय यूपी से 1987 में किया। Phd चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ यूपी से 2004 में किया। उपरोक्त सभी शिक्षा प्राप्त करते समय उन्होंने अपना पता केयर ऑफ भगवान सिंह सिकरवार अशोक नगर, मध्यप्रदेश का दिया है और दस्तावेज में अपने नाम के आगे सिकरवार लिखा है।
टूंडला (आरक्षित) सीट से शुरू हुआ विवाद
प्रो. बघेल के जाति प्रमाणपत्र को चुनौती तब दी गई जब वे टूंडला आरक्षित सीट से चुनाव लड़े। उनके खिलाफ BSP उम्मीदवार राकेश बाबू ने इलाहाबाद HC में रिट दायर की। धनगर जाति को SC में शामिल करने के यूपी सरकार के फैसले के खिलाफ कई अन्य रिट पर दायर हुईं। यूपी सरकार ने 24 जनवरी 2019 को नया नोटिफिकेशन जारी कर धनगर जाति को SC का जाति प्रमाण पत्र जारी करने का आदेश दिया।
तब जस्टिस सुधीर अग्रवाल और जस्टिस राजेंद्र कुमार की डिवीजन बेंच ने तीनों नोटिफिकेशन को गलत माना और इनके अमल होने पर रोक लगा दी। धनगर जाति को OBC से SC में शामिल करने के शासनादेशों को जौनपुर के रामप्रकाश और आगरा के बलबीर सिंह ने भी HC में चुनौती दी है।
वहीं, इस बारे में जब केंद्रीय कानून राज्यमंत्री प्रो. एसपी सिंह बघेल से बात करने की कोशिश की गई तो उनका फोन रिसीव नहीं हुआ।